When will the illegal currency note mines be locked in Jharkhand

Editorial: झारखंड में नोटों की अवैध खदानों पर कब लगेंगे ताले

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When will the illegal currency note mines be locked in Jharkhand

When will the illegal currency note mines be locked in Jharkhand: झारखंड में कोयला और दूसरे खनिज पदार्थों की खदानें हैं। इस प्रदेश को प्राकृतिक संपदा के लिए बेहद धनी माना जाता है। हालांकि प्रदेश की एक छवि यह भी है कि यह देश के सबसे गरीब राज्यों में शुमार है। हालांकि यह और बात है कि राज्य सरकार के मंत्री, उनके पीए, उनके नौकरों के आवासों से नोटों के अंबार मिल रहे हैं। जिस राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री खुद भ्रष्टाचार के आरोप में जेल के अंदर हों, उसके मंत्रियों पर ऐसे आरोप नहीं लगेंगे और वे इससे अछूते रहेंगे, ऐसा कैसे सोचा जा सकता है। झारखंड में अब ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव के नौकर के यहां से 30 करोड़ रुपये का अंबार मिलना यह बताता है कि यह राज्य भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ डूब चुका है और इसे इलाज की सख्त जरूरत है। यह कौन सोच सकता है कि जिस राज्य में ऐसी भी आबादी हो, जिसे एक वक्त का खाना भी नसीब न हो रहा हो, वहां अगर एक मंत्री के निजी सचिव के नौकर के यहां से 30 करोड़ रुपये की नकदी मिल रही है तो यह कितनी बड़ी विडम्बना है। इतनी रकम एक सामान्य आदमी जोकि सरकारी नौकरी भी करता हो, तब भी अपनी पूरी जिंदगी क्या कई जिंदगियों में एक साथ नहीं देख सकता। उसे कमाना तो बहुत दूर की बात है। निश्चित रूप से यह पैसा भ्रष्टाचार जिसका जरिया रिश्वतखोरी, सरकारी ठेकों के आवंटन में दलाली आदि है, के जरिये ही कमाया जा रहा है।

प्रवर्तन निदेशालय ने अब मंत्री के निजी सचिव और नौकर को गिरफ्तार कर लिया है। निश्चित रूप से यह सामान्य कार्रवाई है। हालांकि इस प्रकरण में संबंधित विभाग के मंत्री का जो बयान सामने आ रहा है, वह दिलचस्प है। उनका कहना है कि निजी सचिव सरकारी कर्मचारी है जोकि पहले भी कई मंत्रियों व अधिकारियों के साथ रहा है। जांच में खुलासा हो जाएगा। इस तरह के बयान को किस प्रकार से समझा जाए। वास्तव में सरकार और सियासत में कौन है, जोकि सीधे पैसा लेता है।

एक मंत्री अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके अनेक ऐसे लोगों को अपने आसपास कायम कर लेता है, जोकि उसके विश्वासपात्र बन जाते हैं। पश्चिम बंगाल में शिक्षकों की भर्ती के घोटाले मेें करोड़ों रुपये की जो राशि बरामद की गई थी, वह एक महिला के फ्लैट से बरामद की गई थी। मंत्री पर आरोप था कि वह रिश्वत की रकम हासिल कर उसे अपनी महिला मित्र के आवास पर छिपा रहा था। गौरतलब है कि झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय इतनी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देता है और 30 करोड़ रुपये की राशि बरामद करता है, लेकिन राज्य सरकार के मुखिया को इसकी जानकारी तक नहीं है। बतौर मुख्यमंत्री एक नेता का यह किस प्रकार का बयान हो सकता है। जबकि राज्य में घटित होने वाली प्रत्येक घटना के संबंध में जानकारी होना उनके लिए आवश्यक है।

इस तरह के बयान भ्रष्टाचार के इस पूरे तंत्र की कडिय़ों को और संदिग्ध बनाते हैं। बेशक, जरूरत इसकी थी कि मुख्यमंत्री की ओर से ऐसा बयान आता जिसमें वे साफ शब्दों में राज्य में भ्रष्टाचारियों पर सख्त कार्रवाई की बात कहते। लेकिन यहां तो सब टालमटोल जैसा हो रहा है।

इस समय राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जमीन घोटाले में जेल की सलाखों के पीछे हैं। इस मामले में ईडी अभी तक 250 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है। एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री मधु कौड़ा भी भ्रष्टाचार के आरोपों मेंं जेल में हैं। कुछ समय पहले ही कांग्रेस के सांसद धीरज साहू के आवास से आयकर विभाग ने 350 करोड़ रुपये की नकदी बरामद की थी। झारखंड किस प्रकार घोटालों की राजधानी बन चुका है, इसका पता इससे चलता है कि यहां ईडी अनेक घोटालों की जांच कर रही है। यहां मनरेगा घोटाला भी अंजाम दिया गया है, जिसमें एक आईएएस पूजा सिंघल का नाम सामने आ चुका है। उनके पति के सीए के यहां से 20 करोड़ रुपये की रकम बरामद की गई थी।

राज्य में शराब घोटाला भी घट चुका है, जिसमें अनेक नेता, अधिकारी और कारोबारी जांच का सामना कर रहे हैं। झारखंड के यह हालात बताते हैं कि बिहार से यह जिस उम्मीद के साथ विभाजित हुआ था, वह अब दूर का सपना हो चुकी है। यहां सरकार, नेता और बाबू सिर्फ अपने फायदे के लिए काम कर रहे हैं। ताज्जुब इसका है कि यहां भ्रष्टाचारियों के मन में डर नहीं है और वे लाखों नहीं अपितु करोड़ों की रकम से अपने घरों को  भर रहे हैं। यह भी कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा की ही राज्य में सरकार है और गठबंधन के नेताओं की ओर से भ्रष्टाचार पर कुछ नहीं बोला जा रहा। हालांकि आरोपियों पर कार्रवाई का विरोध जरूर हो रहा है। 

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