राजस्थान कांग्रेस के पूर्व मंत्री भरत सिंह का निधन, लंबे समय से थे बीमार
Former Minister Bharat Singh Passes Away
कोटा: Former Minister Bharat Singh Passes Away: हाड़ौती के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री भरत सिंह का निधन हो गया है. उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में सोमवार रात अंतिम सांस ली. वे लंबे समय से फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित थे. पहले उनका इलाज कोटा में चला, फिर चिकित्सकों ने उन्हें जयपुर रैफर कर दिया था. करीब एक महीने से उनका SMS अस्पताल में चल रहा था. उनके निधन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई कांग्रेस नेताओं ने शोक जताया और श्रद्धांजलि अर्पित की है.
मुद्दों पर अडिग रहने वाले नेता: भरत सिंह के करीबी और कांग्रेस के पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष कुशल पाल सिंह पानाहेड़ा ने कहा कि भरत सिंह हमेशा अपने मुद्दों पर अडिग रहे. उन्होंने राजनीति में लाभ-हानि की परवाह किए बिना अपनी बात खुलकर रखी. वे कांग्रेस के शासन में पीडब्ल्यूडी और पंचायत राज मंत्री रहे. गांधीवादी विचारधारा के अनुयायी भरत सिंह की ईमानदारी की मिसाल भाजपा के नेता भी देते रहे हैं. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को कुंदनपुर में किया जाएगा.
खुद किया था चुनाव न लड़ने का फैसला: भरत सिंह का जन्म 15 अगस्त 1950 को हुआ था. उन्होंने गुजरात की एमएस बड़ौदा यूनिवर्सिटी से बैचलर्स की पढ़ाई की थी. वे 2018 में सांगोद से अंतिम बार विधायक चुने गए थे. इस कार्यकाल में उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं की नीतियों पर भी सवाल उठाए. 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने खुद घोषणा की थी कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे और परिवार के किसी सदस्य को टिकट नहीं दिलाएंगे. उनके बाद सांगोद से भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया गया था.
चार बार बने विधायक: भरत सिंह चार बार विधायक रहे. पहली बार 1993 में झालावाड़ के खानपुर से चुनाव जीते. 1998 में वे लोकसभा चुनाव वसुंधरा राजे से हार गए. बाद में 2003 में कोटा के दीगोद से विधायक बने और भाजपा नेता ललित किशोर चतुर्वेदी को हराया. 2008 में सांगोद से चुनाव जीते, 2013 में हारने के बाद पंचायत चुनाव में वार्ड पंच बने, जबकि उनकी पत्नी मीना कुमारी सरपंच रहीं. 2018 में वे फिर सांगोद से विधायक बने. इसके अलावा वे तीन बार कुंदनपुर से सरपंच और दस साल पंचायत समिति सांगोद के प्रधान रहे.
वन्य जीव प्रेमी और पर्यावरण हितैषी: भरत सिंह वन्य जीव प्रेमी भी रहे. उन्होंने हाड़ौती में चीता बसाने की मांग की थी और बारां जिले के सोरसन वन क्षेत्र को संरक्षित घोषित करने की बात उठाई थी. गोडावण ब्रीडिंग सेंटर को लेकर भी उन्होंने सरकार से कार्रवाई की मांग की थी. मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व को लेकर वे कई बार चिंता जता चुके थे और अपने विधायक कोष का हिस्सा भी वन क्षेत्र के विकास में खर्च किया था.
उनके परिवार में पत्नी मीना देवी और दो पुत्र हैं. एक महीने से परिवार जयपुर में इलाज के दौरान साथ ही था. भरत सिंह के पिता जुझार सिंह भी सांसद रहे हैं. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भरत सिंह ने जनसेवा को अपना जीवन समर्पित किया. वे सिद्धांतनिष्ठ, सरल और जनहित के प्रति समर्पित नेता थे. उनका निधन सांगोद और राजस्थान की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है.