Eid-e-Milad-Un-Nabi Mubarak 2023: आज है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी, जानें इसका क्या है महत्व और इतिहास?
- By Sheena --
- Thursday, 28 Sep, 2023
Eid-e-Milad-Un-Nabi Mubarak 2023 Know History and Significance
Eid-e-Milad-un-Nabi Mubarak 2023: 28 सितंबर 2023 को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाया जा रहा है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद-ए-मिलाद तीसरे महीने में रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। मिलाद-उन-नबी का पर्व इस्लाम धर्म के मुताबिक महत्वपूर्ण है। इस दिन इस्लाम के पैगंबर हजरत मुहम्मद का जन्म हुआ था। उन्होंने अल्लाह के संदेशों को सभी तक पहुंचाया। इस पर्व को नबी मुहम्मद के जीवन और उनके संदेश के प्रति समर्पित रूप से मनाया जाता है। आपको बतादें कि इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों में एकत्र होकर नमाज पढ़ते हैं। कहते हैं कि इस दिन पवित्र कुरान के पाठ से अल्लाह का रहम बरसता है। इसके अलावा लोग अपने परिजनों और करीबियों से मिलकर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की शुभकामनाएं देते हैं।
पैगंबर मोहम्मद साहब से जुड़ी खास बातें
मक्का में जन्म पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम मोहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मत्तलिब था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और माता का नाम अमिना बीबी था। कहा जाता है कि हजरत साहब को 610ई. में मक्का के हीरा नाम की गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसके बाद ही उन्होंने इस्लाम धर्म की पवित्र कुरान का उपदेश दिया था। ऐसा माना जाता है कि हजरत मोहम्मद साहब का मानना था कि सबसे नेक इंसान वही है, जिसमें मानवता होती है। हजरत साहब का कहना था कि जो ज्ञान का आदर करता है, उनका मेरा सम्मान करता है।
इतिहास और महत्व
पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को मनाने की उत्पत्ति का पता इस्लाम के शुरुआती चार रशीदुन खलीफाओं से लगाया जा सकता है और इस दिन को मनाने का विचार सबसे पहले फातिमियों द्वारा शुरू किया गया था। कुछ मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में रबी अल-अव्वल के बारहवें दिन मक्का में हुआ था। हालांकि बोलचाल की अरबी में "मावलिद" शब्द का अर्थ बच्चे को जन्म देना या जन्म देना होता है, कुछ लोगों द्वारा ईद-ए-मिलाद का शोक भी मनाया जाता है क्योंकि इसे पैगंबर की मृत्यु की सालगिरह भी माना जाता है। सबसे पहले मिस्र में एक आधिकारिक त्योहार के रूप में मनाया जाने वाला ईद-ए-मिलाद का उत्सव 11वीं शताब्दी के दौरान अधिक लोकप्रिय हो गया। उस समय, आम जनता के बजाय केवल क्षेत्र में शिया मुसलमानों की तत्कालीन शासक जनजाति ही त्योहार मना सकती थी। ईद-ए-मिलाद 12वीं शताब्दी में ही सीरिया, मोरक्को, तुर्की और स्पेन द्वारा मनाया जाने लगा और जल्द ही कुछ सुन्नी मुस्लिम संप्रदायों ने भी इस दिन को मनाना शुरू कर दिया।