2 Years Imprisonment to SI: चंडीगढ़ कोर्ट का अहम फैसला,हरियाणा पुलिस के SI को 2 साल की कैद

2 Years Imprisonment to SI: चंडीगढ़ कोर्ट का अहम फैसला,हरियाणा पुलिस के SI को 2 साल की कैद

2 Years Imprisonment to SI

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चंडीगढ़॥ 2 Years Imprisonment to SI: चंडीगढ़ कोर्ट  ने एक अहम फैसला सुनाते हुए हरियाणा पुलिस के SI को 2 साल की कैद का निर्णय दिया हे । जानकारी के अनुसार हरियाणा पुलिस के एक सब-इंस्पेक्टर(SI) को अपने ही विभाग के साथी कर्मी से उधार लेकर न चुकाना महंगा पड़ा है। चंडीगढ़ जिला अदालत के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट तरुण कुमार की कोर्ट ने SI बिक्कर सिंह को चैक बाउंस केस में 2 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

वहीं दोषी SI बिक्कर सिंह को आदेश दिए गए हैं कि वह चैक राशि के रूप में 14.66 लाख रुपए का मुआवजा 2 महीने में शिकायतकर्ता को लौटाए। एडवोकेट गुरदित्त सिंह सैणी के जरिए मोरी गेट, मनीमाजरा के राम रतन ने यह चैक बाउंस का केस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत दायर किया था।

राम रतन का कहना था कि वह और बिक्कर सिंह एक ही विभाग में काम करते थे और दोनों दोस्त थे। शिकायतकर्ता के मुताबिक बिक्कर सिंह ने उससे वर्ष 2015 में अलग-अलग दिनों पर कुल 11 लाख रुपए लिए थे। उसे वादा किया गया था कि जल्द ही रकम लौटा देगा। पैसे वापस करने का दबाव बनाने पर बिक्कर सिंह ने 15 सितंबर, 2017 को एक एफिडेविट बनवाया। जिसमें उसने कहा कि अगर वह 30 सितंबर, 2017 तक रकम देने में नाकाम रहता था तो वह रकम उसके मोरी गेट, मनीमाजरा घर के बदले टोकन मनी हो जाएगी। ऐसे में अंत में बिक्कर अपने घर की सेल डीड एग्जीक्यूट करने के लिए बाध्य हो जाएगा।

इस तरह देता रहा चकमा

आरोपी बिक्कर ने शिकायतकर्ता से 1 लाख रुपए और लिए और कहा कि वह कुल रकम 28 फरवरी, 2018 तक लौटा देगा। जब उसने रकम नहीं लौटाई तो शिकायतकर्ता ने उसे अपने घर की सेल डीड करने को कहा। हालांकि बिक्कर उसे टालता गया। इसके बाद शिकायतकर्ता को पता लगा कि बिक्कर ने अपना घर पहले ही किसी को बेच दिया था और उसका हाईकोर्ट में कानूनी विवाद चल रहा है।

इसके बाद बिक्कर सिंह लंबित रकम पर 8 प्रतिशत ब्याज देने को राजी हुआ। कुल ड्यू 14,66,000 हो गया था। आरोपी ने शिकायतकर्ता को 2 चैक दिए जो बाउंस हो गए। इसके बाद वह मुकर गया कि उसने शिकायतकर्ता के साथ किसी एग्रीमेंट पर दस्तखत नहीं किए। उसने कहा कि उसे अच्छी सैलरी आती थी और उसे कभी किसी से पैसे उधार मांगने की जरूरत नहीं पड़ी। उसने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता कमेटी बिजनेस चलाता था और ब्लैंक चैक सिक्योरिटी के रूप में लेता था ताकि कमेटी की किश्तें सुनिश्चित हो सकें।

कोर्ट को उसकी दलीलों को ठुकराते हुए कहा कि सिर्फ शिकायतकर्ता ने ब्लैंक चैक का दुरुपयोग किया हो उसका कोई डॉक्यूमेंट्री सबूत नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बिक्कर सिंह को चैक बाउंस केस में दोषी पाया और उसे 2 साल कैद की सजा दी गई।

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