भारत निर्वाचन आयोग बिहार में निर्वाचक नामावलियों का विशेष गहन पुनरीक्षण प्रारंभ करेगा

भारत निर्वाचन आयोग बिहार में निर्वाचक नामावलियों का विशेष गहन पुनरीक्षण प्रारंभ करेगा

Election Commission of India to start Special Intensive Revision

Election Commission of India to start Special Intensive Revision

सभी पात्र नागरिकों का नामांकन सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन किया जाएगा

राजनीतिक दलों को पुनरीक्षण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा

Election Commission of India to start Special Intensive Revision: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आज बिहार राज्य में आयोग द्वारा विनिर्दिष्ट दिशा-निर्देशों और कार्यक्रम के अनुसार विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) आयोजित करने के अनुदेश जारी किए हैं। गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिकों के नाम निर्वाचक नामावली में शामिल हों ताकि वे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें, कोई भी अपात्र मतदाता निर्वाचक नामावली में शामिल न हो और निर्वाचक नामावली में निर्वाचकों के नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता लाई जा सके। बिहार के लिए अंतिम गहन पुनरीक्षण आयोग द्वारा वर्ष 2003 में किया गया था।

तेजी से बढ़ते शहरीकरण, लगातार पलायन, युवा नागरिकों का वोट देने के लिए पात्र होना, मृत निर्वाचकों की सूचना प्राप्त न होना और निर्वाचक नामावली में विदेशी अवैध आप्रवासी के नाम शामिल होने जैसे विभिन्न कारणों से गहन पुनरीक्षण करना आवश्यक हो गया है ताकि निर्वाचक नामावलियों की सत्यनिष्ठा और त्रुटिमुक्त निर्वाचक नामावलियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इस गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) सत्यापन के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करेंगे।

विशेष पुनरीक्षण करते समय, आयोग मतदाता के रूप में पंजीकृत होने की पात्रता और निर्वाचक नामावली में पंजीकरण के लिए निरर्हता के संबंध में उन संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का पूरी सावधानी से पालन करेगा, जो क्रमशः भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए हैं।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23 के अनुसार, निर्वाचक के रूप में नामांकन की पात्रता शर्तों को ईआरओ द्वारा अपना समाधान हो जाने पर पहले से ही सत्यापित कर लिया जाता था। अब, पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक होगा कि जिन दस्तावेजों के आधार पर ईआरओ का समाधान होता है, उन्हें ईसीआई-नेट पर भी अपलोड किया जाए, क्योंकि वर्तमान उन्नत प्रौद्योगिकी व्यवस्था में ऐसा करना संभव है। हालांकि, गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए ये दस्तावेज केवल अधिकृत चुनाव अधिकारियों के लिए ही सुलभ होंगे। किसी भी राजनीतिक दल या निर्वाचक द्वारा उठाए गए किसी भी दावे और आपत्ति के मामले में, ईआरओ का समाधान होने से पहले एईआरओ इसकी जांच करेगा। इस अधिनियम की धारा 24 के तहत, ईआरओ के आदेश के विरुद्ध जिला मजिस्ट्रेट और मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष भी अपील की जा सकती है। 

सीईओ/डीईओ/ईआरओ/बीएलओ को यह ध्यान रखने के निदेश दिए गए हैं कि वास्तविक निर्वाचकों, विशेष रूप से वृद्ध, बीमार, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), गरीब और अन्य कमजोर समूहों को परेशान न किया जाए और उनके लिए वॉलंटियर्स की तैनाती सहित यथासंभव सुविधा प्रदान की जाए। 

हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग द्वारा हर संभव प्रयास किए जाएंगे कि पुनरीक्षण प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और निर्वाचकों को कम से कम असुविधा हो, फिर भी आयोग सभी मतदान केंद्रों में सभी राजनीतिक दलों से अपने बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त करके इस प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा रखेगा। बीएलए की सक्रिय भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि विसंगतियां, यदि कोई हों, तैयारी के चरण में ही दूर कर ली जाएं, जिससे दावे, आपत्तियां और अपील दायर करने के मामलों में कमी आएगी। यह उल्लेखनीय है कि किसी भी चुनावी प्रक्रिया में निर्वाचक और राजनीतिक दल, दोनों ही सबसे महत्वपूर्ण हितधारक होते हैं और केवल उनकी पूर्ण भागीदारी से ही बड़े पैमाने पर संचालित होने वाले इस कार्य को सुचारू रूप से और सफलतापूर्वक संचालित किया जा सकता है

