Chandigarh Juice Seller Son Became Sub-Inspector: पिता चंडीगढ़ में लगाते जूस की रेहड़ी, बेटा बन गया सब-इंस्पेक्टर

पिता चंडीगढ़ में लगाते जूस की रेहड़ी, बेटा बन गया सब-इंस्पेक्टर: रेलवे और CISF में भी लगी नौकरी, मगर सपना Police में जाने का था

Chandigarh Juice Seller Son Became Sub-Inspector

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Chandigarh Juice Seller Son Became Sub-Inspector: मां-बाप की तमन्ना होती है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर कामयाब बनें। वह अपनी खराब आर्थिक स्थिति के बावजूद बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। खुद पर खर्चा घटा और इधर-उधर हाथ पैर मार वह बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे संजोते हैं। दिन-रात मेहनत करते हैं। और ऐसे में जब बच्चे आगे चलकर कामयाबी की इबारत लिख दें तो मां-बाप के सारे जत्न भी स्वारथ हो जाते हैं और इस बीच उन्हें जो गर्व महसूस होता है वह अपने-आप में बड़ा सुखदायी है।

बतादें कि, कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे हैं चंडीगढ़ में जूस की रेहड़ी लगाने वाले बाबू लाल यादव। जिनके बेटे ने उनकी मेहनत सफलता में बदल दी है। रेहड़ी पर जूस बेचने वाले बाबू लाल का बेटा अब सब-इंस्पेक्टर बन गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस में बेटे ने सब-इंस्पेक्टर की नौकरी पाई है। बेटे का कंधों पर डबल स्टार देख बाबू लाल और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। बेटे का नाम विपिन यादव है। उम्र अभी करीब 24 साल है।

 Chandigarh Juice Seller Son Became Sub-Inspector
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1996 में यूपी से चंडीगढ़ आए

बेटे की सफलता पर जब बाबू लाल यादव से हमने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि, वह अपने परिवार के साथ 1996 में यूपी से चंडीगढ़ आए थे। वह मूल रूप से यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। बाबू लाल का कहना था कि, चंडीगढ़ आने के बाद जीवनयापन के लिए उन्होंने काम के तौर जूस की रेहड़ी लगानी शुरू की। तबसे वह अब तक जूस की रेहड़ी ही लगा रहे हैं और यह काम वह आगे भी करते रहेंगे। बतादें कि, बाबू लाल यादव चंडीगढ़ के सेक्टर-9 में जूस रेहड़ी लगाते हैं और नयागांव में निवास कर रहे हैं।

बच्चों को पढ़ाने की कोशिश रही

बाबू लाल ने बताया कि, उनकी स्थिति इस समय खुश होने वाली भी है और इमोशन होने वाले भी। क्योंकि बेटे ने उनकी मेहनत की लाज रखी। उन्होंने अगर मेहनत की तो बेटे ने अपनी पढ़ाई में उससे दुगनी मेहनत कर उनकी तमाम जद्दोजहद को सफल बना दिया। बाबू लाल ने बताया कि, वह पढ़ाई के प्रति हमेशा जागरूक रहे हैं। इसलिए वह जो कुछ नहीं कर पाए, वह चाहते थे कि उनके बच्चे वो सब करें। बाबू लाल ने कहा कि, उन्होंने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई बार फीस देने के लिए पैसे कम पड़ जाते थे तो इधर उधर से करके दिए लेकिन पढाई में रुकावट नहीं आने दी।

बाबू लाल बताते हैं कि, बेटे के अलावा उनकी दो बेटियां भी हैं। दोनों बेटियां बेटे से छोटी हैं। एक स्कूलिंग कर रही है तो एक इस समय कॉलेज में है। बाबू लाल का कहना है कि, उनकी दोनों बेटियां भी बेटे की तरह पढ़ने में अव्वल हैं। खासकर छोटी वाली बेटी तो पढ़ने में बहुत तेज है और वह आगे चलकर बड़ी अफसर बनना चाहती है। बाबू लाल ने बताया कि, सब-इंस्पेक्टर बने अपने भाई को दोनों बहने अपनी प्रेरणा मान रही हैं। इसके साथ ही बेटे का भी कहना है कि, अब वह अपनी दोनों बहनों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उन्हें भी कामयाब बनाएगा।

रेलवे और CISF में भी लगी नौकरी, मगर सपना Police में जाने का था

बाबू लाल कहते हैं कि, पढ़ाई पूरी होने के बाद विपिन तैयारी करने के लिए इलाहाबाद चला गया था और यहीं रहकर उनसे जी तोड़ तैयारी की। इस बीच विपिन का रेलवे ग्रुप डी में सिलेक्शन हुआ लेकिन वह नहीं गया। इसके साथ ही CISF में उसकी नौकरी लगी मगर वह यहां भीं नहीं गया। विपिन का सपना पुलिस में जाने का था और अब जब उसका उत्तर प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर सिलेक्शन हुआ तो यह नौकरी उसने ज्वाइन कर ली। बाबू लाल ने बताया कि, विपिन की सीतापुर में अभी ट्रेनिंग चल रही है। मार्च को वह ट्रेनिंग पर गया था।

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