Haryana grant to PU will improve the future of youth

Editorial: पीयू को हरियाणा की ग्रांट से युवाओं का भविष्य होगा बेहतर  

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Haryana grant to PU will improve the future of youth

Haryana grant to PU will improve the future of youth पंजाब यूनिवर्सिटी उत्तर भारत का प्रमुख शिक्षण संस्थान है, इसकी महिमा पूरा देश जानता है, यह स्वतंत्र भारत में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दूसरे राज्यों समेत विश्व के अनेक देशों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्ति का ऐसा स्थान है, जहां पढ़ने के बाद जीवन में मुकाम हासिल करना सहज हो जाता है। हालांकि पंजाब यूनिवर्सिटी पर्याप्त ग्रांट के अभाव में आजकल आर्थिक संकट से गुजर रही है। यह तब है, जब यह श्रेष्ठ संस्थान दो राज्यों पंजाब एवं हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में स्थित है।

हालांकि जैसे संकट का समापन कभी न कभी होता ही है, इसी तर्ज पर 32 वर्षों के बाद वह समय आ रहा है, जब हरियाणा सरकार की ओर से 40 फीसदी ग्रांट प्रदान करने को पंजाब सरकार भी सहमत हो गई लगती है। यूनिवर्सिटी को हरियाणा सरकार की ओर से 1990 तक ग्रांट प्रदान की जाती रही है, तब सरकार यूजीसी ग्रांट के अलावा अन्य खर्चों के लिए भी 40 फीसदी राशि देती थी, लेकिन इसके बाद इसे बंद कर दिया गया। इसकी वजह राजनीतिक रही हैं, किसी एक प्रदेश को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, हालांकि इस फंड के न मिलने से पंजाब यूनिवर्सिटी का विकास अवरुद्ध हो गया। अब ऐसी मीडिया रिपोर्ट्स हैं कि पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के प्रयास से जहां हरियाणा सरकार इसके लिए राजी हुई है, वहीं पंजाब सरकार ने भी अपनी सहमति दे दी है। इस संबंध में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक भी होने जा रही है।

पंजाब एवं हरियाणा के बंटवारे के बाद चंडीगढ़ को लेकर जिस प्रकार से दोनों राज्यों में विवाद है, उसकी छाया पंजाब यूनिवर्सिटी पर भी पड़ती रही है। हरियाणा ने पंजाब यूनिवर्सिटी में अपनी हिस्सेदारी की मांग की थी और इस संबंध में विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था। उस समय बताया गया था कि यूनिवर्सिटी की ओर से हरियाणा के 18 जिलों के कॉलेजों को मान्यता प्रदान की हुई थी, इस बारे में हरियाणा सरकार ने केंद्रीय गृहमंत्री से भी मांग की थी कि पंजाब यूनिवर्सिटी में हरियाणा को हिस्सा प्रदान कराया जाए। गौरतलब है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी इस संबंध में याचिका लंबित है।

वास्तव में यह मामला तब विवादित हुआ है, जब पंजाब में एसवाईएल नहर का पानी, चंडीगढ़ पर अधिकार और पंजाब के हिंदी भाषी गांवों को हरियाणा में शामिल करने की मांग को लेकर राजनीतिक ज्वार उठा है। पंजाब के लिए चंडीगढ़ और पंजाब यूनिवर्सिटी वह चाबी है, जिसे वह अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता। हालांकि इस जंग में एक महान शिक्षण संस्थान को बदहाली झेलनी पड़ रही है। पंजाब यूनिवर्सिटी में सिर्फ पंजाब के विद्यार्थी ही नहीं पढ़ रहे हैं, इस संस्थान ने चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के युवाओं को भी गढ़ा है। आज कितने ही युवा इस संस्थान से शिक्षा हासिल करके समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत हैं।

वास्तव में यह बेहद सराहनीय निर्णय है, जब पंजाब एवं हरियाणा दोनों इस बात पर सहमत हुए हैं कि पंजाब यूनिवर्सिटी को हरियाणा ग्रांट प्रदान करे, बदले में यूनिवर्सिटी हरियाणा के कॉलेजों को मान्यता प्रदान करे। पंजाब यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का भी कहना है कि अगर हरियाणा से यूनिवर्सिटी को ग्रांट मिलती है तो फिर उसके कॉलेजों को मान्यता देने में कोई हर्ज नहीं है।

गौरतलब है कि ग्रांट के अभाव में इस समय यूनिवर्सिटी के 5 हजार विद्यार्थी हॉस्टल के बजाय प्राइवेट पीजी में रहने को मजबूर हैं। यूनिवर्सिटी के अंदर इस समय 17 हजार विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं और यहां बने हॉस्टलों में महज 10 हजार के रहने की सुविधा है। निश्चित रूप से यूनिवर्सिटी में अनुसंधान कार्यों के लिए फंड की जरूरत है, फीस का मुद्दा भी हमेशा हावी रहता है, विभागों को फीस बढ़ाकर अपने संसाधनों के लिए पैसा जुटाना पड़ता है। अगर हरियाणा 40 फीसदी ग्रांट देता है तो इससे फीस में बढ़ोतरी को रोका जा सकता है। चंडीगढ़ के आसपास अनेक ऐसे निजी शिक्षण संस्थान हैं, जहां पढ़ पाना हर किसी के वश की बात नहीं है, तब क्या उच्च शिक्षा के अधिकार को समाप्त मान लिया जाए।

ऐसे में केंद्र एवं राज्य सरकारों का यह दायित्व है कि वे सरकारी और पंजाब यूनिवर्सिटी से जैसे शिक्षण संस्थान को न केवल सहारा दें अपितु उसे आगे बढ़ाने में भी सहयोग दें। पंजाब की जनता को भी इसे स्वीकार करना चाहिए और इसे लेकर होने वाली राजनीति का जवाब देना चाहिए। अन्य मुद्दों के समाधान के लिए भी दोनों राज्यों को प्रयास करते रहना चाहिए। लेकिन इन सबसे बढक़र अभी पंजाब यूनिवर्सिटी के संबंध में लिए जा रहे फैसले के लिए दोनों राज्यों की सरकारों की प्रशंसा होनी चाहिए वहीं राज्यपाल एवं प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की मध्यस्थता से आए इस बदलाव के लिए उनका भी आभारी होना चाहिए।  

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