हरियाणा की डायरी: इसलिए हैं ये राजनीति के संत !

Haryana Diary

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प्रस्तुति : चन्द्र शेखर धरणी
स्वतंत्र वरिष्ठ पत्रकार

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इसलिए हैं ये राजनीति के संत !
हरियाणा में पहली बार 2014 में अकेले अपने दम पर बहुमत का जादुई आंकड़ा पार करते हुए भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने मनोहर लाल के बारे में उनके शपथ ग्रहण से पहले प्रदेश के अधिकतर लोगों को कोई जानकारी नहीं थी। संघ कार्य़कर्ता से राजनेता बने मनोहर लाल ने हरियाणा बागडोर संभालने के बाद ईमानदारी, पारदर्शिता और अंत्योदय के सिद्धांत पर चलते हुए ना केवल जनता का विश्वास जीता, बल्कि जनता को सरकारी कार्य़ालयों में फैले भ्रष्टाचार और दलालों के चंगुल से निजात दिलाने के लिए भी अनेक योजनाएं बनाई। हरियाणा को विकास की राह पर ले जाने वाले भाजपा के इस नेता को राजनीति का संत कहा जाता है, क्योंकि हरियाणा की सत्ता में आने के बाद भी यह जहां हर समय जनता की भलाई के कार्यों को लेकर ही मंथन करते रहते थे। वहीं, यह अपने आराम की भी परवाह नहीं करते थे। यहीं कारण था कि इन्हें जहां स्थान दिखाई देता, यह वहीं आराम करने लग जाते थे। फिर वह कोई बगीचा ही क्यों ना हो। हाल ही में इनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें केंद्रीय ऊर्जा और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल अपने कार्य़ालय संकल्प भवन की कैंटीन में पहुंच गए और वहां पर कर्मचारियों के साथ बैठकर भोजन करते हुए कामकाज पर विस्तार के साथ चर्चा की। शायद यहीं कारण है कि मनोहर लाल को राजनीति का संत कहा जाता है, क्योंकि वह अपनी कार्यप्रणाली से जनता का विश्वास ही नहीं, बल्कि दिल भी जीत लेते हैं। यहीं कारण है कि हरियाणा के बाद देश की राजनीति में पहुंचे मनोहर लाल को लेकर आज भी हरियाणा की चौपालों पर अकसर चर्चाएं सुनाई दे जाती है।
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आखिर क्यों नहीं सच्चाई मानते ये नेता ?
हरियाणा की राजनीति में जाट और नॉन जाट का मुद्दा किसी से छिपा नहीं है। हरियाणा के राजनेता तो दूर एक आम इंसान भी इस बात को अच्छे से समझता है कि सूबे की राजनीति हमेशा ही जाट और नॉन जाट के इर्द-गिर्द ही घूमती है। ऐसे में जहां हर राजनीतिक दल की ओर से दोनों वर्गों के बीच सामंजस्य बैठाते हुए चुनावी विसात बिछाई जाती है। वहीं, कांग्रेस को इसका सबसे बड़ा जन्मदाता भी माना जाता है, लेकिन इन सबके बावजूद कांग्रेस के नेता कभी भी पार्टी में किसी भी प्रकार की गुटबाजी को स्वीकार नहीं करते। अलबत्ता इस प्रकार के सवाल पूछने पर वह उल्टे मीडिया पर भी गुस्सा हो जाते हैं। ऐसा ही एक वाक्य बीते दिनों कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष चौधरी भूपेंद्र हुड्डा की पत्रकार वार्ता के दौरान भी दिखाई दिया। दअरसल, पत्रकार वार्ता के दौरान एक मीडिया कर्मी ने उनसे पार्टी में जाट और नॉन जाट को लेकर चल रही गुटबाजी पर सवाल पूछ लिया था। बस, फिर क्या था, हुड्डा साहब ने तो इसे मीडिया की ही देन बताते हुए कांग्रेस को सबकी और सभी नेताओं के एक होने का दावा कर दिया। अब हुड्डा साहब के इस दावे में कितनी सच्चाई है, यह भले उन्हें ना पता हो, लेकिन जनता इसे भली प्रकार से जानती है।
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पुलिस में इब बढ़ेगी लाडों की संख्या
हरियाणा में महिलाओं की सुरक्षा और उनके स्वावलंबन को लेकर पहले से ही कार्य़ कर रही प्रदेश सरकार के मुखिया यानि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने एक और बड़ी घोषणा की है। मुख्यमंत्री के फैसले के अनुसार इब हरियाणा के पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। अभी तक राज्य के पुलिस बल में महिला पुलिस बल की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत थी, जिसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया जाने वाला है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गृह विभाग से जुड़ी बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में पुलिस बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में महिला सुरक्षा को सुदृढ़ करने और पुलिस व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए सरकार लगातार निर्णायक कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस विभाग में जल्दी ही छह हजार पदों पर भर्ती होगी, जिनमें से 1,250 पद केवल महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सात नये महिला पुलिस थानों की स्थापना की जाएगी। वर्तमान में हरियाणा में 33 महिला पुलिस थाने संचालित हो रहे हैं और विभिन्न जिलों में नए थानों की स्थापना की प्रक्रिया जारी है। महिला हेल्प डेस्क और फील्ड में बढ़ी तैनाती ने महिलाओं की पुलिस तक पहुंच को आसान बनाया है, जिससे शिकायतों के निपटान में तेजी आई है। ऐसे में हरियाणा में उसके जिलों की संख्या से अधिक महिला थानों की संख्या हो गई है, जो यह दर्शाती है कि सूबे की सरकार महिला सुरक्षा को लेकर किस कदर गंभीर है।
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तीन नहीं, चार प्लान से सत्ता से दूर है कांग्रेस !
