रिफ्यूजी, शरणार्थी, पाकिस्तानी शब्द पर लगे रोक, बने केंद्रीय कानून-सचदेवा

रिफ्यूजी, शरणार्थी, पाकिस्तानी शब्द पर लगे रोक, बने केंद्रीय कानून-सचदेवा

Ban on the word

Ban on the word

राष्ट्रीय पंजाबी महासंघ के सदस्यों ने दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को सौंपा ज्ञापन - मंत्री ने किया आश्वस्त 

अम्बाला 23जून (राकेश मक्कड़) :- Ban on the word: पंजाबी बिरादरी विकास सभा हरियाणा प्रकल्प राष्ट्रीय पंजाबी महासंघ के सदस्यों ने भारतवर्ष से आए हुए पंजाबी समाज के लोगों के साथ मिलकर आज दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पंजाबी समाज के लिए ज्ञापन सौंपा । इस अवसर पर समाज के सभी लोगों ने माननीय केंद्रीय मंत्री को दौशाला ओढाकर श्री अरुट महाराज जी का चित्र देकर व पंजाबी समाज के इतिहास से जुड़ी पुस्तिका देकर वह माल्यार्पण कर स्वागत किया।

 इस अवसर पर समाज को प्रतिबिंबित करते हुए, समाज की बात रखते हुए राष्ट्रीय पंजाबी महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंजाबी बिरादरी विकास सभा हरियाणा के अध्यक्ष एडवोकेट संदीप सचदेवा,पुरुषोत्तम भट्टी,सतीश  कालड़ा,शिवम सचदेवा ने पंजाबी समाज के लोगों को रिफ्यूजी शरणार्थी व पाकिस्तानी बोलने पर रोक लगाने व एससी एसटी एक्ट की तरह विशेष कानून बनाए जाने पर एक ज्ञापन सौंपा ।

 इसमें कहा गया कि भारतवर्ष के विभाजन वर्ष 1947 के समय भारत के पूर्वी भाग से धर्म की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर के भारतवर्ष के वर्तमान हिस्से में बहुत से समाजों के लोग आए । उनमें पंजाबी समाज खत्री अरोड़ा के भी लाखों लोग आए और भारत के विभिन्न हिस्सों में बस गए। उस समय की सरकार ने विभाजन के बाद भारतवर्ष में आए लोगों को शरणार्थी शिविरों में रहने की व्यवस्था की जिससे अपने ही देश में हमारी अपनी पहचान समाप्त हो गई और हमें शरणार्थी, रिफ्यूजी पाकिस्तानी कहा जाने लगा । हमारे समाज के लोगों ने विभाजन की त्रासदी को देखा और झेला है । फिर भी हमने अपने वक्त और हालात से समझौता करते हुए बिना किसी सरकारी आरक्षण मदद से खुद को समाज में स्थापित किया और आज भारतवर्ष की उन्नति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं ।

 परंतु बड़े दुख का विषय है कि आज भी समाज में हमारे लिए अशोभनीय टिप्पणियां की जाती हैं और हमे रिफ्यूजी, शरणार्थी ,पाकिस्तानी कह कर संबोधित किया जाता है। आजादी के 75 साल बाद हम लोगों के साथ ना चाहते हुए भी उपरोक्त जोड़ दिए गए हैं । अब कहीं ना कहीं हमारी वर्तमान पीढ़ी को ये शब्द शूल की तरह चुभते हैं । कई अवसरों पर कई असामाजिक तत्व इन शब्दों का प्रयोग जानबूझकर हमें सामाजिक तौर पर नीचा दिखाने के लिए करते हैं । ऐसा करके जहां पर वे समाज को कमजोर करते हैं वहीं सामाजिक भाईचारे को भी छिन्न भिन्न करते हैं ।

सामाजिक तौर पर इस बुराई को समाप्त करने के लिए हम काफी समय से प्रयास कर रहे हैं परंतु ऐसा लगता है कि सामाजिक बुराई को तब तक समाप्त नहीं किया जा सकता जब तक कानूनी रूप से इन शब्दों का प्रयोग बंद ना हो । हम सभी समाज के लोग अपने मांग पत्र के माध्यम से आपसे अनुरोध करते हैं कि समाज में पैदा करने वाले शब्दों को केंद्रीय कानून बनाकर तुरंत रूप से रोक लगाएं और विभाजन के समय अपना सब कुछ गवा कर भारतवर्ष में आए हम लोगों का मान सम्मान सुरक्षित करें । इस अवसर पर रमेश आहूजा अलवर, हरीश अरोडा अलवर , अरविंद अरोड़ा गाजियाबाद, जगदीश पाहवा हरिद्वार , सतीश बीकानेर, प्रवीन सेठी हापुड़ हरीश चंद्र ,यश अरोड़ा, प्रदीप दुआ ,प्रेम प्रकाश खत्री व पूरे भारतवर्ष के आए हुए पंजाबी समाज के प्रतिनिधियों ने यह मांग पत्र दिया । इसअवसर पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आश्वस्त किया कि वे इस सारे विषय की जानकारी लेकर तुरंत ही इस पर कार्रवाई करेंगे और पंजाबी समाज को जो उनका हक है वह दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे ।

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