Amount of lakhs deposited twice in the accounts of retired employees

घाटे में चल रहे चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (सिटको) का एक और कारनामा, रिटायर मुलाजिमों के खाते में दो बार डाली लाखों की रकम

Amount of lakhs deposited twice in the accounts of retired employees

Amount of lakhs deposited twice in the accounts of retired employees

Amount of lakhs deposited twice in the accounts of retired employees- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन यानि सिटको के बैंक खातों में लगता है कि खूब पैसा बरस रहा है।  सिटको की अकाउंट्स ब्रांच ने बीते कुछ साल पहले रिटायर हुए मुलाजिमों के खातों में कई-कई लाख रुपये अलग-अलग तारीख को दो बार में ट्रांसफर कर दिये। दूसरी बार रकम देखकर मुलाजिम हैरान-परेशान हो गए।  एक दो दिन बाद सिटको के हैड ऑफिस स्थित अकाउंट्स ब्रांच से दूसरी बार आया पैसा गिड़गिड़ाकर वापिस मांगा जाने लगा तो मुलाजिमों का माथा ठनका और उन्हें समझ आया कि अकाउंट्स ब्रांच ने गलती कर दी है। अकाउंट्स ब्रांच के मैनेजर प्रवीन नंदा सहित अन्य अधिकारी व मुलाजिम अब अपने उच्च अधिकारियों को समझाते फिर रहे हैं कि यह गलती बैंक ने की है। 

सिटको के सीजीएम अमित कुमार जो दानिक्स कैडर के हैं से पूरा मामला पहले तो छिपाया गया। उनके पास यह खबर उड़ती-उड़ती पहुंची। उन्होंने अकाउंट्स ब्रांच के मैनेजर प्रवीन नंदा को तलब किया। नंदा से पूछा तो बताया गया कि कैनरा बैंक की गलती से सब कुछ हुआ है। सूत्रों के अनुसार सीजीएम ने ये बात मान भी ली और बैंक से पैसा रिकवर करने को कहा। उधर बैंक को अकाउंट्स ब्रांच के अधिकारियों की ओर से लारा दिया गया कि उन्हें 10 करोड़ रुपये की एफडी दे देंगे लेकिन ये गलती अपने सिर ले लो। खैर सिटको के सीजीएम व उच्च अधिकारियों तक यह बात पहुंच गई कि बैंक की गलती है और पैसा रिकवर हो जाएगा।

20 सितंबर को पैसा जब ट्रांसफर हुआ, तब से लेकर अब तक अकाउंट्स ब्रांच के मैनेजर प्रवीण नंदा मुलाजिमों तक पहुंच बना रहे हैं। कुछ मुलाजिम बाहर हैं तो कुछ शहर में ही रहते हैं लिहाजा उनके घर तक व फोन पर अप्रोच किया जा रहा है। उन्हें दूसरी बार उनके खाते में पहुंचा पैसा वापिस देने को कहा जा रहा है। सिटको से जुड़े अन्य मुलाजिमों की दलील है कि अगर पैसा कैनरा बैंक की गलती से ट्रांसफर हुआ है तो अकाउंट्स ब्रांच इतनी परेशान क्यों है। वह अपने स्तर पर मुलाजिमों को अप्रोच व फोन क्यों कर रहे हैं? उधर जानकारी के अनुसार एक मुलाजिम जिसका खाता पीएनबी में है का पैसा सिटको के अकाउंट में ट्रांसफर हो गया है क्योंकि सिटको का पीएनबी में अकाउंट है। 12-13 मुलाजिमों का पैसा चूंकि एचडीएफसी बैंक में ट्रांसफर हुआ है और सिटको का यहां अकाउंट नहीं है लिहाजा यहां से सिटको अकाउंट में पैसा ट्रांसफर नहीं हो सकता। यही वजह है कि इन मुलाजिमों को घर पर या फोन पर एप्रोच कर गलती से गया पैसा वापिस लेने के लिये गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। सिटको मुलाजिमों की दलील है कि अगर पैसा कैनरा बैंक की गलती से रिटायर हुए मुलाजिमों के अकाउंट में पहुंचा है तो रिकवरी का काम बैंक का है, सिटको की अकाउंट्स ब्रांच का नहीं। अकाउंट्स ब्रांच के अधिकारी परेशान क्यों हो रहे हैं।

