बिहार में CM के तौर पर कौन है पहली पसंद? क्या रहेगी जनसुराज की भूमिका? सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली बात
Bihar Elections 2025
Bihar Elections 2025: बिहार चुनाव के लिए पार्टियों ने कमर कस ली है जल्द ही तारीखों का ऐलान होने वाला है. नेताओं के साथ जनता भी जोश में है और नए सर्वे को जनता का मूड मानें तो ये कहना गलत ना होगा कि इस बार लोग बदलाव के मूड में हैं. बिहार में किए गए नए सर्वे के मुताबिक लोग युवा चेहरे को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. ये सर्वे जहां महागठबंधन के लिए राहत पहुंचा रहा है, वहीं एनडीए खेमे में टेंशन होना लाजमी है.
क्या कहते हैं सी-वोटर के प्री-पोल सर्वे?
सी-वोटर के प्री-पोल सर्वे के ताजा आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज़्यादा 36 प्रतिशत लोगों ने बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त माना. तेजस्वी यादव के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर हैं, जिन्हें सर्वेक्षण के अनुसार, 23 प्रतिशत लोग बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.
वहीं16 प्रतिशत लोगों ने नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त माना, जबकि केवल 10 प्रतिशत ने लोजपा नेता चिराग पासवान को अपना पसंदीदा उम्मीदवार बताया. वहीं जबकि केवल 7 प्रतिशत ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना. गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण सी-वोटर के जरिए सितंबर में किया गया था, ये सबसे ताज़ा आंकड़े हैं.
जब लोगों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज से उनकी संतुष्टि के बारे में पूछा गया, तो फरवरी में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 58 प्रतिशत लोग संतुष्ट और 39 प्रतिशत असंतुष्ट थे. जून में, 60 प्रतिशत लोग उनके पक्ष में और 39 प्रतिशत लोग उनके विरोध में थे. सितंबर में हुए एक हालिया सर्वेक्षण में, 61 प्रतिशत लोग नीतीश कुमार से संतुष्ट थे, जबकि 38 प्रतिशत ने असंतोष व्यक्त किया.
इससे दो दिन पहले ही जारी हुए लोक पोल सर्वे के नतीजे भी चौंकाने वाले थे. लोक पोल के नतीजों के अनुसार, महागठबंधन को मिलने वाली सीटों का अनुमान एनडीए के लिए झटका साबित हो सकता है. अगर आज चुनाव होते हैं, तो महागठबंधन को 118 से 126 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि एनडीए को 105 से 114 सीटें मिलने का अनुमान है. बिहार में कुल 243 सीटें हैं और जीत के लिए 122 सीटों की जरूरत है. आज के वक्त यदि चुनाव हो जाए तो महागठबंधन के सरकार बनाने का अनुमान जताया जा रहा है.
बिहार में महागठबंधन को बढ़त मिलने के कारण
आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी-ईबीसी समर्थन: तेजस्वी यादव के आरक्षण के मुद्दे को ओबीसी और ईबीसी का समर्थन मिला है, जबकि कांग्रेस ने जाति जनगणना की मदद से एससी और ईबीसी (जैसे, चमार, मुसहर, मल्लाह) के बीच अपना आधार बढ़ाया है.
नीतीश सरकार के खिलाफ विरोधी लहर: नीतीश कुमार की छवि और शासन की विश्वसनीयता सत्ता विरोधी लहर, स्वास्थ्य समस्याओं, भ्रष्टाचार और बिगड़ती कानून-व्यवस्था से प्रभावित हो रही है.
पलायन और बेरोजगारी: प्रवासन और बेरोज़गारी युवा मतदाताओं और पहली बार मतदान करने वालों को महागठबंधन की ओर आकर्षित कर रहे हैं।
मुस्लिम-यादव समीकरण: मुस्लिम और यादवों का एकीकरण बिहार में मजबूत कर रहा है, जबकि यादवों के बीच जेडी(यू) का प्रभाव कम हो रहा है.
जन सुराज से बीजेपी के वोट बैंक में सेंध: बीजेपी को सवर्णों और बनियों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन जन सुराज जेडीयू के क्षेत्रों में सवर्ण मतदाताओं को आकर्षित कर रहा है.
वोट चोरी के मुद्दे का भी असर: "वोट चोरी" के मुद्दे ने पीएम मोदी की अपील को कमजोर कर दिया है, और माई-बहन मन योजना और मुफ्त बिजली जैसी योजनाओं के कारण महिला मतदाता महागठबंधन की ओर रुख कर रही हैं.