PU alumni come together on one platform

Chandigarh: एक प्लेटफार्म पर आएं पीयू के एल्यूमनी: जगदीप धनकड़

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PU alumni come together on one platform- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)। देश के उपराष्ट्रपति और पंजाब यूनिवर्सिटी के चांसलर जगदीप धनकड़ ने कहा है कि यूनिवर्सिटी उसकी फैकल्टी और एल्यूमनी से जानी जाती है इनफ्रास्ट्रक्चर से नहीं है। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में इनफ्रास्ट्रक्चर तो इंडस्ट्री बना सकती है। देश के आजाद होने से पहले शिक्षा और स्वास्थ्य को सेवा माना जाता था। अब यह इंडस्ट्री व कामर्स बन गई है। उन्होंने कहा कि अगर देश की यूनिवर्सिटियों का ऑब्जेक्टिव एनेलेसिस कर लिया जाए तो पंजाब यूनिवर्सिटी के एल्यूमनी नंबर वन होंगे। धनकड़ पंजाब यूनिवर्सिटी की चौथी ग्लोबल मीट में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे। चांसलर जगदीप धनकड़ ने कहा कि समय आ चुका है कि सब एल्यूमनी एक प्लेटफार्म पर आएँ। इसमें देश और विदेश के सभी एल्यूमनी को प्रतिनिधित्व मिले।

अगर ऐसा होता है तो यहां फिलहाल पढ़ रहे स्टूडेंट्स की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा। दुनिया की कई यूनिवर्सिटियां हैं जिनकी अपने एल्यूमनी के बूते रेपुटेशन है। एल्यूमनी जो योगदान देते हैं उसी के बूते उसकी आर्थिक स्थिति  जांची जाती है। आइडिया यह है कि कैसे कोई अपनी जड़ों से कनेक्ट करता है। उन्होंने यूएस की एक यूनिवर्सिटी का उदाहरण देते हुए कहा कि जो हिंदुस्तानी वहां पढ़ता है वह यह शपथ साथ लेता है कि हर माह इतना योगदान देगा। उन्होंने कहा कि 2009 में तत्कालीन सरकार ने एक यूएस में एक विदेशी यूनिवर्सिटी को 5 मिलियन यूएस डॉलर की सहायता दी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारी यूनिवर्सिटियों को आर्थिक मदद की जरूरत नहीं? एक बड़े औद्योगिक घराने ने 50 मिलियन यूएस डॉलर का योगदान दिया। हमें अपने होम ग्राउंड को नहीं छोडऩा।

मुंबई जैसी जगह पर कई विदेशी यूनिवर्सिटी हैं। एल्यूमनी इंडस्ट्री और बिजनेस को सेंसेटाइज कर सकते हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे स्टूडेंट्स को यह एहसास होना चाहिये कि एल्यूमनी ही मेरे असली अभिभावक हैं। अगर अच्छी शिक्षा मिलेगी तो प्लेसमेंट में दिक्कत नहीं होगी। यह आश्वासन पंजाब यूनिवर्सिटी के हर छात्र और छात्रा को मिलना चाहिए। धनकड़ ने कहा कि समय आ चुका है जब आईआईएम, आईआईटी व अन्य साइंस इंस्टीच्यूट्स व फोरेंसिक व पेट्रोलियम में काम कर रही यूनिवर्सिटियों के एल्यूमनी के बौद्धिक तजुर्बे व एक्सपोजर को इस्तेमाल करने की जरूरत है। ये एल्यूमनी एक मंच पर आकर नीति निर्धारक हो सकते हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी के रुतबे को रखना है बरकरार 

उपराष्ट्रपति धनकड़ ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी का बेहतरीन इतिहास है। जो ये आज है, उससे कहीं अधिक बढऩे की इसमें क्षमता है। उस रुतबे को हमें पाना है। अगर हम दृढ़ निश्चय कर लेंगे तो विश्वास करना, पंजाब यूनिवर्सिटी वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी यूनिवर्सिटी होगी। हमें इसके लिये काम करना होगा। मुझे कुछ व्यक्तिगत लोगों के बीच खुद को पाकर खुशी महसूस हो रही है जिन्होंने वैश्विक स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में खुद को साबित कर पंजाब यूनिवर्सिटी की परंपरा को आगे बढ़ाया है। पंजाब यूनिवर्सिटी के एल्यूमनी ने वैश्विक स्तर पर खूब तरक्की की। इनके नाम नहीं लिये जा सकते। इनमें कई राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, साइंटिस्ट, ब्यूरोक्रेट, एंटरप्रेन्योर इत्यादि बन चुके हैं। जिस यूनिवर्सिटी की अपनी इतनी बड़ी एल्यूमनी ताकत हो, वह आज कहां है यह सोचने वाली बात है? क्यों नहीं हमारा एक एल्यूमनी कार्पस बनाया जाता जिससे वैश्विक स्तर के संस्थानों को भी ईष्र्या हो। इस मौके पर एल्यूमनी अपनी पंजाब यूनिवर्सिटी के लिये खड़ा क्यों नहीं होते? अमेरिका की यूनिवर्सिटियों में हमारे ही देश के नागरिक व स्टूडेंट हमें नीचा दिखाते हैं। उन्हें आइना दिखाने की जरूरत है। एल्यूमनी एसोसिएशन ऐसा कर सकती है।

