जीएसटी सुधार और भारतीय पर्यटन का नया सवेरा

GST reforms and the new dawn of Indian Tourism

GST reforms and the new dawn of Indian Tourism

लेखक:  केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत

GST reforms and the new dawn of Indian Tourism: भारत में पर्यटन का अर्थ हमेशा ही मनोरंजन से कहीं बढ़ कर रहा है  — यह सभ्यताओं के बीच संवाद, विरासत का वाहक और समावेशी विकास का उत्प्रेरक है। फिर भी, दशकों से, लद्दाख के मठों से लेकर कन्याकुमारी के समुद्री तटों तक, हमारी अद्वितीय विविधता के बावजूद, इसकी पूरी क्षमता का दोहन करों के अलग-अलग ढांचे और उच्च लागत के कारण नहीं हो पाया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में हाल के सुधारों ने इस कहानी को अब बदलना शुरू कर दिया है।

वर्षों से, भारत का पर्यटन और आतिथ्य उद्योग एक जटिल कर व्यवस्था के बोझ तले दबा रहा है। सेवा कर, वैट, विलासिता कर जैसे कई तरह के करों ने भ्रम उत्‍पन्‍न किया और यात्रा की लागत बढ़ा दी। जीएसटी लागू होने से करों में सरलीकरण तो हुआ था, लेकिन हाल ही में दरों का युक्तिसंगत बनाया जाना  भारतीय पर्यटन को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में निर्णायक सिद्ध हुआ है।

होटल के 7,500 रुपये से कम शुल्क वाले कमरों पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% करना विशेष रूप से परिवर्तनकारी रहा है। मध्यम वर्गीय परिवार और कम खर्च में यात्रा करने वाले लोग,  जो घरेलू पर्यटन की रीढ़ हैं, उनके लिए यात्रा अब अधिक किफायती हो गई है। उच्च अधिभोग दर, लंबे समय तक प्रवास और स्थानीय स्तर पर अधिक खर्च इसके प्रत्यक्ष परिणाम हैं। कम अनुपालन लागत से छोटे उद्यमियों और होमस्टे मालिकों के लिए लाभप्रदता में सुधार हुआ है और औपचारिकता को बढ़ावा मिला है। यह पर्यटन के विस्‍तार और स्थायित्व की दिशा में शांत लेकिन महत्‍वपूर्ण बदलाव है।

पर्यटन कनेक्टिविटी के बल पर फलता-फूलता है। यात्री परिवहन पर, खासकर दस से ज़्यादा यात्रियों वाली बसों पर जीएसटी दर का 28% से घटाकर 18% किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे तीर्थयात्रियों, छात्रों और परिवारों के लिए अंतर-शहरी और समूह यात्राएँ ज़्यादा सुलभ हो गई हैं। हेरिटेज सर्किट, इको-टूरिज्म पार्क और ग्रामीण पर्यटन स्थलों में नई ऊर्जा देखने को मिल रही है।

 यह सुधार सस्ते टिकटों की उपलब्धता से कहीं बढ़कर है—यह क्षेत्रों को जोड़ने, यात्रा को सबके लिए सुलभ बनाने और छोटे टूर ऑपरेटरों को अपना कारोबार बढ़ाने का अवसर देने से संबंधित है। भारत के लिए, जहाँ पर्यटन क्षेत्रीय समानता का एक सशक्त माध्यम है, वहीं किफायती यात्रा आर्थिक सशक्तिकरण का आधार है।

भारत का आकर्षण केवल उसके स्मारकों में ही नहीं, बल्कि उसकी जीवंत परंपराओं में भी निहित है। कला और हस्तशिल्प उत्पादों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से उस क्षेत्र को बढ़ावा मिला है जो लाखों कारीगरों के जीवनयापन का आधार है। स्थानीय बाज़ार में बिकने वाली हर हस्तनिर्मित कलाकृतियों पर भारत की सांस्कृतिक निरंतरता की छाप होती है।

करों में कमी किया जाना यहाँ महज़ आर्थिक पहल भर नहीं है—यह एक सांस्कृतिक निवेश है। आज पर्यटक प्रामाणिकता की तलाश में रहते हैं और जब वे हाथ से बुनी कांचीपुरम की साड़ी या चंदन की नक्काशीदार मूर्ति घर ले जाते हैं, तो वे भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का एक हिस्सा अपने साथ ले जाते हैं। यह सुधार कारीगरों को सशक्त बनाता है, शिल्प समूहों को मज़बूत बनाता है और विरासत को विकास की कहानी का हिस्सा बनाता है।

