12 lakh bill paid, report not known

शहर के 114 सरकारी स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट कराने का मामला, 12 लाख का बिल चुकाया, रिपोर्ट का पता नहीं

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12 lakh bill paid, report not known

अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा

12 lakh bill paid, report not known : चंडीगढ़। कार्मल कान्वेंट स्कूल (Carmel Convent School) में पेड़ गिरने की घटना के बाद सोशल वेलफेयर विभाग (Social Welfare Department) ने शहर के सभी सरकारी स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट (safety audit in schools) कराने के लिए सीसीपीसीआर (CCPCR) को एक पत्र लिखा। सीसीपीसीआर ने भी तुरंत सभी सरकारी स्कूलों का ऑडिट कराने के लिए 16 लाख रुपये का टैंडर (16 lakh rupees tender) निकाल दिया। इस काम को सोशल वेलफेयर विभाग की सचिव नीतिका पवार के आदेश पर निपटा भी दिया गया। सभी 114 सरकारी स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट करने वाली फर्म ने 16 लाख रुपये का बिल (16 lakh rupees bill) भी जमा कर दिया जिसमें से 12 लाख रुपये की पेमेंट भी जारी कर दी गई। 12 अक्टूबर 2022 को सेफ्टी ऑडिट की रिपोर्ट भी दे दी गई लेकिन आज तक इस रिपोर्ट में क्या है, इसका खुलासा नहीं किया गया। इस सेफ्टी ऑडिट को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि सेफ्टी ऑडिट के दौरान अगर स्कूलों में खामियां मिली तो उसे स्कूलों के साथ साथ  आम जनता और खासतौर से स्टूडेंट्स और अभिभावकों के साथ सांझा क्यों नहीं किया जा रहा? सवाल ये भी किये जा रहे हैं कि चंडीगढ़ प्रशासन (Chandigarh Administration) ने करोड़ों रुपये खर्च कर शहर में कई मॉडल स्कूल बनाये। देश में बेहतरीन इनफ्रास्ट्रक्चर की बात प्रशासन करता है। फिर स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट कराने की क्या जरूरत पड़ गई? कहा जा रहा है कि इन स्कूलों के निर्माण के वक्त क्या इन्हें सेफ्टी पैरामीटरों का ध्यान रख कर नहीं बनाया गया था? अगर इसे कराना निहायत जरूरी था तो इसे स्कूल के डायरेक्टर (School Director) या सचिव से बातचीत कर कराया जा सकता था। सीसीपीसीआर से यह सेफ्टी ऑडिट कराने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी?  

एक की हुई थी मौत, कई हुए थे घायल

कार्मल कान्वेंट स्कूल (Carmel Convent School) में घटी इस घटना में एक छात्रा हीराक्षी की मौत (Student Hirakshi's death) हो गई थी जबकि स्कूल की एक हेल्पर गंभीर रूप से घायल हो गई थी जो कई दिन तक पीजीआई में कोमा में पड़ी रही, हालांकि उसकी जान बच गई थी। एक छात्रा की बांह काटनी पड़ी  (student's arm had to be amputated) थी। कई अन्य छात्र घायल हो गए थे।

लोगों को अंधेरे में रखा जा रहा / people are being kept in the dark

सैकेंड इनिंग एसोसिएशन (second inning association) के प्रधान आरके गर्ग (R.K.Garg) के मुताबिक एक तरफ तो प्रशासन अपने कामकाज में पारदर्शिता (transparency in functioning) की बात करता है तो दूसरी तरफ आम जनता को अंधेरे में रखा जा रहा है। अगर रिपोर्ट तैयार कर दी गई है तो उसे आम जनता के समक्ष लाया जाना चाहिए ताकि दोबारा इस तरह की घटना न घटे व सुधार करने की दिशा में काम हो। आरके गर्ग के अनुसार रिपोर्ट दबाने से तो बात नहीं बनने वाली। पहले तो यह बताया जाए कि यह काम सीसीपीसीआर के जरिये क्यों कराया गया। डायरेक्टर स्कूल एजूकेशन या सचिव क्या इसे कराने के लिए सक्षम नहीं थे? दूसरा शहर में बेहतरीन इनफ्रास्ट्रक्चर (Excellent Infrastructure) के स्कूलों का प्रशासन दावा करता है। क्या प्रशासन ने उनके निर्माण के वक्त सेफ्टी पैरामीटरों (safety parameters) पर ध्यान नहीं दिया था? ये जवाब प्रशासन को देने चाहिएं।

