Three members could not carry forward Devi Lal's legacy in Hisar

हिसार में देवीलाल की विरासत को आगे नहीं बढ़ा पाए तीन सदस्य

Three members could not carry forward Devi Lal's legacy in Hisar

Three members could not carry forward Devi Lal's legacy in Hisar

Three members could not carry forward Devi Lal's legacy in Hisar- चंडीगढ़। पूर्व उपप्रधानमंत्री स्वर्गीय देवीलाल परिवार के तीन सदस्यों द्वारा एक-दूसरे के मुकाबले में चुनाव लडऩे के कारण हिसार लोकसभा सीट पर सभी की नजरें थी। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी की तरफ से देवीलाल के पुत्र रणजीत सिंह चौटाला चुनाव मैदान में थे तो उनके मुकाबले में देवीलाल की पौत्र वधु नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी की तरफ से तथा सुनैना चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ से मैदान में थी। इस चुनाव में कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी ने जहां सीधे मुकाबले में रणजीत चौटाला को हराया वहीं नैना तथा सुनैना अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी रणजीत चौटाला को भीतरीघात का सामना करना पड़ा है। हाईकमान के निर्देश के बावजूद अंतिम समय तक कुलदीप बिश्नोई तथा उनके विधायक बेटे ने रणजीत चौटाला के लिए काम नहीं किया।

सिरसा में दलबदल के दाग को धो नहीं पाए अशोक तंवर

सिरसा लोकसभा सीट से हार का सामना करने वाले भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अशोक तंवर के सियासी भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है। अशोक तंवर कांग्रेस छोडऩे के बाद तृणमूल कांग्रेस व आम आदमी पार्टी में रहे हुए भाजपा में शामिल हुए थे। अशोक तंवर पूरे चुनाव प्रचार के दौरान दलबदल के मुद्दे पर घिरे रहे। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनका जमकर विरोध हुआ। जिसके चलते इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कुमारी सैलजा करीब ढाई दशक बाद फिर से सिरसा लोकसभा हलके से सांसद बनकर लोकसभा में पहुंची हैं। अशोक तंवर को यहां पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल तथा उनकी टीम का साथ नहीं मिला। इसके अलावा अशोक तंवर का चुनाव प्रबंधन भी यहां पर फेल रहा है। जिसके चलते हार का सामना करना पड़ा।

अंबाला में भीतरीघात का शिकार हुई बंतो कटारिया

अंबाला लोकसभा सीट से चुनाव हारी भाजपा प्रत्याशी बंतो कटारिया जहां अपने पति स्वर्गीय रतनलाल कटारिया की मृत्यु के बाद सहानुभूति नहीं ले पाई वहीं उन्हें भी भीतरीघात का सामना करना पड़ा। बंतो कटारिया ने चुनाव प्रचार के दौरान भी कई बार हाईकमान को इस बारे में शिकायतें की थी। यहां पूर्व गृहमंत्री अनिल विज पूरे प्रचार के दौरान अंबाला से बाहर नहीं निकले। विज ने खुद को अंबाला छावनी तक ही सीमित रखा। इसके अलावा बंतो कटारिया के पास चुनाव प्रबंधन के लिए मजबूत टीम का भारी अभाव रहा। यही नहीं वरूण मुलाना ने प्रचार के दौरान भाजपा को जहां कई तथ्याों के आधार पर घेरा वहीं बंतो कटारिया के पास तथ्यों के आधार पर जवाब देने वाला कोई नहीं था। बंतो कटारिया यहां कई स्थानों पर भीतरीघात का शिकार हुई हैं। भाजपा के कई नेता बंतो कटारिया के साथ तो चले लेकिन उनका प्रचार वोट नहीं डलवा पाया।

कुरूक्षेत्र के रण को जीत नहीं पाई आप, हरियाणा में कठिन हुई डगर

कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट पर कांग्रेस की मदद के बावजूद आम आदमी पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई। इंडिया गठबंधन में समझौते के तहत कुरूक्षेत्र से आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुशील गुप्ता चुनाव मैदान में थे। सुशील गुप्ता यहां पिछले कई महीनों से प्रचार में जुटे हुए थे और कैथल के क्षेत्र में जहां रणदीप सुरजेवाला ने उनकी कमान संभाली हुई थी वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुरूक्षेत्र में उनके लिए प्रचार किया। अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही सुशील गुप्ता के लिए रोड शो किया। इसके बावजूद भाजपा के नवीन जिंदल की रणनीति के आगे वह फेल हो गए। चुनाव परिणाम के दौरान कई चरणों तक बढ़त बनाने वाले सुशील गुप्ता अंत तक पिछड़ते चले गए। आम आदमी पार्टी को इस चुनाव में कांग्रेस को पूरा साथ मिला। इसके बावजूद आप हरियाणा में अपना खाता नहीं खोल पाई है।

