नौकरी का झांसा देकर IIT- जोधपुर के प्रोफेसर ने गेस्ट हाउस में महिला संग किया रेप, कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

नौकरी का झांसा देकर IIT- जोधपुर के प्रोफेसर ने गेस्ट हाउस में महिला संग किया रेप, कोर्ट ने सुनाई 10 साल की सजा

Former professor of IIT Jodhpur 10 Years in Jail

Former professor of IIT Jodhpur 10 Years in Jail

Former professor of IIT Jodhpur 10 Years in Jail: नोएडा की एक अदालत ने IIT जोधपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. विवेक विजयवर्गीय को दुष्कर्म के मामले में 10 साल की सजा सुनाई है. अपर सत्र न्यायाधीश एवं त्वरित न्यायालय द्वितीय प्रिया सिंह की अदालत ने दुष्कर्म के मामले में यह सजा सुनाई है. यानी कि इस दुष्कर्म के मामले में 6 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. साथ ही दोषी पर ₹20000 का जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माना जमा नहीं करने पर दोषी को 6 महीने का अतिरिक्त करावास भी भुगतना पड़ेगा.

जानें क्या था मामला

मामला जून 2019 का है, जब आईआईटी प्रोफेसर विवेक विजयवर्गीय के खिलाफ नोएडा के सेक्टर-20 थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 में मुकदमा दर्ज किया गया था. पीड़िता गणित से एमएससी कर चुकी है और आरोपी को साल 2000 से जानती थी. वह पहले उसके कोचिंग में गणित पढ़ा चुका था और 2011 में दोनों IIT जोधपुर में थोड़े समय के लिए साथ काम भी कर चुके थे. पीड़िता नौकरी की तलाश में थी. इसलिए उसने कुछ महीने पहले अपना रिज्यूम आरोपी को भेजा था. इसी का फायदा उठाकर आरोपी ने उसे नोएडा बुलाया.

6 जून 2019 को आरोपी ने पीड़िता को नोएडा के एक गेस्ट हाउस के रूम नंबर-7 में मिलने के लिए कहा. पीड़िता कमरे में पहुंची तो आरोपी ने दरवाजा बंद कर दिया. आरोपी ने कहा कि नौकरी की चिंता मत करो, लेकिन पहले बताओ इसकी क्या कीमत दे सकती हो? पीड़िता विवेक के इरादे को भांप गई. विरोध करने पर प्रोफेसर विवेक ने जबरदस्ती की और गला दबाकर धमकाया. पीड़िता कमरे से निकलकर रिसेप्शन तक पहुंची और तुरंत पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने प्रोफेसर को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया. 25 सितंबर 2019 को आरोप तय हुए.

अदालत ने माना विश्वास का घोर दुरुपयोग

अदालत ने माना कि आरोपी ने पीड़िता का विश्वास जीता, नौकरी दिलाने के लालच में बुलाया और बंद कमरे में अपराध को अंजाम दिया. घटना के बाद झूठ और दबाव का सहारा लिया. न्यायालय ने इसे महिलाओं के प्रति गंभीर और योजनाबद्ध अपराध माना. आरोपी को सजा सुनाए जाने के बाद वकील ने कहा कि उसके माता-पिता वृद्ध और बीमार हैं. पिता पैरालिसिस के मरीज हैं. आरोपी घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य है, लेकिन अभियोजन ने जोर देकर कहा कि अपराध अत्यंत गंभीर है और किसी भी परिस्थिति में आरोपी को नरमी का हकदार नहीं माना जा सकता. अदालत ने अभियोजन के पक्ष को सही ठहराते हुए 10 साल की कैद सुनाई.