भगवद् गीता से 5 सदाबहार जीवन के सबक जो आज भी हमें राह दिखाते हैं
- By Aradhya --
- Friday, 19 Sep, 2025

5 Life Lessons from the Bhagavad Gita Still Relevant Today
भगवद् गीता से 5 सदाबहार जीवन के सबक जो आज भी हमें राह दिखाते हैं
करीब 2,000 साल पहले, महाभारत के युद्ध के मैदान में, भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया, वही भगवद् गीता बनी - एक ऐसा ग्रंथ जो आज भी जीवन के सबसे मुश्किल सवालों के जवाब देता है। हम अपनी इच्छाओं से परे कौन हैं? जीवन को सार्थक क्या बनाता है? अनुशासन कैसे आज़ादी की ओर ले जा सकता है? गीता आज भी प्रासंगिक है क्योंकि यह कठोर नियमों के बजाय संतुलन, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति सिखाती है।
इसका एक मुख्य सबक है इच्छाओं पर नियंत्रण। जब इंद्रियाँ लगातार सुख की चाहत में लगी रहती हैं, तो मन बेचैन और असंतुष्ट हो जाता है। कृष्ण हमें सिखाते हैं कि इन इच्छाओं को ऊँचे लक्ष्यों की ओर मोड़ें, और आत्म-नियंत्रण को असली शक्ति में बदलें। इससे जुड़ा है संतुलन की कला - खाने, सोने, काम करने और आराम करने में संयम। इस तरह, जीवन लय में जिया जाता है, अति नहीं, जिससे थकान नहीं होती और आंतरिक स्थिरता बनी रहती है।
गीता कर्मयोग के माध्यम से अनुशासन की परिभाषा भी बदलती है - कर्तव्य को समर्पण से करना, लेकिन परिणामों से बिना लगाव। अहंकार से प्रेरित परिणामों से दूर रहकर, साधारण कार्य भी आत्म-विकास का मार्ग बन जाते हैं। ऐसे अभ्यास से, अनुशासन बोझ नहीं, बल्कि आज़ादी और आत्म-ज्ञान का द्वार बन जाता है।
आज की तेज़-तर्रार, ध्यान भटकाने वाली दुनिया में, गीता का ज्ञान हमेशा प्रासंगिक लगता है। यह हमें याद दिलाता है कि अनुशासन त्याग नहीं, बल्कि ध्यान, संतुलन और उद्देश्य के साथ जीना है। अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करके, मन को नियंत्रित करके और कर्तव्य के रूप में काम को अपनाकर, हम स्पष्टता, शांति और मुक्ति का जीवन पाते हैं।