Gold and silver worth lakhs will rise in Kamrunag lake, treasure worth billions of rupees is buried; Saranahuli fair will start

मंडी जनपद के आराध्य देव कमरूनाग की झील में लाखों रुपये के सोने चांदी का चढ़ेगा चढ़ावा, सरानाहुली मेले का होगा आगाज

Gold and silver worth lakhs will rise in Kamrunag lake, treasure worth billions of rupees is buried; Saranahuli fair will start

Gold and silver worth lakhs will rise in Kamrunag lake, treasure worth billions of rupees is buried;

मंडी:मंडी जनपद के आराध्य देव कमरूनाग की झील में बुधवार को लाखों रुपये के सोने चांदी का चढ़ावा चढ़ेगा। लोग पावन झील में मन्नत पूरी होने पर सोने, चांदी के गहने और नकदी डालते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

देव कमरुनाग का ऐतिहासिक सरानाहुली मेला 14 से 15 जून तक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। देवता कमेटी और कांढी कमरूनाग पंचायत ने मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली है।

एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद

प्रशासन की ओर से मेले में सुरक्षा व यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए 40 पुलिस जवान तैनात किए गए हैं। जहल कोटलू मार्ग पर यातायात एकतरफा रहेगा। इस मार्ग पर वाहनों की वापसी होगी। दो दिवसीय मेले में प्रदेश व अन्य राज्यों से एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है।

मेले से पूर्व भी देव कमरूनाग के दर्शनों के लिए भक्तों और सैलानियों का आवागमन जारी है। कमरुनाग मेले के लिए सरोआ, रोहांडा, मंडोगलू, धंग्यारा और पांगणा आदि रास्तों से कमरूनाग पहुंच सकते हैं।

झील की तलहटी में दबा है अरबों रुपये का खजाना

कमरुनाग झील की तलहटी में अरबों रुपये का खजाना दबा हुआ है। यह झील है मंडी जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर है। झील पैसों से भी भरी रहती है। कोई भी इस खजाने को चुरा नहीं सकता।

कमरुनाग इसकी रक्षा करते हैं। दो दिवसीय मेला संपन्न होने के बाद झील नोट निकालकर उन्हें सुखाया जाता है। गिनती की जाती है। फिर बाजार से उतने ही रकम का सोना-चांदी खरीद कर वापस झील में डाल दिया जाता है। मान्यता है कि कमरुनाग मंदिर के सामने इस झील में पड़ी एक-एक चीज पर देव कमरुनाग का हक है। यहां चढ़ाए गए पैसों का कोई और इस्तेमाल नहीं हो सकता है।

महाभारत के साक्षी हैं देव कमरुनाग

देव कमरुनाग महाभारत के साक्षी हैं। महाभारत के बाद पांडवों ने यहां उनकी स्थापना की थी। 1911 में एक अंग्रेज अधिकारी ने कमरूनाग क्षेत्र का दौरा किया था। झील में लोगों को सोना चांदी फेंकता देखा था। उसने झील से सारा धन निकाल कर राज्य के खजाने में डाल कर इसका उपयोग करने का निर्णय लिया था।

सी मंशा से झील जब वह झील की ओर बढ़ा था तो भीषण वर्षा शुरू हो गई थी। इससे वह एक कदम भी आगे नहीं चल पाया था। इसके बाद अंग्रेज अधिकारी बीमार पड़ गया था वह इंग्लैंड जाने के लिए मजबूर हो गया था। इसके बाद भी चोरों ने झील से खजाना निकालने के कई प्रयास किए लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया। देव कमरुनाग को वर्षा का देवता भी माना जाता है।