शान्ति एवं अहिंसा के अग्रदूत सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव के दर्शन पाने को लेकर लोगों में उत्साह

People are excited to have darshan of Siddheshwar Brahmarshi Gurudev, the pioneer of peace and non-v

People are excited to have darshan of Siddheshwar Brahmarshi Gurudev, the pioneer of peace and non-v

People are excited to have darshan of Siddheshwar Brahmarshi Gurudev, the pioneer of peace and non-violence- चंडीगढ़। शान्ति एवं अहिंसा के अग्रदूत सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव 192 देशों में घूम-घूम कर ऐसे समाज, राष्ट्र एवं विश्व के निर्माण में संलग्न हैं जहां किसी भी प्रकार का जातिवाद, सम्प्रदायवाद नहीं है, सिर्फ मानवता है। महायोगविभूति परमात्मीय ऊर्जा सम्पन्न ऐसे ‘सिद्ध गुरुवर’ का इस युग में सान्निध्य मिलना हम सबका अहोभाग्य है।

सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव जी कल जीरकपुर के होटल पार्क प्लाजा में शाम को सवा चार बजे श्रद्धालुओं को अपने संदेश व उपदेश देकर कृतार्थ करेंगे। इस संबंध में शक्ति चेतना उत्सव का संचालन राष्ट्रीय संयोजक भूपेंद्र जैन जानकारी देते हुए बताया कि  उत्सव का शुभारंभ होटल पार्क प्लाज़ा अम्बाला-चण्डीगढ़ नेशनल हाईवे, जीरकपुर में रविवार को शाम 4.15 बजे से होगा। 

सौम्य साधारण व्यक्तित्व योगविभूति सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव ने न केवल सांसारिक शिक्षा में सर्वोत्तम स्थान प्राप्त किया अपितु आध्यात्मिक क्षेत्र में भी आगम, निगम, वेद, पुराण, गुरुग्रंथ साहिब, रामायण, बाइबिल, कुरान, उपनिषद, महाकाव्य, भगवद्गीता जैसे पवित्र दैविक शास्त्रों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया। 

‘सिद्ध गुरुवर’ सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव का सन्देश एवं उपदेश है, अपनी आत्मा को ऊपर उठाओ, शक्तिशाली बनाओ, दैविक बनाओ। तुम सब भगवान् के भेजे हुए ईश्वरीय दूत हो। तुम जन्म से ही विजेता हो और जन्मे ही हो जीतने के लिए। मैं तुमसे, परिवार से परमात्मा तक की यात्रा करवाते हुए तुम्हें मुक्त भी करवाऊंगा। जीवन को ऐसे जियो कि यह जीवन औरों और आने वाली पीढ़ी के लिए आदर्श बन जाए। जीवंत जीवन जियो। ‘शिक्षा, सेवा, साधना’ यही हमारा जीवन है। जीव सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। धर्म ही सेवा है, सेवा ही पूजा है। "स्व" को ऊपर उठाओ और औलोदन को उठाने में प्रेरक और सहयोगी बनो। यही है ‘स्वधर्म’ और ‘परधर्म’। जीवन में संयम, अहिंसा, तप, दर्शन और चरित्र (कर्म) का सुन्दर समन्वय होना चाहिए ताकि हमारा जीवन आत्मदर्शन का बने, प्रदर्शन का नहीं।

संस्कृत के साथ-साथ ज्योतिष में भी डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।  सिद्ध गुरुवर ऐसे महायोगी हैं, जिनकी कुंडलिनी के जन्म से ही सातों चक्र जाग्रत हैं तथा विष्णुलोक, शिवलोक व ब्रह्मलोक को प्राप्त कर ब्रह्मर्षि गुरुदेव, सिद्धेश्वर व अरिहन्त हो गये हैं। ‘सिद्ध गुरुवर ने गहन तप-साधना द्वारा अष्ट सिद्धियों एवं नव निधियों को प्राप्त किया। ऋषि-मुनियों की पुरातन सिद्धियाँ, जो प्राय: लुप्त हो गई थीं, उन्हें मंत्र शक्ति और गहन साधना से खोजा और पुन: सिद्ध किया और आज भी निरन्तर अपनी साधना व तपस्या से नई-नई सिद्धियों को खोज कर पुन: सिद्ध कर रहे हैं। गुरुवर समस्त सिद्धियों का उपयोग संसार व मानवता के कल्याण हेतु कर रहे हैं। वास्तव में वे नरदेह में ‘ईश्वरीय शक्ति’ हैं।

यह जानकारी चंडीगढ़ के संयोजक नरेश गर्ग और सचिव अनिरुद्ध शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि नि:सन्देह सिद्धेश्वर ब्रह्मर्षि गुरुदेव की कृपादृष्टि एवं दुर्लभ अप्रतिम प्रार्थनाएं, सिद्धित मंत्रों का महाआशीर्वाद हमारे जीवन की दिशा व दशा दोनों बदल सकता है बशर्ते हमारा विश्वास, हमारा समर्पण, हमारा संकल्प शत-प्रतिशत हो। शक्ति चेतना उत्सव का संचालन राष्ट्रीय संयोजक भूपेंद्र जैन चंडीगढ़ के अध्यक्ष सुरेश गुप्ता करेंगे।