लापरवाही से काम कर रहे मुलाजिम

चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन के मुलाजिम व अधिकारी कितनी लापरवाही से अपने काम को अंजाम देते हैं यह एक बार नहीं बल्कि कई-कई बार साबित हो चुका है। सिटको का एक पूरा लॉट बीते कुछ साल पहले रिटायर हुआ था। इसमें दो, तीन  व चार साल पहले रिटायर होने वाले मुलाजिम थे। पंजाब पे स्केल के मुताबिक रिटायर हुए कुछ मुलाजिमों को सिटको ने पैसे की तंगी के चलते अब रिटायरमेंट की राशि देने की प्रक्रिया शुरू की थी। एक साल पूरे जोरशोर से संघर्ष करने के बाद इन मुलाजिमों को अपनी रिटायरमेंट की रकम में से कुछ रकम मिलने का भरोसा मिला। 12 सितंबर को सिटको की हैड ऑफिस स्थित अकाउंट्स ब्रांच ने करीब 15 मुलाजिमों के खाते में 20 लाख रुपये की रकम ट्रांसफर कर दी। यहां तक तो सब ठीकठाक था लेकिन मुलाजिमों को हैरत तब हुई जब 20 सितंबर को दोबारा फिर उनके खाते में 12 सितंबर जितनी ट्रांसफर हुई राशि भेज दी गई। सिटको का चूंकि कैनरा बैंक में अकाउंट है लिहाजा रकम भी इसी बैंक से ट्रांसफर हुई। मुलाजिम तो दोबारा रकम आने से हैरान हो गये लेकिन सिटको की अकाउंट्स ब्रांच को जब अपनी गलती का पता चला तो अधिकारियों ने माथा पकड़ लिया। अकाउंट्स ब्रांच के अधिकारियों ने यह बात उच्च अधिकारियों को नहीं बताई। 

एक करोड़ का चूना लगाने वाले ऑस्कर के खाते में भी ऐसे ही डाल दिये थे पैसे

ऑस्कर नाम का ठेकेदार जो सिटको की गारंटी मनी लेकर करीब एक करोड़ का चूना लगाकर भाग गया के मामले में भी अकाउंट्स ब्रांच ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिया था। आउटसोर्स पर मुलाजिम उपलब्ध कराने वाले इस ठेकेदार के घपले का पता चल गया लेकिन इसके बावजूद भी अकाउंट्स ब्रांच के कुछ मुलाजिमों ने इस ठेकेदार के अकाउंट में 4 लाख 85 हजार रुपये की रकम भिजवा दी। एक अन्य मामले में आउटसोर्स पर लगे मुलाजिम ने पेट्रोल पंप से हासिल हुई राशि एचडीएफसी बैंक में 3.35 लाख रुपये जमा कराई लेकिन बैंक से मिली रिसिप्ट में इसे 5.35 लाख रुपये कर दिया। तीसरा मामला भी सिटको के पेट्रोल पंप पर कस्टमर से हासिल होने वाली राशि का हुआ। कार्ड से पेमेंट करने वाले कस्टमरों का 2.35 करोड़ रुपया बैंक के पास जमा हो गया लेकिन बैंक ने करीब एक साल तक इस पैसे को सिटको के खाते में नहीं दिया। जब रकम का मिलान होने लगा तो इस घपले का पता लगा। अमूमन कार्ड से जब कस्टमर पेमेंट करता है तो बैंक अगले दिन इस रकम को सिटको के खाते में डाल देता है।

अधिकारियों की दलील, गलती बैंक की

सिटको के उच्चाधिकारी से जब इसको लेकर बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि कैनरा बैंक की गलती से यह सब हुआ। जो मुलाजिम बैंक में अक्सर डील करता है वह छुट्टी पर था लिहाजा दूसरे मुलाजिम से गलती हो गई। बैंक ने दोबारा भेजी रकम को होल्ड कर लिया है। क्या सिटको के अकाउंट में पैसा वापिस आ गया पर उन्होंने कहा कि अभी नहीं आया।