21,630 फीट ऊँची मानीरंग चोटी पर फहराया तिरंगा, चंडीगढ़ के पर्वतारोही विशाल ठाकुर के नेतृत्व में टीम ने रचा इतिहास

Indian National Army hoisted the tricolour
– हिमाचल प्रदेश की आठवीं सबसे ऊंची है माउंट मानीरंग
– 20 सितम्बर को दोपहर 2:26 पर लहराया तिरंगा
– पर्वतारोही विशाल ठाकुर के नेतृत्व में मानीरंग चोटी फतेह
– किन्नौर और लाहौल एवं स्पीति जिले की सीमा पर स्थित है मानीरंग चोटी
– विशाल ठाकुर का अगला लक्ष्य हिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटी रियो पूर्गिल है
23 सितम्बर 2025, हिमाचल प्रदेश: Indian National Army hoisted the tricolour: हिमाचल प्रदेश की गोद में स्थित और राज्य की आठवीं सबसे ऊँची मानी जाने वाली मानीरंग चोटी (6,593 मीटर / 21,630 फीट) को चार पर्वतारोहियों की टीम ने सफलतापूर्वक फतह किया। यह उपलब्धि 20 सितम्बर को दोपहर 2 बजकर 26 मिनट पर दर्ज हुई, जब टीम ने शिखर पर तिरंगा लहराया।
इस अभियान का नेतृत्व चंडीगढ़ से पेशेवर पर्वतारोही और आउटडोर एजुकेटर विशाल ठाकुर ने किया। उनके साथ दल में अमन चौहान, बृज मोहन केवला और तेजा सिंह शामिल रहे। यह अभियान अल्पाइन एक्सपीडिशन में किया गया, जिसे पर्वतारोहण की सबसे कठिन और जानलेवा शैली भी माना जाता है। अल्पाइन अभियान में पर्वतारोही पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हैं— न कोई पोर्टर, न गाइड, न कुक और न ही घोड़े। टीम को अपना सारा बोझ, तकनीकी उपकरण और भोजन खुद ढोना व तैयार करना पड़ता है। यह अभियान मात्र 6 दिनों में सफलतापूर्वक पूरा हुआ।
गौरतलब है कि विशाल ठाकुर ने अगस्त माह में भी मानीरंग शिखर पर चढ़ाई का प्रयास किया था, लेकिन लगातार बारिश और खराब मौसम ने उन्हें रोक दिया। हालांकि हार न मानते हुए उन्होंने सितंबर में एक नई टीम का गठन किया और दोबारा अभियान शुरू किया। इसी दुस्साहस और दृढ़ संकल्प ने उन्हें इस बार सफलता दिलाई और तिरंगा शिखर पर लहराया।
चंडीगढ़ के विशाल ठाकुर हिमालय की ऊँचाइयों से अनजान नहीं हैं। उन्होंने इससे पहले भी कई कठिन और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण शिखरों पर विजय प्राप्त की है। इनमें उत्तराखंड स्थित ब्लैक पीक (काला नाग), कालिंदी खाल एक्सपीडिशन, मनाली की फ्रेंडशिप पीक, पिन पार्वती पास और लाहौल- स्पीति क्षेत्र की युनम पीक, कनामो पीक व अन्य कई ट्रैक्स और पास का सफल अभियान कर चुके है । उनकी यह उपलब्धियाँ साबित करती हैं कि वे एक अनुभवी और दृढ़ पर्वतारोही हैं, जिन्होंने वर्षों के अभ्यास और कठिन परिश्रम से हिमालयी चोटियों को जीतने की क्षमता विकसित की है। विशाल ठाकुर का अगला लक्ष्य हिमाचल प्रदेश की ऊंची चोटी रियो पूर्गिल है।
मानीरंग चोटी की चढ़ाई को पर्वतारोहण जगत में अत्यंत कठिन और जोखिम भरा माना जाता है। यह अभियान न केवल शारीरिक शक्ति की, बल्कि मानसिक दृढ़ता और तकनीकी कौशल की भी परीक्षा लेता है। हर कदम पर जानलेवा परिस्थितियों और अप्रत्याशित मौसम से जूझना पड़ता है, लेकिन यही इस तरह की यात्राओं को रोमांचकारी और ऐतिहासिक बनाता है।
अभियान की सफलता पर टीम लीडर विशाल ठाकुर ने कहा कि “मानीरंग हमारे लिए सिर्फ़ एक चोटी नहीं थी, यह साहस, धैर्य और विश्वास की परीक्षा थी। अगस्त में मौसम ने हमें रोका, लेकिन सितंबर में हमने ठान लिया कि अब पीछे नहीं हटेंगे। बिना किसी बाहरी मदद के अल्पाइन स्टाइल में इसे फतह करना मेरे और मेरी टीम के लिए गर्व का क्षण है, इसके लिए हम Mountain Gods के शुक्रगुजार हैं।”
इस अभियान को शुरू करने से पहले टीम ने इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (IMF) से अधिकृत अनुमति, एडवेंचर इंश्योरेंस, व अन्य परमिट लिए।
विशाल ठाकुर और उनकी टीम की इस सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि जुनून और साहस साथ हों, तो हिमालय की सबसे ऊँची और कठिन चोटियाँ भी झुक जाती हैं। यह उपलब्धि भारतीय पर्वतारोहण इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ने के साथ-साथ युवाओं को कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती है।