सूरजकुंड मेला ग्राउंड में 25 से 28 दिसंबर तक होगा गुर्जर संगम मेला

सूरजकुंड मेला ग्राउंड में 25 से 28 दिसंबर तक होगा गुर्जर संगम मेला

The Gurjar Sangam Fair

The Gurjar Sangam Fair

संगम मेला में दिखेगी नए रूप व नई सोच के साथ गुर्जर संस्कृति की झलक

फरीदाबाद। दयाराम वशिष्ठ: The Gurjar Sangam Fair: गुर्जर समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहर तथा विविध परंपराओं को व्यापक स्तर पर प्रस्तुत करने हेतु गुर्जर संगम मेला का आयोजन 25 से 28 दिसम्बर 2025 तक फरीदाबाद के सूरजकुंड मेला ग्राउंड में किया जाएगा तथा पहली बार गुर्जर संस्कृति को एक नए रूप और नई सोच के साथ प्रदर्शित किया जाएगा जो कभी पहले नही दिखाई गई । 
यह चार दिवसीय आयोजन समाज के अतीत, वर्तमान और भावी सांस्कृतिक आयामों को अभिव्यक्त करने के साथ-साथ शैक्षिक, कला, क्रीड़ा तथा सामुदायिक उन्नयन से संबंधित विविध विषयों पर प्रकाश डालेगा ताकि हमारी युवा पीढ़ी प्रेरणा ले सके। देश-विदेश से गुर्जर समाज की प्रतिष्ठित हस्तियाँ इस आयोजन में सहभागिता करेंगी। गुर्जर संगम में हिंदू, मुस्लिम, सिख और जैन गुर्जर एकता को दर्शाते हुए उनकी संस्कृति और जीवन शैलियों को भी राष्ट्रोय पटल पर दर्शाया जाएगा ।

इसी संदर्भ में आज दिनांक 9 नवम्बर 2025 को गुर्जर भवन, फरीदाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें समाज के सम्मानित प्रतिनिधि मंडल तथा प्रबुद्ध एवं वरिष्ठ सदस्यों ने मेले की विस्तृत रूपरेखा, कार्यक्रम संरचना तथा प्रतिदिन आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी साझा की। ज्ञात हो की यह मेला किसी एक व्यक्ति के द्वारा आयोजित ना होकर गुर्जर समाज के विभिन्न संगठनों और गुर्जर बिरादरी के प्रभुद्द वर्ग के द्वारा आयोजित किया जाएगा ।
प्रेस वार्ता में प्रमुख वक्ताओं में गजेन्द्र जी, एडवोकेट, सुनील बैसला, धर्मवीर भड़ाना, सुनीता खटाना, डॉ. विकास कुमार (दिल्ली विश्वविद्यालय), गौरव ना़गर, ओमप्रकाश भड़ाना, अमित बैसला (गुर्जर स्पोर्ट्स), अमन बिधूड़ी, एडवोकेट आनन्द गुर्जर, मनोज जी, कनहैया जी, अमित आर्य तथा वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुराग चौधरी उपस्थित रहे।

वक्ताओं ने बताया कि गुर्जर संस्कृति भारत के लगभग 18 राज्यों में व्यापक रूप से विद्यमान है, साथ ही मध्य एशिया, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान तक इसकी ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज की जाती है। समुदाय के लोग हिन्दू, मुस्लिम, सिख आदि विभिन्न आस्थाओं से जुड़े होने के बावजूद साझा सांस्कृतिक धारा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी बहुलतावादी एकता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यह संगम न केवल समाज की आंतरिक एकजुटता को रेखांकित करेगा, बल्कि व्यापक राष्ट्रीय सद्भावना को भी सशक्त बनाएगा।