First successful liver transplant at Government Hospital (PILBS), Mohali under the leadership of Dr. Mann Sarkar: A role model for government hospitals

मान सरकार की दूरदर्शी नीतियों का परिणाम: सरकारी स्कूल की शिक्षिका ने सोशल मीडिया पर जगाई पंजाबी भाषा की अलख

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First successful liver transplant at Government Hospital (PILBS), Mohali under the

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार के एक सरकारी विद्यालय में कार्यरत एक समर्पित शिक्षिका आज सोशल मीडिया पर पंजाबी भाषा, संस्कृति और इतिहास की अलख जगाने वाली एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं। अपने नवाचारी शिक्षण तरीकों और डिजिटल माध्यम के प्रभावी उपयोग से उन्होंने न केवल अपने विद्यालय के छात्रों को प्रभावित किया है, बल्कि सोशल मीडिया पर 45 हजार से अधिक फॉलोअर्स का एक विशाल समुदाय तैयार किया है। यह उपलब्धि मान सरकार की दूरदर्शी मातृभाषा संरक्षण नीति और शिक्षकों को दिए गए सशक्तिकरण का प्रत्यक्ष प्रमाण है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाबी भाषा को बचाने और बढ़ावा देने के लिए जो क्रांतिकारी कदम उठाए हैं, उनका सुखद परिणाम आज पूरे प्रांत में दिखाई दे रहा है।

इस शिक्षिका ने पारंपरिक शिक्षण विधियों के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर पंजाबी भाषा को रोचक और प्रासंगिक बनाने का अनूठा प्रयास किया है। कक्षा में वे गुरबाणी, लोक गीतों, पंजाबी साहित्य और प्रांत के गौरवशाली इतिहास को इस तरह प्रस्तुत करती हैं कि बच्चे स्वतः ही अपनी जड़ों से जुड़ जाते हैं। उनकी कक्षाएं केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीवंत दर्पण बन जाती हैं। छात्र-छात्राएं पंजाबी कविताओं, कहानियों और नाटकों के माध्यम से भाषा की गहराई और सुंदरता को समझते हैं। विद्यालय प्रबंधन के अनुसार, इस शिक्षिका के आने के बाद पंजाबी विषय में छात्रों की रुचि और परीक्षा परिणाम दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

सोशल मीडिया पर इस शिक्षिका की उपस्थिति एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है। उन्होंने विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर पंजाबी भाषा के दैनिक पाठ, मुहावरे, ऐतिहासिक तथ्य, लोककथाएं और सांस्कृतिक परंपराओं को सरल और आकर्षक तरीके से साझा करना शुरू किया। उनके वीडियो और पोस्ट केवल पंजाब में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में बसे पंजाबी समुदाय के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय हो गए हैं। 45 हजार से अधिक फॉलोअर्स उनके हर पोस्ट का बेसब्री से इंतजार करते हैं और सक्रिय रूप से टिप्पणियों और शेयर के माध्यम से इस मुहिम में भागीदार बनते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल युग में भाषा संरक्षण के लिए यह एक अनुकरणीय मॉडल है, जहां युवा पीढ़ी अपनी पसंदीदा प्लेटफॉर्म पर ही अपनी मातृभाषा से जुड़ पा रही है।

पंजाब सरकार की दूरदर्शी भाषा नीति और शिक्षा सुधारों ने ऐसी प्रतिभाओं को फलने-फूलने का अवसर प्रदान किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सत्ता संभालने के बाद से ही पंजाबी भाषा को प्रोत्साहित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मान सरकार ने अनेक ऐतिहासिक योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें सरकारी स्कूलों में पंजाबी शिक्षण को अनिवार्य और आकर्षक बनाना, शिक्षकों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, पंजाबी साहित्य और संस्कृति पर आधारित पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण और डिजिटल शिक्षण सामग्री का व्यापक विकास शामिल है। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की है कि मान सरकार राज्य भर के सरकारी विद्यालयों में पंजाबी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान और संसाधन उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का स्पष्ट मानना है कि पंजाबी भाषा पंजाब की आत्मा है और इसे बचाना हर पंजाबी का कर्तव्य है।

शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस शिक्षिका की पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि यह मान सरकार की नीतियों की शानदार सफलता का जीवंत उदाहरण है। “मुख्यमंत्री भगवंत मान जी ने पंजाबी भाषा को केवल संरक्षित ही नहीं रखने का संकल्प लिया है, बल्कि इसे आधुनिक समय में प्रासंगिक और गतिशील बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। मान सरकार ने शिक्षकों को वह स्वतंत्रता और संसाधन दिए हैं जो पहले कभी नहीं मिले थे। जब हमारे सरकारी स्कूलों की शिक्षिकाएं इस तरह का समर्पण और नवाचार दिखाती हैं, तो यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में उठाए गए कदम ठोस और दूरगामी परिणाम दे रहे हैं,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने गर्व से कहा। उन्होंने आगे कहा कि पंजाब का भविष्य ऐसी ही समर्पित शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है, और मान सरकार की दूरदर्शिता के कारण ही यह संभव हो पाया है।

