केंद्र के पास नहीं कश्मीर में आतंकियों के हाथों मरे लोगों की जानकारी

केंद्र के पास नहीं कश्मीर में आतंकियों के हाथों मरे लोगों की जानकारी

केंद्र के पास नहीं कश्मीर में आतंकियों के हाथों मरे लोगों की जानकारी

केंद्र के पास नहीं कश्मीर में आतंकियों के हाथों मरे लोगों की जानकारी

पलायन करके वापस लौटने वालों की भी नहीं जानकारी
तीन दशक में आंतकियों के हाथें मारे गए 274 लोगों में से दो कश्मीरी पंडित 

चंडीगढ़, 09 मई। जम्मू कश्मीर में आतंकियों के हाथों मारे गए लोगों का ब्यौरा केंद्र सरकार के पास नहीं है। जम्मू कश्मीर पुलिस के जम्मू मुख्यालय की डीएसपी एवं जन सूचना अधिकारी स्वाति शर्मा ने आरटीआई में अपने पत्र द्वारा बताया कि आंतकवादियों के हाथों जिला जम्मू  में वर्ष 1989 से आज तक सिर्फ दो कश्मीरी पंडित मारे गए । जबकि इस दौरान आंतकवादियों द्वारा मारे गए कुल 274 लोगों में से 197 हिंदू, 37 मुस्लिम, 36 सिख व दो अज्ञात थे। 

दूसरी ओर ज़ोनल पुलिस हैड क्वार्टर कश्मीर के जन सूचना अधिकारी ने अपने 1 अप्रैल 2022 के पत्र द्वारा सूचना देने से इनकार करते हुए कहा कि आंतकवादियों के हाथों मारे गए कश्मीरी पंडितों व मुस्लिमों व अन्य धर्म के लोगों की संख्या बताने से व पलायनकर्ताओं की घर वापसी की सूचना देने से देश की  एकता अखण्डता व सुरक्षा खतरे में आ जाएगी।

सबसे बड़ी हैरानी है कि मोदी सरकार के पास वर्ष 1989 से आज तक जम्मू कश्मीर में आंतकवादियों के हाथों मारे गए व पलायनकर्ता कश्मीरी पंडितों, मुस्लमानों व अन्य  की संख्या की कोई सूचना ही नहीं है। सरकार को यह भी नहीं पता कि पलायनकर्ता कुल कितने कश्मीरी पंडितों को वापिस कश्मीर में बसाया जा चुका है। यह चौंकाने वाला खुलासा पानीपत (हरियाणा) आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरटीआई से मिली सूचना से किया है। 

कपूर को केंद्रीय गृह मंत्रालय के डिप्टी सेक्रेटरी एवं केंद्रीय जन सूचना अधिकारी कबिराज साबर ने अपने 26 अप्रैल 2022 के पत्र द्वारा बताया कि उनके पास जम्मू कश्मीर में वर्ष 1989 से आंतकवादियों के हाथों मारे गए इन मृतकों की कुल संख्या की सूचना उपलब्ध नहीं है। जम्मू कश्मीर से कुल 44 हजार 684 परिवारों (कुल 1,54,712 लोगों ) ने पलायन किया। इन पलायन कर्ताओं में से कितने कश्मीरी पंडित थे,कितने मुस्लिम या अन्य थे,यह जानकारी भी केंद्र सरकार के पास मौजूद नहीं है। केंद्र सरकार के पास यह सूचना भी नहीं है कि कितने कश्मीरी पंडितों को आज तक वापिस कश्मीर में बसाया गया। प्रधानमंत्री के विकास पैकेज के तहत कुल 2015 कश्मीरी पलायनकर्ताओं को नौकरी दी गई है।