हरियाणा में एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी ने लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल कर सूबे की राजनीति में एक नया रिकॉर्ड बनाने का कार्य़ किया। वहीं, राजनीतिक गलियारों खासतौर पर प्रदेश की चौपालों पर भी इसे लेकर कईं प्रकार की चर्चाएं लगातार सुनाई देती रहती है। ऐसे में राजनीतिक दलों के नेता भी प्रदेश के मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर अपनी प्रतिक्रियाएं देते रहते हैं। इसी बीच किसी समय में प्रदेश कांग्रेस की सत्ता में बड़े साहब रहे भूपेंद्र हुड्डा के खास नेताओं में शामिल पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा भी अब खुलकर प्रदेश की राजनीति और खासतौर पर कांग्रेस के लगातार सत्ता से दूर रहने पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कुलदीप शर्मा ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि कांग्रेस तीन नहीं, बल्कि चार प्लान से सत्ता से दूर हैं। शर्मा की माने तो आम जनता 2014, 2019 और 2024 में ही कांग्रेस को सत्ता से दूर होना मानती है, जबकि 2009 में भी कांग्रेस सत्ता से दूर ही थी, क्योंकि उस समय जनता ने उन्हें स्पष्ट बहुमत नहीं दिया था, जिसके चलते कांग्रेस के केवल 40 विधायक ही जीतकर आए थे और उन्होंने हजकां के सहयोग से सरकार बनाई थी। कांग्रेस के लगातार सत्ता से दूर होने का कारण बताते हुए कुलदीप शर्मा बताते हैं कि अशोक तंवर पर लाठियां चलवाना, कुमारी सैलजा को पद से हटवाना फिर चौधरी उदयभान को लेकर आना और उन्हें भी काम नहीं करने देना। चुनाव के दौरान कुमारी सैलजा को अपमानजनक शब्द कहना, ऐसे ही कारणों से कांग्रेस कोठियों में कैद हुई। अब कांग्रेस के अधिकांश नेता भले ही खुलेआम पार्टी की इस गुटबाजी को स्वीकार नहीं करते हों, लेकिन आज भी कुलदीप शर्मा जैसे कईं ऐसे दिग्गज नेता हैं, जो पार्टी के हित में सच्चाई बोलने में जरा भी नहीं हिचकिचाते, फिर मंच चाहे कोई भी हो। वैसे भी हरियाणा के राजनेता हीं नहीं, बल्कि आम जनता भी जानती है कि आज प्रदेश कांग्रेस में कितकी कितनी चल रही हैं और पार्टी के लगातार बैकफुट पर जाने के क्या कारण हैं ?
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…नहीं तो ‘गब्बर’ कर देगा सीधा !
