Chandigarh Mayor Election| चंडीगढ़ मेयर चुनाव फिर से हाईकोर्ट में; 8 वोट इनवैलिड करने पर आज सुनवाई, आखिर क्या होगा फैसला?

चंडीगढ़ मेयर चुनाव फिर से हाईकोर्ट में; 8 वोट इनवैलिड करने पर आज सुनवाई, आखिर क्या होगा फैसला? 2022 में तो रद्द कर दी थी याचिका

Chandigarh Mayor Election In Punjab and Haryana High Court

Chandigarh Mayor Election In Punjab and Haryana High Court

Chandigarh Mayor Election: चंडीगढ़ मेयर चुनाव का मामला एक बार फिर से पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। दरअसल, आप-कांग्रेस गठबंधन ने मेयर चुनाव में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। जहां उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा आज सुनवाई तय की गई है। आप-कांग्रेस गठबंधन का आरोप है कि, पीठासीन अधिकारी ने बीजेपी को जिताने के लिए उसके 8 वोट अवैध तरीके से इनवैलिड किए हैं। क्योंकि बीजेपी को पता था कि गठबंधन के पास बहुमत है और जिसके चलते उसकी हार निश्चित है। आप-कांग्रेस गठबंधन ने एक वीडियो क्लिप भी जारी की है। जिसमें पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होने खुद गठबंधन के वोटों पर पेन से निशान लगाए हैं। बता दें कि, मेयर चुनाव में पूरी वोटिंग प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की गई थी।

हाईकोर्ट में सबूत दिए गए हैं

हाईकोर्ट में आप-कांग्रेस गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील फेरी सोफत ने कहा कि, बीजेपी ने मेयर चुनाव में मनमाने ढंग से अपनी जीत हासिल की है। बीजेपी ने लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया। लोकतंत्र का मजाक बना दिया। इसीलिए हमने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर इस फर्जीवाड़े के विरोध में सुनवाई की अपील की है। हमने हाईकोर्ट में सबूत दिए हैं। आप-कांग्रेस गठबंधन की मांग है कि, मेयर चुनाव में बीजेपी और पीठासीन अधिकारी के फर्जीवाड़े के खिलाफ  सख्त एक्शन हो और इस मेयर चुनाव को अमान्य घोषित किया जाये। फिलहाल अब देखना यह होगा कि, हाईकोर्ट की तरफ से आखिर इस पूरे विवाद पर फैसला क्या आता है? क्या चंडीगढ़ मेयर चुनाव फिर से होगा? बीजेपी की जीत पर स्टे लग जाएगी?

पीठासीन अधिकारी ने कहा- आप-कांग्रेस पार्षदों ने वोट फाड़े

आप-कांग्रेस गठबंधन के आरोप पर पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह का कहना है कि, हमने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशानुसार ही मेयर चुनाव सम्पन्न कराया। चुनाव में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। चुनाव की पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ हुई है। आप-कांग्रेस का आरोप बेबुनियाद है। अनिल मसीह ने बताया कि, जब हम बैलेट पत्र यानि वोट सभी पार्षदों को जारी कर रहे थे तो इस दौरान आप और कांग्रेस के पार्षद 11 बैलेट पत्रों को लेकर चिंतित थे। उनका कहना था कि बैलेट पत्रों पर निशान हैं, जिसके बाद तत्काल रूप से उनके बैलेट पत्र बदल दिए गए और उन्हें नए बैलेट पत्र जारी किए गए। इसके बाद चुनाव के लिए वोटिंग शुरू की गई।

अनिल मसीह ने कहा कि, वोटिंग होने के बाद जब उन्होने गिनती की तो बीजेपी उम्मीदवार मनोज सोनकर को 16 वोट मिले और आप-कांग्रेस गठबंधन को 12। जबकि 8 वोट इनवैलिड निकले। इसके बाद हमने AAP-कांग्रेस उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट से बैलेट पेपर की जांच करने के लिए कहा, लेकिन इस दौरान आप-कांग्रेस के पार्षद चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए हंगामा करने लगे और मेज पर कूदकर बैलेट पत्रों पर कब्जा करने की कोशिश की। पार्षदों ने कुछ बैलेट पत्रों कब्जा कर लिया और इस दौरान पार्षदों ने छीना-झपटी करके कुछ बैलेट पत्र फाड़ भी दिए। अनिल मसीह ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस के मार्शलों ने पार्षदों से बैलेट पत्र जैसे-तैसे छुड़ाये। अनिल मसीह का कहना है कि, आप और कांग्रेस ने चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने की साजिश रची है। इसलिए बीजेपी ने नहीं आप और कांग्रेस ने लोकतन्त्र की हत्या करने की कोशिश की है।

2022 में तो रद्द कर दी थी याचिका

मालूम रहे कि, इससे पहले साल 2022 के चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भी आम आदमी पार्टी का एक वोट इनवैलिड करार दिया गया था। इस इनवैलिड वोट के चलते उस समय आप को 13 वोट ही मिल पाये थे जबकि बीजेपी ने 14 वोट पाकर जीत हासिल कर ली। तब सरबजीत कौर चंडीगढ़ की 28वीं मेयर बनी थीं। सरबजीत कौर ने वार्ड नंबर- 22 से पार्षद और आप की मेयर उम्मीदवार अंजू कत्याल एक वोट से हराया था। कांग्रेस और अकाली ने मेयर चुनाव (2022) में हिस्सा नहीं लिया था।

इनवैलिड वोट का मसला हाईकोर्ट तक पहुंचा था

वोट इनवैलिड घोषित होने के बाद आप ने खूब हंगामा किया था। वहीं बाद में आम आदमी पार्टी ने इनवैलिड वोट को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। आप ने हाईकोर्ट में मेयर चुनावी प्रक्रिया को गलत बताया था। हालांकि, इस मसले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आप की याचिका को निरस्त कर दिया था। जिससे आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा था.