chaos in punjab

पंजाब को अराजक होने से रोको सीएम साहब!

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chaos in punjab : पंजाब में सुरक्षा-व्यवस्था (security in punjab) के बिगड़ते हालात की यह बानगी है कि एक हफ्ते के अंदर पुलिस सुरक्षा प्राप्त दो लोगों की हत्या कर दी गई। इसके अलावा मोहाली में भी 70 वर्षी एक महंत की हत्या कर दी गई। छह दिन पहले अमृतसर (Amritsar)  में शिवसेना टकसाली के नेता सुधीर सूरी को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ही गोली मार दी गई थी वहीं अब फरीदकोट में बरगाड़ी बेअदबी मामले में आरोपी डेरा प्रेमी प्रदीप सिंह का कत्ल कर दिया गया। इस गोलीकांड का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसमें पांच हत्यारे हाथों में पिस्तौल लिए हुए डेरा प्रेमी पर गोलियां दाग रहे हैं। इस दौरान एक पूर्व पार्षद जोकि बचाव के लिए आए थे, पर भी गोली चलाई गई। पंजाब में धार्मिक मामले बेहद संवेदनशील रूप लेते हैं और एक घटना के बाद कट्टरता की तमाम हदें पार होती नजर आती हैं। बरगाड़ी मामले में साल 2016 के बाद से अब तक 7 डेरा प्रेमियों की हत्याएं की जा चुकी हैं। यह कैसी विडम्बना है कि पंजाब में पहली बार सत्ता में आई आम आदमी पार्टी कानून और व्यवस्था को नियंत्रित कर पाने में असफल होती नजर आ रही है। पंजाबी गायक सिद्धू मुसेवाला की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था, उसके बाद से रह-रहकर ऐसी वारदातेें सामने आ रही हैं, जिन्होंने आम आदमी के दिल में भय पैदा कर दिया है। पंजाब ने आतंकवाद का भयानक दौर देखा है, लेकिन अब जनता उस दौर को लौटते नहीं देखना चाहती।

सुधीर सूरी (Sudhir Soori) की हत्या की वजह उनके पंजाब में गर्मख्यालियों के प्रति बयान बने, जिनमें वे कट्टरपंथियों के खिलाफ अपनी बात रखते थे। हिंदू धर्म के पैरोकार बने सूरी पंजाब और देश के बाहर बैठे आतंकियों के निशाने पर थे, और आखिरकार आतंकी अपने मिशन में कामयाब रहे। इस वारदात के बाद बेहद गलत संदेश जनता में गया, एक धर्मनिरपेक्ष राज्य और देश में धार्मिक कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, लेकिन पंजाब की सियासत और कट्टरपंथी इससे वास्ता रखते नजर नहीं आते। यही वजह है कि कनाडा और दूसरे देशों में छिपकर बैठे आतंकी पंजाब में जनमत संग्रह की बात कर इस राज्य की शांति में खलल डालने की चेष्टा करते रहते हैं। प्रदीप सिंह बरगाड़ी (Pradeep Singh Bargadi) मामले में आरोपी थे, लेकिन उनकी हत्या की वजह महज यह नहीं है, इस हत्याकांड में सामने आ रहा है कि गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या में शामिल लॉरेंस गैंग (Lawrence Gang) के सरगना गोल्डी बराड़ (Goldi Barar) ने राज्य के गर्मख्यालियों के विरोध से बचने के लिए प्रदीप सिंह की हत्या करवाई, यानी अपने फायदे और किसी को क्षति पहुंचाने की सोच से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के आरोपियों को मौत की सजा मिल रही है। यह भी खूब है कि इस हत्याकांड की जिम्मेदारी सरगना गोल्डी बराड़ ने ली है, लेकिन पुलिस अभी भी टारगेट किलिंग होने पर ना नुकुर कर रही है। आखिर इन दोनों वारदातों को जब सोचे-समझे तरीके से अंजाम दिया गया है, तब इन्हें टारगेट किलिंग मानने में क्या बुराई है? क्या पुलिस की मंशा इन्हें किसी लड़ाई-झगड़े या फिर कहासुनी से जोड़ कर पेश करने की है।

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अभी हफ्तेभर पहले जब सुधीर सूरी की हत्या की गई तो मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Man) की ओर से बयान आए थे कि पंजाब की शांति को भंग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। हालांकि अब एक और हत्या के बाद उनकी ओर से फिर ऐसा बयान आया है। क्या ऐसे बयान रवायती हो गए हैं, आखिर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति कायम करना पुलिस का काम है, लेकिन पंजाब में पुलिस कहीं प्रभावी नजर नहीं आ रही है। बेशक, राज्य में अपराध, सियासत और पुलिस के बीच न टूटने वाला गठजोड़ है, यही वजह है कि जहां कार्रवाई होनी चाहिए वहां नहीं होती है और पुलिस किसी राजनीतिक के इशारे पर अपराधियों को संरक्षण देती नजर आती है। राज्य सरकार के लिए यह आवश्यक है कि वह पुलिस विभाग के पेच कसे, पंजाब पुलिस को बेहतरीन फोर्स माना जाता था, लेकिन आजकल राज्य पुलिस मूकदर्शक बनी ज्यादा नजर आती है। सरकार के लिए यह भी जरूरी है कि वह विदेश में बैठे भगोड़े अपराधियों का प्रत्यर्पण करा कर उन्हें कड़ी सजा दिलाए। पंजाब की शांति और व्यवस्था को भंग करने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी (Pakistan's intelligence agency) का भी हाथ होता है, ऐसे में राजनीतिक मंशा साफ तौर पर उन लोगों की पहचान की होनी चाहिए जोकि खालिस्तानवादी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं और इसके लिए पाकिस्तान अपने मंसूबों को पूरा करने की जुगत में है। पंजाब की आप सरकार के लिए राज्य सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य में ऐसी वारदातें ही संभावित वारदातों को रास्ता दिखाती हैं। आतंकवाद (terrorism) के दौर में भी यही हुआ था। अराजकता की ओर बढऩे से पहले राज्य में कानून और व्यवस्था को बेहद सख्त किए जाने की आवश्यकता है और यह काम राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही संभव है। इसके लिए प्रशासनिक दूरदर्शिता चाहिए और मौजूदा सरकार को इस पैमाने पर खरा उतरना होगा।   

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