संभवत: जीएसटी का सबसे स्थायी लाभ स्पष्टता है। छोटे होटल, होमस्टे और ट्रैवल एजेंसियाँ अब राज्य-विशिष्ट करों की भूलभुलैया के बजाय एक ही निर्धारित ढाँचे के भीतर काम करती हैं। इससे अनुपालन में सुधार होता है, निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और नवाचार के लिए जगह बनती है।

औपचारिकीकरण उन हज़ारों छोटे ऑपरेटरों के लिए ऋण, बीमा और डिजिटल भुगतान तक पहुँच भी बनाता है, जो कभी अनौपचारिक रूप से काम किया करते थे। एक ऐसा क्षेत्र, जो अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक महिलाओं और युवाओं को रोजगार देता है, यह एकीकरण परिवर्तनकारी है। पर्यटन अब केवल फुर्सत के क्षणों में आनंद उठाने से संबंधित उद्योग मात्र ही नहीं रह गया है, बल्कि उद्यमिता और आजीविका का प्रेरक भी बन चुका है।

वैश्विक स्तर पर, पर्यटक किस जगह की यात्रा करेंगे, यह वहाँ की मूल्य की प्रतिस्पर्धात्‍मकता पर निर्भर करता है। वर्षों से, भारत थाईलैंड और वियतनाम जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई गंतव्यों से पीछे रहा है, जहाँ होटलों के कर की दर कम थी और शुल्क सरल थे। हाल ही में जीएसटी में बदलाव ने इस अंतर को कम कर दिया है। भारत अब वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी दरों पर—आयुर्वेदिक रिट्रीट से लेकर हेरिटेज होटल तक— विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करता है।

परिणाम स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। घरेलू पर्यटन रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गया है और विदेशी पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। क्रूज़, वेलनेस, फ़िल्म और आध्यात्मिक पर्यटन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों का तेज़ी से विस्तार हो रहा है। स्वदेश दर्शन 2.0, प्रसाद और वाइब्रेंट विलेज जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार द्वारा चलाए जा रहे एकीकृत प्रयास बुनियादी ढाँचे, नीति और सामुदायिक भागीदारी को और बेहतर बना रहे हैं।

पर्यटन वर्तमान में भारत के जीडीपी में लगभग 5% का योगदान देता है और 80  मिलियन से ज़्यादा लोगों की आजीविका का आधार है। निरंतर सुधारों और बुनियादी ढाँचे में निवेश के साथ, यह 2030 तक आसानी से दोगुना हो सकता है। पर्यटन गतिविधि में प्रत्येक प्रतिशत की वृद्धि से कई गुना लाभ उत्‍पन्‍न होते हैं, जिनमें —रोज़गार, स्थानीय उद्यम, महिला सशक्तिकरण और विभिन्‍न संस्‍कृतियों के बीच परस्‍पर समझ का विस्‍तार शामिल है ।

जीएसटी सुधार कोई अलग-थलग राजकोषीय उपाय नहीं हैं; ये इस दर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं कि कराधान बाधा न बने, बल्कि सबके लिए आसान हो। ये यात्रा को और अधिक किफायती, उद्यम को अधिक व्यावहारिक और पर्यटन स्थलों को अधिक आकर्षक बनाते हैं। ये अर्थव्यवस्था की नब्ज को लोगों के और करीब लाते हैं।

जिस प्रकार भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर अग्रसर है, विकसित भारत का सपना वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी और सांस्कृतिक रूप से सशक्त पर्यटन इको-सिस्‍टम के बिना अधूरा रहेगा। दुनिया भारत को नए सिरे से जान रही है—न केवल एक गंतव्य के रूप में, बल्कि एक ऐसे अनुभव के रूप में जो परंपरा का आधुनिकता के साथ, अर्थव्यवस्था का संवेदना के साथ सामंजस्य बिठाता है।

युक्तिसंगत जीएसटी, बेहतर कनेक्टिविटी, सशक्त कारीगरों और आत्मविश्वास से भरे उद्योग के साथ, भारत की पर्यटन गाथा इस दशक की सफलतम कहानियों में से एक बनने जा रही है - एक ऐसी कहानी जहां सुधारों का मेल पुनर्जागरण से होता है और हर यात्रा नए भारत के निर्माण में योगदान देती है।
                                                                           
 (लेखक केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री हैं।)