Hall e Surat Health Department: जीएमएसएच 16 में कैंटीन 9.21 लाख में व मनीमाजरा अस्पताल में कैमिस्ट शॉप की बोली 10.26 लाख में

Hall e Surat Health Department: जीएमएसएच 16 में कैंटीन 9.21 लाख में व मनीमाजरा अस्पताल में कैमिस्ट शॉप की बोली 10.26 लाख में

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कैंटीन का इससे पहले रैंट था 5 लाख रुपये प्रतिमाह, कैमिस्ट शाप का रिजर्व प्राइस था 2 लाख रुपये प्रतिमाह
सेक्टर 22 के सिविल अस्पताल में नई केमिस्ट शॉप के लिए अधिकतम बोली 6.25 लाख रुपये प्रतिमाह में

चंडीगढ़, 14 अक्तूबर (साजन शर्मा)
स्वास्थ्य विभाग ने गवर्नमेंट मल्टी स्पेशियेल्टी अस्पताल, सेक्टर 16 में कैंटीन व कैमिस्ट शॉप के टैंडर खोल दिये हैं। यहां कैंटीन के लिए अधिकतम बोली 9.21 लाख रुपये प्रतिमाह में लगी। इससे पहले कैंटीन का रेंट 5 लाख रुपये प्रति माह था। इसी तरह सिविल अस्पताल, मनीमाजरा में नई कैमिस्ट शॉप के लिए अधिकतम बोली 10.26 लाख रुपये प्रति माह में लगी। इसका रिजर्व  प्राइस 2 लाख रुपये प्रतिमाह रखा गया था। सेक्टर 22 के सिविल अस्पताल में नई केमिस्ट शॉप के लिए अधिकतम बोली 6.25 लाख रुपये प्रतिमाह में लगी। इसका भी रिजर्व प्राइस 2 लाख रुपये प्रतिमाह रखा गया था। गवर्नमेंट मल्टी स्पेशियेल्टी अस्पताल, सेक्टर 16 में अतिरिक्त कैमिस्ट शॉप के लिए बोली अभी चल रही है और इसकी अंतिम तारीख 19 अक्तूबर 2022 है। जीएमएसएच 16 व सेक्टर 45 के सिविल अस्पताल में अतिरिक्त कैमिस्ट शॉप के लिए महज एक बोली मिली थी लिहाजा फैसला किया गया कि अगले कुछ दिनों में इन कैमिस्ट शॉप्स के लिए दोबारा बोली लगाई जाए। स्वास्थ्य विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि बीते 29 साल से लाइसेंस बेस पर एक ही व्यक्ति को जो कैमिस्ट शॉप दी गई है उसका रैंट प्रति माह महज 2.5 लाख रुपये है। यहां ये बताने योग्य है कि सरकारी अस्पतालों में कैमिस्ट शॉप को लेकर खूब बखेड़ा बीते कुछ दिनों से खड़ा हो रहा था। खुद स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग ने जाकर जब सरकारी अस्पतालों जिसमें खासतौर पर जीएमएसएच 16 व 32 शामिल थे में उन्हें घपला दिखाई दिया। मौके पर शॉप के अंदर जाकर देखा तो धांधलियां सामने आई। इसके बाद उन्होंने मामले में इंक्वायरी बिठा दी। पता चला कि बहुत ही कम किराये पर अस्पताल के अधिकारियों की मिलीभगत से कैमिस्ट शॉप एक ही व्यक्ति को रैंट पर चढ़ती रही। उन्होंने तत्काल मामले में आदेश दिये कि इन कैमिस्ट शॉप्स का नये सिरे से टैंडर निकाल कर बोली कराई जाए ताकि विभाग व प्रशासन को फायदा मिले। फिलहाल पूरे मामले में मिलीभगत से बोली में कैंटीन एक ही व्यक्ति को देने और इस मामले में हुए भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई बाकि है। किन अधिकारियों की वजह से प्रशासन को करोड़ों रुपये का चूना इतने सालों में लगा, उन पर जल्द कार्रवाई होगी।   हैरानी वाली बात यह है कि इससे पहले कई अधिकारी रहे लेकिन किसी ने भी जानने की जहमत नहीं उठाई।