Philosophy: तत्वज्ञान के पश्चात ही भक्ति प्रारंभ होती है - संत रामपाल जी।
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Philosophy: तत्वज्ञान के पश्चात ही भक्ति प्रारंभ होती है - संत रामपाल जी।

Philosophy: तत्वज्ञान के पश्चात ही भक्ति प्रारंभ होती है - संत रामपाल जी।

Philosophy: तत्वज्ञान के पश्चात ही भक्ति प्रारंभ होती है - संत रामपाल जी।

Philosophy: खमाणों स्थित सतलोक आश्रम में चौथे विशाल सत्संग समागम का आयोजन किया गया। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में संत रामपाल जी के अनुयायियों द्वारा भाग लिया गया व प्रोजेक्टर के माधियम से अद्वित्य अधियात्मिक प्रवचन श्रवण किए गए। सत्संग प्रवचनों दौरान संत जी ने समझाया कि तत्व ज्ञान हो जाने पर नाना प्रकार के भ्रमित करने वाले वचनों से विचलित हुई मानव बुद्धि एक पूर्ण परमात्मा पर दृढ़ता से स्थिर हो जायगी। तब मानव योगी बनेगा अर्थात्त तब मनुष्य अनन्या मन से निरशंश्य होकर एक पूर्ण प्रभु कि भक्ति प्रारम्भ करेगा। जैसे बहुत बड़े जलाशय के प्राप्त हो जाने के पश्चात छोटे जलाशय में जितना प्रयोजन रह जाता है।  इसी प्रकार पूर्ण परमात्मा के गुणों का ज्ञान तत्व ज्ञान द्वारा होजाने पर प्राणी कि आस्था अन्य ज्ञानों में तथा अन्य भगवानों में उतनी ही रह जाती है।  जैसे छोटा जलाशय बुरा नहीं लगता परन्तु उसकी क्षमता का पता लग जाता है कि यह काम चलाऊ सहारा है जो जीवन के लिए पर्याप्त नहीं है तथा बहुत बड़ा जलाशय प्राप्त होने पर पता चल जाता है कि यदि अकाल गिरेगा तो भी समस्या नहीं आएगी अत: प्राणी तुरंत छोटे जलाशय को त्याग कर बड़े जलाशय पर आश्रित हो जाएगा।  इसी प्रकार तत्वदर्शी संत से पूर्ण परमात्मा के तत्व ज्ञान के द्वारा, पूर्णब्रह्म की महिमा से परिचित हो जाने के पश्चात साधक पूर्ण रूप से उस पूर्ण परमात्मा पर सर्व भाव से आश्रित जो जाता है। आगामी कार्याक्रम की जानकारी देते हुए भक्त रामदास, सुखदेव दास, नरेश दास व दीपक दास ने बताया की 8 सितम्बर को संत रामपाल जी का अवतरण दिवस आरहा है जिसके उपलक्ष में 6 सितम्बर से 8 सितम्बर तक संत गरीब दास जी की अमर वाणी के अखंड पाठ किया जाएगा व तीन दिन लगातार लड्डू और जलेबी का भंडारा चलेगा।  जिसमें भिन्न-भिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे है व आश्रम के आस-पास के सभी निवासी भी सादर आमंत्रित है।