Sukhdev Singh Dhindsa: पंजाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन; मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में ली अंतिम सांस
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पंजाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन; मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में ली अंतिम सांस, पद्म भूषण से किए गए थे सम्मानित

Punjab Veteran Leader Sukhdev Singh Dhindsa Passed Away News

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Sukhdev Singh Dhindsa: पंजाब की राजनीति को एक बड़ा झटका लगा है। दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा का निधन हो गया है। सुखदेव ढींडसा 89 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। ढींडसा ने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आज शाम करीब 5 बजे अंतिम सांस ली। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। ढींडसा के निधन पर उनके समर्थकों में भारी शोक की लहर दौड़ गई है। वहीं नेताओं की तरफ से दुख व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है।

पंजाब कांग्रेस प्रधान राजा वडिंग ने कहा कि, ''सरदार सुखदेव सिंह ढींडसा साहब के दुखद निधन पर मेरी हार्दिक संवेदनाएँ। हमने धरती के एक महान सपूत को खो दिया है, जिन्होंने छह दशकों से अधिक समय तक पंजाब की सेवा की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवा की और राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में बहुत बड़ा और सकारात्मक योगदान दिया। वह संभवतः राज्य के उन अंतिम महान व्यक्तियों में से थे, जो पंजाब के घटनापूर्ण इतिहास के साक्षी थे। उनके निधन से जो शून्यता पैदा हुई है, उसे भरना बहुत मुश्किल होगा।''

पद्म भूषण से किए गए थे सम्मानित

सुखदेव सिंह ढींडसा ने राज्य और राष्ट्रीय राजनीति दोनों में ही अपनी गहरी छाप छोड़ी। 1972 में वह पहली बार सुनाम से निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद वह 1980 में संगरूर विधानसभा से दोबारा जीते। वहीं 1985 में वह सुनाम से फिर विधायक बने। वहीं ढींडसा लोकसभा और राज्यसभा सांसद भी रहे। इस दौरान उन्हें वाजपाई सरकार में बतौर केंद्रीय मंत्री काम करने का मौका भी मिला।

सुखदेव सिंह ढींडसा की गिनती अकाली दल के दिग्गजों में होती थी। वह प्रकाश सिंह बादल के बेहद करीबी रहे और अकाली दल के संरक्षक भी रह चुके थे। हालांकि, 2020 में सियासी उठापटक के चलते वह अकाली दल से अलग हो गए और अपनी नई पार्टी बना ली। लेकिन 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले वह अपनी पार्टी का फिर से शिरोमणि अकाली दल में विलय करके वापस आ गए। मालूम रहे कि, 2019 में ढींडसा पद्म भूषण से सम्मानित किए गए थे। हालाँकि, उन्होंने दिसंबर 2020 में किसान आंदोलन के दौरान यह सम्मान वापस कर दिया था।