तुरंत फैसला और एक्शन लेने के साथ ही किसी भी पीड़ित के साथ होने वाले अऩ्याय को सहन नहीं करने वाले सूबे की राजनीति के ‘गब्बर’ एक बार फिर से एक्शन मोड में है। हरियाणा की राजनीति के साथ ही आम जनता के बीच ‘गब्बर’ और ‘बाबा’ जैसे नामों से प्रसिद्ध प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सीनियर नेता अनिल विज के पास जब भी कोई पीड़ित पहुंचता है तो वह उस की शिकायत पर तुरंत एक्शन लेते हैं, फिर शिकायत चाहे किसी भी विभाग की क्यों ना हो। अपने इलाके की जनता का दुख दूर करने के साथ ही उनके बीच रहने के लिए विज अकसर खुला दरबार भी लगाते हैं। ऐसे ही एक दरबार में एक विवाहिता विज के पास शिकायत लेकर पहुंची, जिसे सुनते ही ‘गब्बर’ गंभीर हो गए। उन्होंने महिला की शिकायत सुनी। महिला ने बताया कि उसका पति उसे छोड़कर चला गया है, जिसकी शिकायत महेशनगर पुलिस थाने में दर्ज हैं, लेकिन जब थाने में जाने पर एक पुलिस कर्मी उसकी शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाए उसे ही धमकाते हुए अंदर बंद करने की बात कहता है। महिला से यह सुनते ही विज ने तुरंत महेशनगर थाने के एसएचओ को फोनकर उस पुलिस पुलिस कर्मी के खिलाफ कार्ऱवाई करने के साथ ही महिला के पति को ढूंढने के निर्देश दिए। इसके साथ ही विज ने एसएचओ को यह भी कहा कि सीधा हो जा, नहीं तो मैं सीधा करूंगा। किसी मामले में इस प्रकार का एक्शन विज के लिए कोई नया नहीं है। इससे पहले भी गब्बर के नाम से मशहूर यह नेता इस प्रकार के कईं एक्शन ले चुके हैं, लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि क्या हमारा सिस्टम इतना नकारा हो चुका है, जो जनता को बार-बार न्याय पाने के लिए किसी मंत्री के पास जाना पड़ता है और मंत्री की दखल अंदाजी के बाद भी सिस्टम सुधरने का नाम नहीं लेता। कहीं ना कहीं से फिर से इस प्रकार की शिकायत सामने आ ही जाती है। हालांकि विभाग के उच्चाधिकारी भी इसे सुधारने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी ना जाने आखिर कहां और क्या कमी रह जाती है ?
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भात न्योतने हेलीकॉप्टर से पहुंची दूल्हे की मां
कहते हैं कि शौक का कोई मोल नहीं होता। कईं बार मां-बाप अपने बच्चों की इच्छा और शौक को पूरा करने के लिए कुछ ऐसा कर देते हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है। ऐसे ही कईं बार बच्चें भी मां-बाप की इच्छा के लिए कुछ हटकर कर देते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ हरियाणा के गुरुग्राम में जहां एक मां अपने भाई को बेटे की शादी का निमंत्रण देने और भात न्योतने की रस्म पूरी करने के लिए महज 25 किलोमीटर दूर हेलीकॉप्टर से पहुंची। जी हां, यह सब गुरुग्राम जिले के गांव भौड़ा खुर्द में उस समय हुआ जब एक महिला अपने भाई को बेटे की शादी के लिए भात न्योतने की रस्म पूरी करने के लिए पहुंची थी। बहन की ओर से निभाई गई यह रस्म आज प्रदेश की चौपाल में चर्चा का विषय बनी हुई है। दअरसल, दूल्हे रोहित दहिया की मां पिंकी दहिया, जो अपने भाई प्रदीप पंवार को शादी का निमंत्रण देने हेलिकॉप्टर से पहुंचीं जबकि दोनों गांवों की दूरी सिर्फ 25 किलोमीटर है। दअरसल, मां की खुशी के लिए रोहित ने भात न्योतने की इस रस्म को खास बनाने के लिए एक हेलिकॉप्टर बुक किया था। रोहित की मां पिंकी दहिया अपने पति और जेठानी, देवरानी बेटी के साथ उसी हेलिकॉप्टर से अपने भाई के गांव पहुंची थी। पिंकी के हेलिकॉप्टर से बाहर निकलते ही उसके भाई के गांव वालों ने फूलों की वर्षा कर ना केवल उनका स्वागत किया, बल्कि महिलाओं ने ढोल की थाप पर जमकर नृत्य भी किया। इस दौरान महिलाएं सुहाग और शगुन के गीत गाते हुए हेलिकॉप्टर का इंतजार कर रही थीं। जैसे ही हेलिकॉप्टर उतरा, पूरा गांव तालियों, सीटियों और ढोल की थाप से गूंज उठा। एक बेटे का अपनी मां के लिए यह प्यार पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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…जब बड़े साहब ने काफिला रुकवाकर ली सेल्फी !
