बांग्लादेश में फिर उथल-पुथल! सेना और अंतरिम सरकार में टकराव, आर्मी चीफ ने मोहम्मद यूनुस को दिया अल्टीमेटम, सड़कों पर लोग

Bangladesh Crisis Interim Govt Chief Muhammad Yunus Can Be Resigns
Bangladesh Political Crisis: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में पहले शेख हसीना सरकार का तख्तापलट और अब मौजूदा अंतरिम सरकार पर उथल-पुथल की स्थिति गहरा गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश की सेना और अंतरिम सरकार में टकराव पैदा हो गया है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से बांग्लादेश सेना की नाराजगी इस कदर बढ़ गई है कि सेना प्रमुख वकार ने युनूस को अल्टीमेटम दे दिया है। ऐसे में खबर आ रही है कि बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद से जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं।
बताया जा रहा है कि, मौजूदा स्थिति में मुहम्मद यूनुस के लिए बांग्लादेश में प्रभावी ढंग से काम करना लगातार मुश्किल होता चला जा रहा है। सरकार में तालमेल की कमी और बढ़ते दबाव की परिस्थितियों से नाखुश युनुस ने गुरुवार को सलाहकार बैठक में खुद से इस्तीफ़ा देने की पेशकश कर दी है। ऐसे में अगर यूनुस इस्तीफा देने जैसा बड़ा कदम उठाते हैं तो एक बार फिर बांग्लादेश को सेना अपने कब्जे में ले लेगी या फिर बांग्लादेश में कुछ और तस्वीर देखने को मिलेगी? यह आने वाले समय में ही पता चलेगा।
युनूस को आर्मी चीफ का क्या अल्टीमेटम?
रिपोर्ट्स के अनुसार, आर्मी चीफ ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस को दिसंबर तक आम चुनाव कराने का अल्टीमेटम दिया है। आर्मी चीफ ने यूनुस को दो टूक कह दिया है कि, आम चुनाव दिसंबर के आगे नहीं टलने चाहिए। इसके अलावा बांग्लादेश के अन्य प्रमुख मुद्दे को लेकर सेना और मुहम्मद यूनुस सरकार के बीच टकराव बढ़ा हुआ है। यह मुद्दा है रखाईन कॉरिडोर का। यूनुस सरकार इस कॉरिडोर को लेकर आगे बढ़ रही है तो वहीं बांग्लादेश की सेना ने इसके लिए मना कर दिया है।
बांग्लादेश में रखाईन कॉरिडोर को लेकर सेना प्रमुख का कहना है कि, रखाईन कारीडोर से देश की संप्रभुता को खतरा बढ़ेगा। इसे गृह युद्ध की स्थिति पैदा होगी। सेना प्रमुख ने यह भी कह दिया कि, संवेदनशील नेशनल मुद्दों पर अन्तरिम सरकार को निर्णय लेने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसलिए अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस इस पर कोई फैसला नहीं ले सकते हैं। वहीं बांग्लादेश में सेना के रुख को देखते हुए आर्मी के खिलाफ और युनूस सरकार के समर्थन में प्रदर्शन हो रहा है। लोग सड़कों पर आ गए हैं।
फिलहाल, शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से अब तक बांग्लादेश को न तो स्थायी सरकार मिल पा रही है और न ही बांग्लादेश स्थिर हो पाया है। जिससे देश के हालात बुरे होते जा रहे हैं। वहीं बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस समय भारत की अस्थायी शरण में हैं। बताया जाता है कि, हसीना को सुरक्षा कारणों से दिल्ली में ही सेफ जोन में रखा गया है। बांग्लादेश शेख हसीना की मांग कर चुका है। लेकिन इस मांग को भारत ने कोई मंजूरी नहीं दी।
बांग्लादेश से आनन-फानन में भारत आईं थीं शेख हसीना
पिछले साल 2024 अगस्त में पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में हसीना सरकार के खिलाफ भारी विरोध और हिंसा के चलते तख्तापलट हो गया था। उस समय सेना ने बांग्लादेश पर कंट्रोल ले लिया। जबकि सेना ने शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ने के लिए एक तय समय दिया। जहां बांग्लादेश में भीषण हिंसा और अराजकता के बीच शेख हसीना सेना के ही हेलीकॉप्टर में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर आनन-फानन में भारत पहुंचीं थीं।
शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में जमकर हिंसा हुई
शेख हसीना के पीएम रहते हुए जहां पहले से ही बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों द्वारा हिंसा की जा रही थी और 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी तो वहीं जिस दिन शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ा। उस दिन प्रदर्शनकारियों ने ढाका में पीएम आवास तक को निशाना बनाया और जमकर लूटपाट की। वहीं इसके बाद लगातार बांग्लादेश में और ज्यादा हिंसा बढ़ती चली गई। ऐसी हिंसा जिसने बांग्लादेश में एक खास समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा का हद पार की गई
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हिंसा का हद पार की गई। कई हिंदुओं को जमकर पीटा गया, उनके घरों को जला दिया गया और सामान लूट लिया गया। हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और आगजनी भी की गई है। इस सबके बीच हैरान-परेशान आकर पीड़ित हिंदू समुदाय के सैकड़ों लोगों ने ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन भी किया। हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की गई। मगर स्थिति यह रही कि, हिंदुओं के खिलाफ हिंसा रुकी नहीं।
2009 से लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना
शेख हसीना, बांग्लादेश के राष्ट्रपिता (संस्थापक) और पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं। बांग्लादेश में अवामी लीग पार्टी की नेता शेख हसीना बांग्लादेश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर सेवा करने वाली नेता हैं। शेख हसीना जून 1996 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) को सत्ता से हटाकर पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी थीं और वह जुलाई 2001 तक प्रधानमंत्री पद पर रहीं। 1971 में पाकिस्तान से अलग होकर एक स्वतंत्र देश (बांग्लादेश) बनने के बाद से यह पहली बार था कि जब किसी बांग्लादेशी प्रधानमंत्री का पहला पूर्ण पांच साल का कार्यकाल रहा हो।
वहीं इसके बाद शेख हसीना जनवरी 2009 से 5 अगस्त तक लगातार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत रहीं. जबकि 2024 में शेख हसीना 5वीं बार बांग्लादेश की पीएम बनी थीं। दरअसल, जनवरी 2024 में बांग्लादेश में लोकसभा चुनाव हुआ था। जहां शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को कुल 300 सीटों में 200 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस जीत के बावजूद शेख हसीना अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाईं और लगातार हो रही हिंसा के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। न सिर्फ इस्तीफा बल्कि अपना देश छोड़कर दूसरे देश में शरण लेनी पड़ी।
बता दें कि, शेख हसीना दुनिया की सबसे लंबे समय तक पीएम पद पर सेवा करने वाली मुस्लिम महिला नेता भी हैं। हसीना 2018 में टाइम की दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थीं और उन्हें फोर्ब्स द्वारा 2015, 2018 और 2022 में दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।