करनाल की होगी टीम मोदी में हिस्सेदारी, सीएम सिटी बना रहेगा करनाल

चंडीगढ़। करनाल। करीब दस साल पहले करनाल की धरती से हरियाणा की राजनीति में कदम रखने वाले मनोहर लाल को आज कर्ण नगरी ने ही नया मोड़ दिया है। लोकसभा चुनाव में अपने विरोधी दिव्यांशु बुद्धिराजा को हराने वाले मनोहर लाल अब केंद्र की राजनीति में सक्रिय होंगे। मोदी पार्ट-3 में उनकी भूमिका अहम हो सकती है। हरियाणा में मनोहर सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू की गई कई योजनाओं को केंद्र की मोदी सरकार ने अपनाया है। अब मनोहर लाल बतौर सांसद टीम मोदी का हिस्सा बन गए हैं। मनोहर लाल ने विधायक पद से इस्तीफा देकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। उनकी जगह खाली हुई विधानसभा सीट पर चुनाव लड़े मुख्यमंत्री नायब सैनी भी यह चुनाव जीत गए हैं। जिसके चलते वर्ष 2014 में सीएम सिटी के रूप में नई पहचान हासिल करने वाला करना अभी भी सीएम सिटी बना रहेगा। नायब सैनी ने यहां पर कांग्रेस के तरलोचन सिंह को हराया है।

सोनीपत में भाजपा के भीतरीघात का शिकार हुए भाजपा प्रत्याशी

सोनीपत लोकसभा हलके से चुनाव हारे भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली बुरी तरह से भीतरीघात का शिकार हुए हैं। भीतरीघात के कारण भाजपा को यह सीट गंवानी पड़ी है। कांग्रेस ने यहां से बिलकुल नए प्रत्याशी सतपाल ब्रह्मचारी को उतारा और वह भाजपा की गुटाबजी के चलते चुनाव जीत गए। मोहन लाल बड़ौली ने तो चुनाव होने के कुछ दिन बाद ही भीतरीघात के आरोप लगा दिए थे। यहां गन्नौर की विधायक निर्मल चौधरी के पति के कई ऑडियो भी वायरल हुए जिसमें वह भाजपा प्रत्याशी की बजाए कांग्रेस प्रत्याशी ब्रह्मचारी को जिताने की अपील कर रहे थे। निर्मल तथा उनके पति ने किसी भी ऑडियो का खंडन नहीं किया है। सोनीपत लोकसभा हलके के अंतर्गत आते एक विधानसभा हलके के विधायक के परिवार द्वारा वोट नहीं डालने जैसी खबरों को आधार बनाकर बड़ौली पहले ही शिकायत कर चुके हैं। सतपाल ब्रह्माचारी की जीत के साथ ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने वर्ष 2019 में हुई अपनी हार का बदला लेकर अपने गृहक्षेत्र में साख बचा ली है।

रोहतक में हुड्डा ने बचाया गढ़, लिया हार का बदला

हरियाणा की रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के चुनाव जीतने के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने गढ़ में मजबूत हो गए हैं। दीपेंद्र सिंह हुड्डा अरविंद शर्मा को हराकर 2019 में हुई हार का जहां बदला लिया है वहीं अपने गृहक्षेत्र में पकड़ मजबूत होने का अहसास भी करवा दिया है। रोहतक तथा सोनीपत लोकसभा हलके भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माने जाते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हुड्डा के गढ़ में सेंध लगाकर दोनों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। आज कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत के बाद हुड्डा फिर से मजबूत होकर सामने आए हैं। रोहतक व सोनीपत के लोकसभा चुनाव परिणाम सीधे तौर पर विधानसभा चुनावों पर असर डालेंगे।

कांग्रेस की गुटबाजी में हाथ से निकली भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा हलके में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के चलते कांग्रेस के हाथ से एक सीट निकल गई। इस सीट से भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर एक बार फिर से विपरीत परिस्थितियों के खिलाड़ी साबित हुए हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा हलके में कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह तथा किरण चौधरी के बीच का विवाद खत्म नहीं हुआ। दोनो नेता राहुल गांधी की मोजूदगी में भी मंच पर लड़ते हुए नजर आए। प्रचार के दौरान किरण चौधरी समर्थकों के कई ऐसे ऑडियो वायरल हुए जिसमें उन्होंने दान सिंह को हराने की अपील की। यही नहीं किरण चौधरी ने खुलकर राव दान सिंह के खिलाफ काम किया। इसके उलट विपरीत हालातों में भी भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर अपना प्रचार करते रहे और एक बार फिर से लोकसभा में पहुंच गए।
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