हरियाणा के बड़े साहब यानि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मिलनसार रवैये और हसमुख मिजाज को लेकर जहां हर कोई उनकी तारीफ करता है। वहीं, मुख्यमंत्री भी खुद को हमेशा जनता से जुड़े रहने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। ऐसे ही एक मामले में हाल ही में लाडवा में संत शिरोमणि श्री सैन महाराज की जयंती कार्यक्रम में शिरकत करने के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने वापसी बाबैन पहुंचने पर अचानक अपना काफिला रुकवा लिया। महज 10-12 के करीब लोगों को सड़क किनारे इकट्ठा देखकर किसी भी प्रकार का संकोच किए बिना बड़े साहब अपना काफिला रुकवाकर सीधे उनके बीच पहुंच गए। मुख्यमंत्री ने वहां खड़े लोगों से उनका हालचाल जानने के साथ ही सरकार की योजनाओं और इलाके के विकास को लेकर चर्चा की। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि वे सदैव जनता के बीच रहने वाले व्यक्ति हैं और उनकी नजर में कोई बड़ा या छोटा नहीं है। मुख्यमंत्री से मिलने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि यह उनके जीवन का पहला अवसर था जब किसी मुख्यमंत्री से इतनी सहज और अचानक मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री को अपने सामने बिना किसी औपचारिकता के खड़ा देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए। मुख्यमंत्री ने उनसे और अन्य मौजूद लोगों से मुस्कुराकर वार्तालाप किया और उनके साथ सेल्फियां भी लीं जिससे नागरिकों में उत्साह और आत्मीयता का माहौल बन गया। मुख्यमंत्री की यह सरलता और जनसरोकार की भावनाएं क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। स्थानीय लोगों ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों और जन-प्रतिबद्धता की मिसाल बताया।
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एसवाईएल के बाद यह भी ठंडे बस्ते में गया !
वर्षों से हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे एसवाईएल के मामले में सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की ओर से दखल दिए जाने के बाद भी कोई हल नहीं निकलने पर अब यह मामला एक प्रकार से ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है, क्योंकि केंद्र की ओर से इस मामले से अपने हाथ खींच लिए गए हैं। ऐसे ही हरियाणा की अलग विधानसभा भवन का मामला भी अब ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। हरियाणा की ओर से इसे लेकर किए गए अनेक प्रयासों के बावजूद केंद्र ने अब इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि "हरियाणा को रोक नहीं सकते, लेकिन मंत्रालय इस मामले को आगे नहीं ले जाएगा, इसकी जानकारी दे दी गई है।" एसवाईएल की तरह अब ये मामला भी ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहा है। फिलहाल इस मुद्दे पर हरियाणा सियासी फिजाएं इस ठंड के मौसम में काफी गर्म दिखाई दे रही हैं। मामले में राजनीतिक चौपालों पर चर्चा है कि इस मामले को लेकर टाला जा रहा है, लेकिन इसका समाधान जरूर होगा। चर्चाओं की माने तो केंद्र सरकार 2027 में होने वाले पंजाब चुनाव की वजह से इस मामले को स्थगित करना चाहती है। यहीं कारण है कि चंडीगढ़ को लेकर केंद्र सरकार की ओर से पेश किया जाने वाला बिल भी टाल दिया गया है। वहीं, मामले को लेकर हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण का मानना है कि आने वाले समय में जब विधानसभा की सीटें बढ़ेगी। उस समय बड़ी जगह की जरूरत पड़ेगी। उसे लेकर तीन विकल्प हैं। फिलहाल तीनों विकल्पों पर मंथन किया जा रहा है। सरकार अपने स्तर पर केंद्र सरकार से चर्चा कर रही है।
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अब 2100 की बजाए खाते में आएंगे 6300 रुपए 
देश के अन्य राज्यों की तरह से हरियाणा में भी महिलाओं के लिए कई योजनाएं सरकार की ओर से चलाई जा रही है। इनमें हाल  ही में शुरू की गई दीन दयाल उपाध्याय लाडो लक्ष्मी योजना भी है। इस योजना के तहत सरकार की ओर से प्रदेश की पात्र महिलाओं के खाते में 2100 रुपए महीना देने की शुरूआत की गई थी, जिसकी दूसरी किश्त हाल ही में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से जारी की गई, लेकिन अब सरकार ने इस योजना में बड़ा बदलाव किया है। अब महिलाओं के खाते में 2100 रुपए की राशि नहीं डाली जाएगी। पात्र महिलाओं को मिलने वाली मासिक राशि में नायब सैनी सरकार ने एक बड़ा और अहम बदलाव किया है। सरकार ने भुगतान की पूरी प्रक्रिया को बदल दिया है। सरकार का उद्देश्य इस योजना को और मज़बूत बनाना है, ताकि महिलाओं को बड़ी ज़रूरतों के लिए खर्च बेहतर तरीके से प्लान करने में मदद मिल सके। पहले महिलाओं को 2100 रुपए दिए जाते थे लेकिन अब हर तीन महीने में 6300 की किस्त अकाउंट में भेजी जाएगी। एक बार में बड़ी रकम मिलने से महिलाओं को अपने बड़े खर्चों का प्रबंधन करना सरल हो जाएगा और सरकारी ट्रांजैक्शन की संख्या भी कम होगी।

प्रस्तुतिः- चंद्रशेखर धरणी