रिपोर्ट देने को लेकर लैटर लिखा है / Letter has been written to report

जस्टिस चौहान कमेटी (Justice Chauhan Committee) की रिपोर्ट को लेकर होम सेक्रेट्री नितिन यादव (Home Secretary Nitin Yadav) का कहना है कि उन्होंने जल्द रिपोर्ट को लेकर जस्टिस चौहान (सेवानिवृत)को लैटर लिखा है। अब देरी क्यों हो रही है, इसके बारे कुछ कहा नहीं जा सकता।  डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन (Director School Education) पालिका अरोड़ा ने यह तो बताया कि रिपोर्ट मिल चुकी है, लेकिन इसमें क्या है इसको लेकर कहा कि पता करके बता पाउंगी।

8 जुलाई को गिरा था कार्मल कान्वेंट में पेड़ / Tree fell in Carmel Convent on July 8

चंडीगढ़ के सेक्टर 9 में स्थित कार्मल कान्वेंट स्कूल परिसर में 8  जुलाई को पेड़ गिरने की घटना (tree fall incident) घटी जिसमें एक छात्रा की मौत हो गई जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रशासन के सोशल वेलफेयर विभाग ने चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (Chandigarh Commission for Protection of Child Rights) की चेयरपर्सन हरजिंदर कौर (Harjinder Kaur) को शहर के सभी 114 सरकारी स्कूलों (114 government schools) में सेफ्टी ऑडिट कराने को एक पत्र लिखा। कहा गया कि कमीशन के पास इसे कराने के लिए पॉवर है और बच्चों की सुरक्षा देखना जिम्मेदारी है। भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो और बच्चों की सुरक्षा देखते हुए आपको आदेश दिया जाता है कि तुरंत यूटी के स्कूलों में चाइल्ड सेफ्टी ऑडिट (child safety audit) कराया जाए। एजूकेशन, इंजीनियरिंग, हेल्थ, फोरेस्ट, एमसी, पुलिस, सोशल वेलफेयर एंड डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट इत्यादि के साथ कोर्डिनेट कर इस काम को जल्द से जल्द एक तय समय अवधि में पूरा कराने की हिदायत दी गई। इसकी रिपोर्ट विभाग की सचिव नीतिका पवार ने जल्द खुद को देने का आदेश दिया ताकि तुरंत चाइल्ड सेफ्टी को लेकर जो लकुने हैं उन्हें ठीक किया जा सके व सुधारात्मक उपाय किये जा सकें लेकिन आज तक न तो रिपोर्ट का पता है और न ही इसमें गिनाई गई खामियों और सुधारों का। दैनिक अर्थप्रकाश के पास वह टैंडर है जिसे सेफ्टी ऑडिट कराने को जारी किया गया। इसमें कई सारे पैरामीटर सेफ्टी ऑडिट (parameter safety audit) के नाम पर जोड़े गए। इन पैरामीटरों से तो यही साबित हो रहा है कि मॉडल स्कूलों या अन्य स्कूलों का निर्माण करते वक्त प्रशासन ने इन सारे पैरामीटरों की तरफ आंखें मूंद ली थी जो 16 लाख रुपये का ऑडिट कराने की जरूरत पड़ गई। इस टैंडर को एक लोकल फर्म को अवार्ड भी कर दिया गया जिसने स्कूलों में सेफ्टी ऑडिट कर 12 अक्तूबर को रिपोर्ट भी दे दी। रिपोर्ट जमा कराने के तुरंत बाद 16 लाख रुपये का बिल भी जमा करा दिया जिसमें से तुरंत 12 लाख की पेमेंट भी इस फर्म को कर दी गई। पांच माह बीतने के बाद भी इस सेफ्टी ऑडिट की न तो रिपोर्ट अभी तक पब्लिक डोमेन में जारी हो पाई और न ही सोशल वेलफेयर विभाग की सचिव नीतिका पवार के 8 जुलाई 2022 को लिखे पत्र का ही कोई जवाब अभी तक दिया गया। सेक्टर 3 के थाने में कार्मल कान्वेंट स्कूल में हुई घटना की एफआईआर भी दर्ज कर दी गई थी। जानकारी के अनुसार यहां भी मामला अभी अंडर इन्वेस्टीगेशन (under investigation) है। प्रशासन ने मामले में जस्टिस चौहान (Justice Chauhan) की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी जिसने चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड की बिल्डिंग के एक कमरे से अपना काम शुरू कर दिया था। इस कमेटी के काम करने की क्या शर्तें थी, इसका भी अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है, कमेटी का क्या हुआ और जांच किस स्तर तक पहुंची इस पर भी अभी प्रश्नचिन्ह है क्योंकि न तो कमेटी ने इतना समय बीत जाने के बाद प्रशासन के पास रिपोर्ट ही सबमिट की है और न ही स्कूल के उन पीडि़त मुलाजिम व बच्चों से संपर्क कर उनकी स्टेटमेंट रिकार्ड की जो घटना में गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे।