Cases of deaths due to poisonous liquor serious in Punjab

Editorial: पंजाब में जहरीली शराब से मौतों के मामले गंभीर, उठें सख्त कदम

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Cases of deaths due to poisonous liquor serious in Punjab

जहरीली शराब से मौतों का मामला एक बार फिर देश में सुर्खियां बन रहा है, पंजाब के संगरूर में अब तक 8 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। यह इस साल जहरीली शराब से मौतों की पहली घटना है। जैसी रपट सामने आ रही है, उसके मुताबिक इस समय अस्पताल में 12 वे लोग भर्ती हैं, जिनकी हालत जहरीली शराब के सेवन से खराब हुई थी। यह कितनी हैरतनाक बात है कि पुलिस के दावे के बावजूद घर में ही फैक्ट्री लगाकर आरोपी जहरीली शराब बना रहे थे। आरोपियों ने यह सब यूट्यूब पर सीखा और वे यह मान कर चल रहे थे कि एथेनॉल मिलाने से ज्यादा नशा होगा और उनकी बनाई शराब ज्यादा बिकेगी।

यह सब बेहद गंभीर और चिंताजनक है। ऐसा भी सामने आ रहा है कि होशियारपुर में 500 एकड़ के जंगल में रोजाना सैकड़ों भटि्ठयां चल रही हैं, जिनमें अवैध शराब बनाई जा रही है। जहरीली शराब के मामले तब एकाएक सुर्खियां बन जाते हैं, जब उनके सेवन से मौतें हो जाती हैं, देशभर में तमाम ऐसे राज्य हैं, जहां पर जहरीली शराब के सेवन से मौतें होती रहती हैं।

जाहिर है, देशभर में जहरीली शराब को बनाने का धंधा चलता रहता है, लेकिन समय रहते न सरकार ध्यान देती है और न ही उसकी पुलिस। लेकिन जब हादसा घट जाता है और मौतें सुर्खियां बन जाती हैं, तब सभी का ध्यान इस तरफ जाता है। बिहार जहरीली शराब से मौतों के मामले में सबसे बदनाम राज्य है, यहां शराब की बिक्री पर रोक लगाई गई थी।

राज्य में बीते वर्षों में अनेक बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जब जहरीली शराब से मौतें हुई हैं। जब प्रत्येक को यह मालूम होता है कि उस चीज के सेवन से क्या हानि हो सकती है, बावजूद इसके अगर कोई उसका सेवन कर रहा है तो उस हानि के लिए वही जिम्मेदार होना चाहिए। हालांकि कानून के शासन का अभिप्राय यही है कि नागरिकों को गलत दिशा में जाने से रोका जाए। एक सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह जनता को ऐसी बुराई से रोकने के लिए हर संभव कोशिश करे, लेकिन यह कहना उचित जान नहीं पड़ता है कि हमें क्या, लोगों को खुद मालूम होना चाहिए कि जहरीली शराब पीना कितना हानिकारक है।

गौरतलब है कि पंजाब में जहरीली शराब से मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक में पहुंचा है। यहां माननीय न्यायालय का राज्य में अवैध शराब के कारोबार की जांच पर असंतोष जताना सरकारी अधिकारियों को यह नसीहत होना चाहिए कि इस मामले को अदालत कितनी गंभीरता से ले रही है। न्यायालय ने राज्य में ऐसे मामलों की जांच को बचकाना करार दिया है, उसका यह भी कहना है कि नकली शराब की घटनाओं से सबसे ज्यादा पीड़ित गरीब और वंचित वर्ग के लोग होते हैं।

ऐसे में सरकार अगर लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई करके अपनी जान छुड़ा लेना चाहती है तो यह बेहद सामान्य कार्रवाई होगी। एक तरफ लोगों की जान जा रही है और दूसरी तरफ सरकार महज लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई करेगी तो यह भविष्य में होने वाली ऐसी घटनाओं की रोकथाम नहीं करेगा। न्यायालय की यह नाराजगी स्वाभाविक है कि अवैध शराब के उत्पादन और उसके परिवहन के कारोबार में शामिल वास्तविक दोषियों तक पहुंचने के प्रयास नहीं किए गए। नशे, अवैध शराब आदि के मामलों का सच यही होता है कि पुलिस और प्रशासन ऐसे मामलों की राजनीतिक दबाव में अनदेखी करता रहता है, यह तो न्यायपालिका है, जिसके सामने केस पहुंचता है तो पुलिस, प्रशासन और सरकार कुछ सक्रियता दिखाते हैं।

दरअसल, अवैध शराब का बनना आबकारी और पुलिस विभाग की नाकामी है। अवैध फैक्ट्री आदि बनाकर जहरीली शराब को बनने से रोकना आबकारी और पुलिस विभाग के लिए मुश्किल नहीं होना चाहिए, हालांकि यह उनके लिए बेहद मुश्किल कार्य होता है। क्योंकि नशे और जहरीली शराब के अवैध कारोबार के पीछे राजनीतिक हाथ होते हैं, जोकि सत्ता से अपनी जुगलबंदी के बीच इसका संचालन करते रहते हैं। आम आदमी पार्टी सरकार जोकि जनता को नया पंजाब देने का वादा करके सत्ता में आई है, को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। ईमानदार सरकार का एक आदेश अवैध कारोबारियों, नौकरशाहों, राजनीतिकों के ऐसे गठजोड़ को तोड़ सकता है, जरूरत बस उस आदेश को पारित करने की है। इसकी कोशिश होनी चाहिए कि शराब से मौतों के ये मामले अब अंतिम हों। 
 

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