सोशल मीडिया पर इस शिक्षिका के फॉलोअर्स में न केवल युवा छात्र हैं, बल्कि अभिभावक, शिक्षाविद, साहित्यकार और विदेशों में बसे पंजाबी भी शामिल हैं। टिप्पणियों में लोग लगातार उनके प्रयासों की सराहना करते हैं और अपने बच्चों को पंजाबी सिखाने के लिए उनकी सामग्री का उपयोग करते हैं। एक फॉलोअर ने लिखा, “मैं कनाडा में रहता हूं और अपने बच्चों को पंजाबी सिखाने में संघर्ष कर रहा था। इस शिक्षिका के वीडियो ने मेरे बच्चों में भाषा के प्रति रुचि जगा दी है।” एक अन्य युवा ने कहा, “पहले मुझे लगता था पंजाबी सीखना बोरिंग है, लेकिन इनके पढ़ाने का तरीका इतना मजेदार है कि अब मैं खुद से सीखने लगा हूं।” यह सकारात्मक प्रतिक्रिया दर्शाती है कि सही दृष्टिकोण और माध्यम से भाषा संरक्षण संभव है।

भाषा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी पहल न केवल पंजाबी भाषा को जीवित रखने में मदद कर रही है, बल्कि युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक गौरव की भावना भी पैदा कर रही है। पंजाब विश्वविद्यालय के भाषा विभाग के एक प्रोफेसर ने कहा, “जब शिक्षक केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रहते और व्यावहारिक, रोचक तरीके से भाषा सिखाते हैं, तो छात्र स्वाभाविक रूप से जुड़ते है। यह शिक्षिका डिजिटल साक्षरता और सांस्कृतिक संरक्षण का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि यदि पंजाब के हर ज़िले में ऐसी दो-तीन शिक्षिकाएं या शिक्षक सामने आएं, तो पंजाबी भाषा का भविष्य पूरी तरह सुरक्षित हो जाएगा।

पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के दूरदर्शी नेतृत्व में हाल के वर्षों में मातृभाषा को बचाने के लिए अनेक ऐतिहासिक और ठोस कदम उठाए है। सरकारी कार्यालयों में पंजाबी के उपयोग को अनिवार्य बनाना, पंजाबी साहित्य और कला को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान, युवा लेखकों और कलाकारों के लिए प्रतियोगिताएं और पुरस्कार, तथा पंजाबी भाषा के डिजिटल संसाधनों का व्यापक विकास - ये सभी मान सरकार की प्रमुख उपलब्धियां है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पंजाबी पुस्तकालयों को मजबूत करने और शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों में प्रशिक्षित करने के लिए विशेष बजट आवंटित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्वयं कई बार कहा है कि पंजाबी भाषा का संरक्षण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इन सभी प्रयासों का शानदार परिणाम यह है कि आज पंजाब के सरकारी स्कूलों में पंजाबी भाषा की शिक्षा अधिक प्रभावी, आकर्षक और गौरवान्वित करने वाली बन गई है।

इस शिक्षिका की सफलता की कहानी मान सरकार की भाषा नीति की सार्थकता और प्रभावशीलता को रेखांकित करती है। यह दर्शाती है कि जब मुख्यमंत्री भगवंत मान जैसे दूरदर्शी नेता सही नीतियां बनाते है और शिक्षक समर्पण के साथ उन्हें जमीन पर उतारते है, तो चमत्कारिक परिणाम मिलते है। पंजाब की पहचान उसकी भाषा, संस्कृति और परंपराओं में निहित है, और मान सरकार की नीतियों के तहत ऐसी शिक्षिकाएं यह सुनिश्चित कर रही हैं कि आने वाली पीढ़ियां इस विरासत को गर्व से आगे ले जाएं। यदि पंजाब के सरकारी स्कूलों में ऐसी और शिक्षिकाएं और शिक्षक आगे आएं, तो प्रांत का भविष्य न केवल सुरक्षित होगा, बल्कि और अधिक गौरवशाली बनेगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने पंजाबी बोली को बचाने और बढ़ावा देने की जो अटूट प्रतिबद्धता दिखाई है, वह इस शिक्षिका जैसे समर्पित कर्मियों के माध्यम से साकार हो रही है। मान सरकार के इस दूरदर्शी नेतृत्व में ही पंजाबी भाषा और संस्कृति का भविष्य उज्ज्वल है - यही इस पूरी पहल की सबसे बड़ी उपलब्धि और गौरव का विषय है।