तुली रिसर्च सेंटर फाॅर इंडिया ने किया डिजिटल प्लेटफार्म लॉन्च

Tuli Research Center for India launched digital platform
भारत की कलात्मक,सांस्कृतिक व बौद्धिक विरासत के होंगे दर्शन
इस प्लेटफॉर्म के जरिए खास नज़रिए के साथ अनुसंधान को दे सकते हैं अंजाम
फ़रीदाबाद/नई दिल्ली। दयाराम वशिष्ठ: Tuli Research Center for India launched digital platform: तुली रिसर्च सेंटर फाॅर इंडिया स्टडीज ने डिजिटल प्लेटफार्म पर एक ऐसी वेबसाइट लांच की है जिस पर देशवासियों को भारत की कलात्मक,सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत के दर्शन होंगे। इस डिजिटल प्लेटफार्म पर बिना किसी शुल्क के भारत की आधुनिक और समकालीन ललित कला, पापुलर आर्ट, सिनेमा, फोटोग्राफी, स्थापत्य की विरासत,ग्राफिक आर्ट,पशु कल्याण और सांस्कृतिक अर्थशास्त्र व चिंतन पर सबसे व्यापक वियुजल और टेक्स्चुयल ज्ञान के भंडार उपलब्ध रहेंगे। यह प्लेटफार्म देशवासियों को भारत अध्ययन के लिए एक नवीन वैचारिक ढांचा प्रदान करेगा।
तीन दशक लम्बे प्रयास के बाद नेविल तुली ने की शुरुआत
इस प्लेटफॉर्म की शुरूआत नेविल तुली ने तीन दशक के लंबे प्रयास के बाद दा तुली फाउंडेशन फॉर होलिस्टिक एजुकेशन एंड आर्ट की स्थापना करके की। उसके बाद उनका यह सफर ओसियांस काॅनासर्स आफ आर्ट और वन राजा सेंचुरी एंड हाॅस्पाइस के माध्यम से आगे बढा। इस लबे प्रयास के बाद तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज को नया आयाम मिला है। यह डिजिटल प्लेटफार्म विस्तृत अभिलेखागार,ज्ञान भंडार एवं समृद्ध पुस्तकालय को सार्वजनिक उपयोग और शैक्षिक शोध के लिए भी समर्पित है।
तुली रिसर्च सेंटर फॉर इंडिया स्टडीज अपने मूल में एक सरल किंतु गहरे मूल्य पर आधारित है और उनका मानना है कि ज्ञान पर सबका हक होना चाहिए और शिक्षा सबके लिए मुक्त होनी चाहिए। जिज्ञासा की कोई सीमा नहीं होती। यह एक शाश्वत प्रक्रिया है जिसमें सीखने,खोज और खुद को पहचानने की जुगलबंदी मौजूद है। इस वेबसाइट tuliresearchcentre.org का इस्तेमाल करने वाले विविध दायरों में जाकर अपने खास नज़रिए के साथ अनुसंधान को अंजाम दे सकते हैं या किसी भी एक दायरे में भीतर शोध की गहराईयों तक जा सकते हैं