पंजाब विधान सभा स्पीकर द्वारा मातृभाषा दिवस सम्बन्धी विधायकों और चिंतकों के साथ विचार-चर्चा

पंजाब विधान सभा स्पीकर द्वारा मातृभाषा दिवस सम्बन्धी विधायकों और चिंतकों के साथ विचार-चर्चा

Mother Language Day

Mother Language Day

स्थापित कानूनों के तहत हाई कोर्ट और निचली अदालतों में पंजाबी भाषा लागू करने और राज्य में लाइब्रेरी एक्ट लाने जैसे अहम विचार आए सामने

चंडीगढ़, 7 फरवरीः Mother Language Day: पंजाब के ज्वलंत और अहम मुद्दों के बारे विचार-विमर्ष(discussion) करने की कड़ी के अंतर्गत विधान सभा स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां द्वारा बुलाई गई मीटिंग के दौरान स्थापित कानूनों की रौशनी में हाई कोर्ट और निचली अदालतों में पंजाबी भाषा लागू(punjabi language apply) करने सम्बन्धी सार्थक विचार उभर कर सामने आऐ। 

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस(International Mother Language Day) के मद्देनज़र पंजाबी भाषा को और प्रफुल्लित करने, विधायकों को मुद्दों के बारे विस्तृत और उचित जानकारी मुहैया कराने और अदालतों में मातृ-भाषा पंजाबी लागू कराने सम्बन्धी मामलों पर विचार-विमर्ष करने के लिए बुलायी मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये स्पीकर स. कुलतार सिंह संधवां(Speaker Kultar Singh Sandhwan) ने कहा कि मातृ-भाषा पंजाब को बनता मान-सम्मान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान(Chief Minister Bhagwant Mann) के नेतृत्व में पंजाब सरकार निरंतर कोशिशें कर रही है और 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृ-भाषा दिवस तक सभी सरकारी और निजी संस्थानों के बोर्डों में पंजाबी को पहला स्थान देने की अपील की गई है। 

स. संधवां ने बताया कि विचार-चर्चा के दौरान स्थापित कानून के अंतर्गत हाई कोर्ट और निचली अदालतों में पंजाबी भाषा लागू कराने, राज्य में लाइब्रेरी एक्ट लाने, पंजाबी को रोज़गार के साथ जोड़ने, अध्यापकों की पंजाबी भाषा में महारत, पंजाबी भाषा के शुद्ध अनुवाद, प्राईवेट स्कूलों में नर्सरी स्तर से पंजाबी भाषा लागू करने, अफसरशाही को पंजाबी भाषा में लिखने/पढ़ने, भाषाई संस्थानों को मज़बूत करने जैसे अहम विचार सामने आए। 

मीटिंग के दौरान शिक्षा मंत्री स. हरजोत सिंह बैंस, विधान सभा के डिप्टी स्पीकर श्री जय कृष्ण सिंह रोड़ी, श्री मनजीत सिंह बिलासपुर, श्री कुलवंत सिंह पंडोरी, श्री मुहम्मद जमील उर रहमान, श्री करमबीर सिंह घूमन्न (सभी विधायक) और कई अन्य प्रतिनिधि उपस्थित रहे। 

विचार-विमर्ष के दौरान भाषाई कार्यकर्ता और कानूनी चिंतक श्री मित्तर सैन मीत ने स्थापित कानूनों का हवाला देते हुये बताया कि राज्यपाल के द्वारा पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पंजाबी भाषा में काम-काज लागू करवाया जा सकता है। इसी तरह पंजाब सरकार द्वारा निचली अदालतों में पंजाबी भाषा लागू करवाना यकीनी बनाया जा सकता है। उन्होंने कानूनी नियमों का अनुवाद करने के लिए पंजाब राज भाषा वैधानिक कमीशन को सुरजीत करने की बात भी कही। पंजाबी साहित्य अकादमी लुधियाना के प्रधान श्री लखविन्दर सिंह जौहल ने अकादमिक स्तर पर पंजाबी की हालत सुधारने और मातृ-भाषा को हुनर विकास एवं रोज़गार के साथ जोड़ने के बारे में विचार रखे। केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा के प्रधान श्री दर्शन बुट्टर ने भाषा विभाग को समर्थ बनाने और केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा (सेखों) के प्रधान श्री पवन हरचन्दपुरी ने सचिवालय स्तर से हिदायतें पंजाबी में लागू करने के लिए कहा। सिख इतिहासकार और विद्वान डा. हरपाल सिंह पन्नू ने अध्यापकों के लिए शुद्ध पंजाबी लाज़िमी करना, पंजाबी यूनिवर्सिटी और भाषा विभाग द्वारा पंजाबी ज़ुबान और पंजाबी विरासत से सम्बन्धित व्यक्तियों के ज़रिये शुद्ध अनुवाद का सिलसिला फिर शुरू करने की बात कही। 

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. योगराज ने फ़्रैंच और पंजाबी भाषा की तुलना करते हुये बताया कि सरकार द्वारा अपनाई जाती भाषा का हमेशा प्रसार होता है। इसके साथ ही भाषाई बुनियादी ढांचा मज़बूत किया जाना लाज़िमी है। 

पंजाबी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. अरविन्द और भाषा विभाग की डायरैक्टर वीरपाल कौर ने सरकार के मातृ-भाषा के प्रति फ़ैसले को सराहनीय बताते हुये कानून और मैडिकल की पढ़ाई के लिए मातृ-भाषा में शब्दावली मुहैया कराने और भाषाई बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने में सरकार को पूरा सहयोग देने की बात कही। 

सीनियर पत्रकार श्री चरनजीत भुल्लर, श्री जय सिंह छिब्बर, श्री दीपक चनारथल और श्री हरजिन्दर सिंह लाल ने शिक्षा प्रणाली के पंजाबीकरण, भाषाई संस्थाओं की मज़बूती, राज्य की राजधानी और अफसरशाही में पंजाबी पढ़नी और लिखनी लाज़िमी करना, लेखकों का बनता मान-सम्मान करना, मातृ-भाषा की मज़बूती के लिए राज्य सरकार की सरप्रस्ती और राज्य की राजस्व अदालतों में पंजाबी लागू करने की बात रखी। 

सीनियर पत्रकार श्री सतनाम मानक ने एक राष्ट्र के संकल्प को नकारते हुये कहा कि विभिन्नता में ही देश की ख़ूबसूरती है। उन्होंने कहा कि राज्य में लाइब्रेरी एक्ट बनाने की ज़रूरत है जिससे केंद्रीय ग्रांट मिलनी आसान हो जायेगी। उन्होंने आंध्रा प्रदेश की तर्ज़ पर पंजाब राज भाषा कमीशन बनाने के बारे में भी विचार रखा। 

इसके इलावा विधायक प्रिंसिपल बुद्ध राम और गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी से पंजाबी विभाग के प्रमुख डा. मनजिन्दर सिंह ने भी मातृ-भाषा की तरक्की के लिए अपने विचार रखे।

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