मुख्य बातें
क्या

• संविधान के अनुच्छेद 326 में यह प्रावधान है कि :
o प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, और
o जो अर्हक तिथि को 18 वर्ष से कम आयु का नहीं है, और
o किसी भी कानून के तहत अन्यथा अयोग्य (निरर्हित) नहीं है,
निर्वाचक नामावली में पंजीकृत होने का हकदार होगा।

• संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार राज्य में 01.07.2025 को अर्हक तिथि मानते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निदेश दिया है।
• बिहार में पिछला गहन पुनरीक्षण आयोग द्वारा वर्ष 2003 में 01.01.2003 को अर्हक तिथि मानते हुए किया गया था।

क्यों

• स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचक नामावली (ईआर) की सत्यनिष्ठा बनाए रखना आवश्यक है
• यह सुनिश्चित करना कि सभी पात्र नागरिक निर्वाचक नामावली में शामिल हों और कोई भी पात्र मतदाता निर्वाचक नामावली से बाहर न हो
• यह सुनिश्चित करना कि कोई भी अपात्र मतदाता निर्वाचक नामावली में शामिल न हो
• मृत/स्थानांतरित/अनुपस्थित मतदाताओं के नाम हटाना

कैसे

• ईआरओ आदेश की तिथि तक सभी मौजूदा निर्वाचकों के लिए पहले से भरे हुए गणना फॉर्म (ईएफ) को प्रिंट करेंगे और इसे बीएलओ को देंगे
• बीएलओ घर-घर जाकर सभी मौजूदा निर्वाचकों को ईएफ वितरित करेंगे
• ईएफ आयोग की वेबसाइट/ईसीआई-नेट पर उपलब्ध होगा जिसे कोई भी निर्वाचक डाउनलोड कर सकता है जिसका नाम आदेश की तिथि को निर्वाचक नामावलियों में मौजूद है
• सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बीएलए पूरी प्रक्रिया में सहभागी (शामिल) होंगे
• बीएलओ ईएफ भरने के बारे में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे 
• सीईओ/डीईओ/ईआरओ/बीएलओ यह ध्यान रखेंगे कि वास्तविक निर्वाचकों, विशेषकर वृद्ध, बीमार, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), गरीब और अन्य कमजोर समूहों को परेशान न किया जाए और उन्हें वॉलंटियर्स की तैनाती के माध्यम से यथासंभव सुविधा प्रदान की जाए।
• बीएलओ जनता से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ईएफ एकत्र करेंगे
• वैकल्पिक रूप से, मौजूदा निर्वाचक भी ईएफ और दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं
• बीएलओ पर्यवेक्षक बीएलओ के गुणात्मक और मात्रात्मक आउटपुट की जांच करेंगे
• उन सभी निर्वाचकों की ड्राफ्ट निर्वाचक नामावली तैयार की जाएगी, जिनके ईएफ प्राप्त हो चुके हैं
• ड्राफ्ट निर्वाचक नामावली की प्रतियां सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएंगी और ईसीआई/सीईओ की वेबसाइट पर भी डाली जाएंगी
• किसी भी निर्वाचक या किसी भी राजनीतिक दल द्वारा किन्हीं भी नामों को जोड़ने/हटाने के लिए दावे और आपत्तियां दायर की जा सकती हैं
• एईआरओ किसी भी पात्र व्यक्ति के नाम हटाए जाने या किसी भी अपात्र व्यक्ति को शामिल करने की किसी भी शिकायत की जांच करेगा
• दावों और आपत्तियों पर निर्णय के बाद, ईआरओ द्वारा अंतिम निर्वाचक नामावली प्रकाशित की जाएगी
• अंतिम निर्वाचक नामावली की प्रतियां सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएंगी और ईसीआई/सीईओ की वेबसाइट पर भी डाली जाएंगी
• अधिनियम की धारा 24 के तहत, ईआरओ के आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तथा द्वितीय अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष भी की जा सकती है।