fair action on corruption

भ्रष्टाचार पर हो निष्पक्ष कार्रवाई

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जनता तब खुश होती है जब सरकार को काम करते देखती है। एक सरकार का काम तब दिखता है, जब वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कदम उठाती है। आम आदमी पार्टी की सरकार मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में जिस प्रकार आजकल पूर्व सरकार के मंत्रियों, विधायकों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, उससे जनता में अच्छा संदेश जा रहा है, हालांकि यह भी जरूरी है कि इन कदमों का ठोस नतीजा सामने आए। पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा को एआईजी को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। अरोड़ा पूर्व कांग्रेस सरकार में मंत्री थे लेकिन अब कुछ समय पहले ही भाजपा में आए हैं।

आप के वरिष्ठ नेता एवं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आजकल शराब नीति में कोताही के आरोप झेल रहे हैं, वहीं पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनावी   जंग में उतरी हुई है। अरोड़ा की गिरफ्तारी भी ऐसे समय पर हुई है, जबकि दिल्ली में मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया, क्या इसमें कोई संयोग हो सकता है कि दिल्ली का बदला पंजाब में भाजपा के नेता को गिरफ्तार करके लिया जा रहा है। अब जैसी मीडिया रिपोर्ट हैं, उनमें कहा गया है कि अरोड़ा ने एआईजी को 50 लाख रुपये की रिश्वत दी, लेकिन अदालत में उनके वकीलों ने कहा कि यह रकम विजिलेंस के पास पहले से ही थी। आखिर सच क्या है, बेशक आरोप लगाए जाते हैं, लेकिन यह मामला अभी क्यों सामने आया और इसमें एआईजी स्तर के पुलिस अधिकारी को रिश्वत दी गई। यह तब है, जब पंजाब में आप के ही एक मंत्री को कॉन्ट्रैक्ट देने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यानी पंजाब में भ्रष्टाचार के अंकुर मौजूद हैं और जहां-तहां से फूट कर बाहर निकल रहे हैं।

खैर, बावजूद इसके पंजाब की मान सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई सही है और इसका समर्थन किया जाना चाहिए। राज्य का विजिलेंस ब्यूरो अब तक भ्रष्टाचार के मामलों में पूर्व सरकार के तीन पूर्व मंत्रियों को गिरफ्तार कर चुका है। इनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत और संगत सिंह गिलजियां को वन घोटाले में, भारत भूषण आशु को अनाज ढुलाई घोटाले में, पूर्व राजनीतिक सलाहकार कैप्टन संदीप संधू को सोलर लाइट घोटाले में गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बाद अब पूर्व कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा पर आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई चल रही है, लेकिन उसी कार्रवाई में रिश्वत देने के अब उन पर और आरोप लगे हैं। अरोड़ा का सामाजिक और राजनीतिक जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उन्होंने वर्ष 1995 में राजनीति में कदम रखा था, इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के तीक्ष्ण सूद को हराया था।

इसका पुरस्कार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर दिया गया। हालांकि पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के पाला बदल कर भाजपा में आने के बाद अरोड़ा भी भाजपा के हिस्सा बन गए। लेकिन अब तक बेदाग रही भाजपा को अरोड़ा की वजह से आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। भाजपा ने खुद को भ्रष्टाचार विरोधी और बेदाग पार्टी करार दिया है, लेकिन अब वह सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल तो यही पूछा जा रहा है कि आखिर एक दागी पूर्व मंत्री को पार्टी ने सदस्यता दे कैसे दी। विपक्ष अक्सर यह आरोप लगाता है कि कोई नेता दूसरी पार्टी में दागदार होता है, लेकिन भाजपा में आकर वह पाक-साफ हो जाता है। उस पर लगे आरोप खत्म हो जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है?

आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच यह तकरार अब विभिन्न राज्यों में फैल चुकी है। गुजरात चुनाव में आप को अपनी संभावनाएं ज्यादा लग रही हैं, विभिन्न आरोप-प्रत्यारोपों के बावजूद पार्टी वहां अपनी जड़ जमाने में लगी है, लेकिन दिल्ली में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से सीबीआई की पूछताछ की काट के लिए पंजाब में एक पूर्व मंत्री पर कार्रवाई संदेहास्पद है। भाजपा ने इस पर सवाल उठाए हैं कि विजिलेंस की यह कार्रवाई और सरकार की मंशा संदिग्ध है। पार्टी का यह भी कहना है कि अभी एक पक्ष ही सामने आया है, पूर्व मंत्री अरोड़ा का पक्ष सामने आना बाकी है। भाजपा नेता इसका भी आरोप मढ़ रहे हैं कि आप सरकार भ्रष्टाचार पर अलग-अलग रुख अपना रही है।

पार्टी का यह आरोप भी है कि आप के पूर्व मंत्री डॉ. विजय सिंगला पर भ्रष्टाचार के आरोप के बाद उन्हें जहां मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया गया वहीं उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया, लेकिन अब इससे ज्यादा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा आप सरकार में मंत्री फौजा सिंह सरारी पर भी आरोप हैं, लेकिन उन पर भी कार्रवाई नहीं की जा रही। पंजाब पुलिस राजनीति से प्रेरित होकर भी निर्णय लेने के लिए आरोप झेल रही है, कुमार विश्वास और तेजिंदर पाल बग्गा के खिलाफ कार्रवाई द्वेषपूर्ण प्रतीत होती है, इन मामलों में घटनाएं भी दिल्ली में घटी, लेकिन कार्रवाई पंजाब पुलिस की ओर से की गई। यह भी अनोखी बात प्रतीत हो रही है कि 50 लाख रुपये लेकर कोई मॉल में रिश्वत देने के लिए जाता है।

जाहिर है, सवाल बहुत सारे हैं। यह समय चुनावी मौसम का है, सरकारें वह चाहे किसी भी राजनीतिक दल की हों, इस समय अपने-अपने मतलब के लिए काम कर रही हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए निर्धारित संस्थाओं की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं, उठ रहे हैं। एक राज्य का विजिलेंस ब्यूरो हो या फिर सीबीआई, किसी नेता पर कार्रवाई होते समय यह देखा जाता है कि क्या वास्तव में ऐसा हुआ होगा। इसके बाद यह कहा जाता है कि सच सामने आएगा। हालांकि बरसों बीत जाते हैं और मामले या तो दफन हो जाते हैं या फिर किसी निहित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्हें उछाल दिया जाता है। हिमाचल प्रदेश और गुजरात इस समय दोनों महत्वपूर्ण राज्य हैं, दोनों राज्यों में भाजपा शासित है। वहीं आप अपने दायरे का विस्तार करने में लगी है। हालांकि यह आवश्यक है कि अगर भ्रष्टाचार के खिलाफ ही आप को लड़ाई लडऩी है तो वह निष्पक्ष होकर यह काम करे। पंजाब सरकार को अपने आरोपी मंत्रियों पर भी तुरंत प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए।