सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूली का मामला : प्रदेश सरकार ने वापस लिया वसूली का नोटिस, ट्रिब्यूनल के जरिए नए सिरे से जारी होगी नोटिस
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सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूली का मामला : प्रदेश सरकार ने वापस लिया वसूली का नोटिस, ट्रिब्यूनल के जरिए नए सिरे से जारी होगी नोटिस

सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूली का मामला : प्रदेश सरकार ने वापस लिया वसूली का नोटिस

सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों से वसूली का मामला : प्रदेश सरकार ने वापस लिया वसूली का नोटिस, ट्रिब्यूनल

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान से पहले सुप्रीम कोर्ट के सीएए आंदोलनकारियों से वसूली रद करने के आदेश का विपक्षी पार्टियां स्‍वागत कर रही हैं। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है क‍ि जनता चुनाव में इसका प्रदेश की योगी सरकार को जवाब देगी।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) विरोधी आंदोलन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ताओं और आंदोलनकारियों से वसूली का आदेश रद करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कांग्रेस ने स्वागत करते हुए इसे योगी सरकार के गाल पर करारा तमाचा बताया है।

कांग्रेस के मीडिया व कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि इस मसले पर योगी सरकार और अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने वाले आंदोलनकारियों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त किया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार पूरी तरह तानाशाही पर उतारू है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बता दिया कि देश संविधान और कानून से चलेगा।

योगी सरकार ने बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया का इस्तेमाल किए सैकड़ों लोगों के खिलाफ वसूली नोटिस जारी कर दी थी। उस समय भी कांग्रेस पार्टी ने इसका जोरदार विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट का आदेश कांग्रेस पार्टी के स्टैंड पर मुहर की तरह है। इससे यह भी साबित हुआ है कि योगी सरकार का लोकतंत्र पर कोई विश्वास नहीं है।

लखनऊ मध्य सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और सीएए विरोधी आंदोलन का चेहरा रहीं सदफ जाफर ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उनके खिलाफ 64 लाख रुपये की वसूली नोटिस जारी हुई थी जबकि वे एक असंवैधानिक कानून का लोकतांत्रिक ढंग से विरोध करने के अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल कर रही थीं। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने उनके पेट पर लात मारी थी और उन्हें हिरासत में बुरी तरह प्रताडि़त किया गया था।

उनके साथ गिरफ्तार किए गए तमाम अन्य आंदोलनकारियों के साथ भी बर्बर रवैया अपनाया गया था। उनके चेहरे को पोस्टर बनाकर चौराहों पर लगाया गया था। आंदोलनकारियों ने लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर इंसाफ हासिल किया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन सभी की जीत है। योगी सरकार को इस चुनाव में हटाकर जनता उसके तानाशाह रवैये का जवाब देगी।