Himachal: Water level of rivers dropped even in monsoon, see what was the effect till Punjab-Haryana-Rajasthan

हिमाचल: मानसून में भी गिरा नदियों का जलस्तर, देखें पंजाब-हरियाणा-राजस्थान तक क्या रहा असर

Himachal: Water level of rivers dropped even in monsoon, see what was the effect till Punjab-Haryana-Rajasthan

Himachal: Water level of rivers dropped even in monsoon, see what was the effect till Punjab-Haryana

शिमला। हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में भी नदियों का जलस्तर बढऩे की बजाय कम हो रहा है। आने वाले वाले दिनों में प्रदेश में बिजली उत्पादन समेत पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा से लेकर राजस्थान तक खेतीबाड़ी पर इसका असर पड़ सकता है।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, सतलुज और चिनाब नदी समेत 17 सहायक खड्डों (बरसाती नदी) में बरसात के बावजूद जलस्तर गिर रहा है। इनमें से केवल लाहौल स्फीति में एक मात्र मियाड़ नाला ऐसा है जिसके जल स्तर में पिछले शुक्रवार को बढ़ोतरी दर्ज की गई। 9 नदियों और खड्डों के जलस्तर में गिरावट रिकॉर्ड हुई। वहीं, सात नदियां और खड्डें ऐसी हैं जहां पर जल स्तर स्थिर बना हुआ है।

सतलुज का पानी हिमाचल से निकल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक पहुंचता है। जलस्तर गिरने से इन तीनों राज्यों में खेतीबाड़ी खासकर धान की फसल प्रभावित हो सकती है। क्योंकि इस नदी से निकली नहरों के पानी से ही इन राज्यों में धान की सिंचाई काफी हद तक निर्भर हैं। वहीं चिनाब नदी पंजाब, जम्मू कश्मीर होते हुए पाकिस्तान के मैदानी इलाकों की ओर निकलती है।

आमतौर पर चिनाब, सतलुज नदी समेत इनकी सहायक खड्डें बरसात में उफान पर रहती हैं। इस बार मानसून के कमजोर पडऩे और बर्फ जल्दी पिघल जाने की वजह से जल स्तर नहीं बढ़ पा रहा है। दोनों रिवर बेसिन पर मई और जून के बाद पिघलने वाली बर्फ इस साल मार्च और अप्रैल में ही पिघल गई।

हिमाचल में मार्च-अप्रैल के ड्राई स्पेल और असामान्य गर्मी ने कृषि-बागवानी पर प्रदेश की 70 फीसदी आबादी की नींद उड़ा रखी। मौसम विभाग के मुताबिक प्री-मानसून सीजन में (1 मार्च से 23 अप्रैल तक) प्रदेश में 93 प्रतिशत कम बारिश हुई। इस अवधि में सामान्य बारिश 160.4 मिलीमीटर होती है। इस बार मात्र 11.8 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसी तरह एक से 23 अप्रैल तक भी 91 फीसदी कम मेघ बरसे। प्रदेश में 1 से 12 अप्रैल तक 24.7 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। इस बार ज्यादातर क्षेत्रों में पानी की बूंद तक नहीं गिरी है।

वहीं, हिमालय में इस बार मार्च और अप्रैल में ही गर्मी ने पिछले 60 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। मार्च और अप्रैल की भयंकर गर्मी से बर्फ जल्दी पिघली है। इसका असर अब नदी-नालों में देखा जाने लगा है।

प्रदेश में इस बार मार्च और अप्रैल महीने में ही गर्मी ने पिछले सात दशकों के रिकार्ड तोड़ डाले। शिमला का न्यूनतम तापमान 69 सालों में पहली बार 18 डिग्री पहुंचा। वहीं, ऊना जिले का तापमान भी पहली बार मार्च में 38 डिग्री पहुंचा और 20 अप्रैल तक यह 40 पार हो गया। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश में 1 मार्च से 12 अप्रैल के बीच सामान्य 135.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इस साल मात्र 5.4 मिलीमीटर (96 फीसदी कम) बारिश ही हुई।

हिमाचल प्रदेश की नदियों में मानसून सीजन में भी जलस्तर कम होने का असर आने वाले दिनों में पंजाब से लेकर राजस्थान तक दिखेगा। हिमाचल की सतलुज नदी से निकलने वाली नहरों के पानी पर इन राज्यों की खेतीबाड़ी की सिंचाई काफी हद तक निर्भर है। वहीं कुछ जगहों पर इन नहरों के पानी को साफ कर पीने योग्य बनाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में खासकर पंजाब और हरियाणा ज्यादा प्रभावित होंगे। वहीं कम जलस्तर का असर राजस्थान में भी देखने को मिलेगा।