सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को दी हरी झंडी, 500 करोड़ रुपये की लागत से होगा निर्माण

Supreme Court gives green signal to Banke Bihari Temple Corridor

Supreme Court gives green signal to Banke Bihari Temple Corridor

Supreme Court gives green signal to Banke Bihari Temple Corridor: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 500 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जाने वाले श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए मंदिर फंड का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को मंदिर के आसपास 5 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने ये भी शर्त रखी है कि अधिग्रहित भूमि देवता के नाम पर रजिस्टर्ड होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 500 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर योजना को मंजूरी दे दी. बेंच ने जमीन खरीद के लिए मंदिर की जमा राशि का उपयोग करने की अनुमति इस शर्त के साथ दी कि जमीन देवता यानी श्री बांके बिहारी जी महाराज के नाम से ही खरीदी जाएगी.

बेंच ने अपने आदेश में लिखा कि ऐतिहासिक मंदिर पुरानी संरचना है. उन्हें समुचित रखरखाव और मजबूत सहायता की जरूरत होती है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को संशोधित कर दिया. दरअसल, हाईकोर्ट ने मंदिर के चारों ओर भूमि की खरीद पर रोक लगा दी थी. वहीं, बेंच ने मंदिर के चारों ओर गलियारे के लिए राज्य सरकार की 500 करोड़ रुपये की विकास योजना की जांच करने के बाद बांके बिहारी मंदिर की सावधि जमा यानी फोकस डिपॉजिट से करोड़ों की धनराशि के उपयोग की अनुमति दी है. 

बेंच ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश सरकार की योजना को पूरी तरह लागू करने की अनुमति देते हैं. बांके बिहारी जी ट्रस्ट के पास देवता और मंदिर के नाम पर काफी सावधि जमा है. राज्य सरकार को प्रस्तावित भूमि का अधिग्रहण करने के लिए उस सावधि जमा में मौजूद राशि का उपयोग करने की अनुमति है. पीठ ने स्पष्ट किया कि मंदिर और कॉरिडोर के विकास के उद्देश्य से अधिग्रहित भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर होगी.

वृन्दावन में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार की विकास योजना को कोर्ट की मंजूरी विशेष रूप से बांके बिहारी मंदिर में 2022 की भगदड़ जैसी दुखद घटनाओं के मद्देनजर मिली है. बेंच ने कहा कि उत्तर प्रदेश ब्रज योजना एवं विकास बोर्ड क्षेत्र के विकास पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है, लेकिन सार्थक प्रगति के लिए सरकार, मंदिर ट्रस्ट, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों के बीच बेहतर तालमेल से सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है. 

बेंच ने टिप्पणी की कि मथुरा और वृंदावन ऐतिहासिक और पौराणिक शहर हैं. इनका वर्णन अधिकांश धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. पूरे साल लाखों देसी-विदेशी भक्त और सैलानी यहां आते हैं. ऐतिहासिक मंदिरों में दर्शन करने, भगवान कृष्ण और अन्य देवताओं के आशीर्वाद पाने के लिए यहां तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ती है. मथुरा और वृंदावन दोनों तीर्थों में भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए चौड़ी सड़कें, पार्किंग स्थल, धर्मशालाएं, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश राज्य/प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा गठित ट्रस्ट पहले से ही मथुरा और वृंदावन कॉरिडोर के विकास के लिए बहुत अच्छा काम कर रहा है और उत्तर प्रदेश विधानमंडल द्वारा अधिनियमित अधिनियम, यानी उत्तर प्रदेश ब्रज योजना और विकास बोर्ड अधिनियम 2015, दोनों शहरों के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए विकास का प्रावधान करता है.