अमेरिकी दबाव के बीच भी चीन की GDP ने पकड़ी रफ्तार, 5.2% की छलांग

China Q2 GDP
China Q2 GDP: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन की दूसरी तिमाही की जीडीपी ग्रोथ अनुमान से अधिक है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के चलते दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर छिड़ने की वजह से पिछले तिमाही में चीन की इकोनॉमी की रफ्तार सुस्त रही. हालांकि, बावजूद इसके दूसरी तिमाही (अप्रैल से जून) में चीन की जीडीपी 5.2 परसेंट की रफ्तार पकड़ने में कामयाब रही. जबकि शुक्रवार को रॉयटर्स के एक सर्वे में 40 अर्थशास्त्रियों ने 5.1 परसेंट का अनुमान लगाया था. यानी कि यह लगाए गए अनुमान से 1.1 परसेंट ज्यादा है.
पहली तिमाही में इतनी थी ग्रोथ
जनवरी-मार्च की तिमाही में चीन की जीडीपी ग्रोथ 5.4 परसेंट थी. साल के पहले छह महीनों में चीन का एनुअल ग्रोथ कुल मिलाकर 5.3 परसेंट रहा. इसे एक्सपोर्ट में आई तेजी से बढ़ावा मिलेगा. चीन का निर्यात पिछले एक साल के मुकाबले 5.8 परसेंट तक बढ़ा है. चीनी सामानों के आयात पर भारी-भरकम टैरिफ से अस्थायी तौर पर राहत मिलने के बाद ऑर्डरों की बाढ़ आ गई. इससे मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट दोनों में ही तेजी आई.
नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स (NBS) के डिप्टी कमिश्नर शेंग लायुन ने कहा कि साल की पहली तिमाही की ग्रोथ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में, दूसरी तिमाही के दौरान बढ़े हुए दबाव और तेजी से बदलती अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता के बीच हासिल की गई. उन्होंने कहा, "हम इस बात से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं कि बाहरी माहौल जटिल और अस्थिर बना हुआ है, आंतरिक संरचनात्मक समस्याओं का अभी तक बुनियादी तौर पर समाधान नहीं हुआ है और आर्थिक प्रदर्शन की नींव को और मजबूत करने की जरूरत है."
दूसरी छमाही में कमजोर नतीजे के लिए तैयार चीन
NBS द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में उपभोक्ता खर्च उम्मीदों से कम रहा, जबकि औद्योगिक उत्पादन उम्मीदों से बेहतर रहा. खुदरा बिक्री पिछले साल इसी महीने की तुलना में धीमी होकर 4.8 परसेंट रह गई, जबकि मई में इसमें 6.4 परसेंट का उछाल आया था.
इस बीच, औद्योगिक उत्पादन पिछले साल जून की तुलना में 6.8 परसेंट बढ़ा, जो पिछले महीने के 5.8 परसेंट से अधिक है, जो शायद ट्रेड वॉर खत्म होने के चलते हुई है. बेशक ट्रेड वॉर से चीन को झटका लगा, लेकिन चीन ने इसका उतना असर नहीं पड़ने दिया. हालांकि, दूसरी छमाही में कमजोर नतीजे के लिए भी चीन तैयार है क्योंकि घरेलू अर्थव्यवस्था में कमजोरी से उपभोक्ताओं का भरोसा कम हुआ है और प्रॉपर्टी सेक्टर में तनाव लगातार बरकरार है.