तीस साल बाद बनी नेशनल एजूकेशन पालिसी

उन्होंने कहा कि तीस सालों के बाद हमारी नेशनल एजूकेशन पालिसी बनी जिसमें सभी स्टेकहोल्डर की राय ली गई। मुझसे भी उस वक्त पश्चिमी बंगाल के राज्यपाल के तौर पर सुझाव मांगा गया। मैंने सभी शैक्षिक जगत से जुड़े लोगों से इनपुट मांगे जिसमें स्टूडेंट्स को पूरी फ्रीडम हो। हमें कैनाल सिस्टम में नहीं रहना बल्कि नीति को बहते दरिया की तरह बनाना है। इंसान का दिमाग भी इसी नदी की तरह व्यवहार करे। इस प्रक्रिया में बहुत सी धरती शामिल होती है लेकिन अगर इसे वैज्ञानिक तौर पर देखा जाये तो इससे आसपास की जमीन ऊपजाऊ होती है। कोई भी सभ्यता नहर के किनारे नहीं बल्कि नदियों के किनारे विकसित होती हैं। हमें अपने युवाओं के दिमाग को इसी तरह पोषित करना है। प्राचीन भारत में नालंदा, तक्षशिला जैसी कई यूनिवर्सिटी थी। पंजाब यूनिवर्सिटी वैश्विक स्तर पर वह रुतबा हासिल कर सकती है। यह सीनेट व सिंडिकेट या सरकार और वाइस चांसलर के बूते ऐसा नहीं कर सकती लेकिन एल्यूमनी की भागीदारी से इसे हासिल कर सकती है।

कारपोरेट शोध के लिये कर रहे फंडिंग

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विकसित दुनिया की तरफ देखो। कारपोरेट शोध के लिये फंडिंग कर रहे हैं। हमारे देश में यह नहीं हो रहा। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना है जहां यह शुरू हो जाए। पंजाब यूनिवर्सिटी के एल्यूमनी की ताकत पर मुझे भरोसा है। उनमें क्षमता, तजुर्बा, कैलिबर और एक्सपोजर है। यूनिवर्सिटी को आगे बढऩा है। हमें वैश्विक यूनिवर्सिटियों के साथ रिसर्च,तकनीक, आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग में आगे  बढ़ाना है। हाथ में मौजूद मोबाइल फोन का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 5 जी की जगह जब इसमें 6 जी होगा तो इसके क्या नतीजे होंगे, समझा जा सकता है। एल्यूमनी को एक रोल प्ले करना है। उन्होंने कहा कि ग्रुप बनाकर वह पंजाब यूनिवर्सिटी के एजेंडे पर उनसे विचार विमर्श के लिये आ सकते हैं। हमें ऐसा कल्चर बनाना है कि हर कोई अपने अल्मा मैटर की ओर चुंबक की तरह खिंचा आए।

बदला भारत दिख रहा

उन्होंने कहा कि हमें देश में जिम्मेदार बनना है। भारत तेजी से बदल रहा है। जब मैं 1989 में सांसद था तो केंद्रीय मंत्री भी था। मैंने सरकार में रहते देखा कि जिस भारत को हम सोने की चिडिय़ा कहते थे, उस भारत का सोना हवाई जहाज से भारत के बाहर गया और स्विस बैंक व अन्य बैंकों में प्लेस किया गया। तब हम महज एक बिलियन और दो बिलियन यूएस डॉलर के फोरेक्स रिजर्व के बीच जूझ रहे थे जो आज बढक़र 600 बिलियन प्लस हो गया है। मेरी इसरो के चेयरमैन से भी 1960 के दशक में बातचीत हुई। हमारे उपग्रह दूसरे देशों के लांचिंग पैड से छोड़े जाते थे। हमारा पड़ोसी पाकिस्तान अपनी सरजमीं से इसे छोड़ता था। अब चाहे यूके, यूएसए या सिंगापुर हो, हम उनके भी उपग्रह अपने यहां से छोड़ते हैं। ऐसा विकास भारत देख रहा है।

शौचालयों व गैस कनेक्शन ने बदल दी महिलाओं की दशा

धनकड़ ने कहा कि तीन दशकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के आरक्षण पर सहमति बनाई और लोकसभा और विधानसभाओं में उन्हें एक तिहाई आरक्षण मिला। अनुसूचित जाति व जनजाति में भी यह एक तिहाई हो गया। इससे ज्यादा बराबरी वाली बात कोई हो सकती है। उन्होंने कहा कि मैं गांव से आता हूं और मुझे महिलाओं की दुर्दशा का ज्ञान है जिन्हें शौच के लिये सूरज निकलने से पहले और छिपने के बाद जाना पड़ता था। अब हर घर में शौचालय है। पहले महिलाएं चूल्हे पर खाना पकाती थी और फूंकनी से फूंकती रहती थी। उज्जवला योजना के तहत फ्री में गैस कनेक्शन मिलने से उसे कितनी बड़ी राहत मिली। 100 मिलियन गैस कनेक्शन ऐसी महिलाओं को बांटे गए। उन्होंने कहा कि भारत लगातार जिस तेज गति से बदल रहा है, ऐसा कोई दूसरा देश नहीं बदल रहा। इसमें यूनिवर्सिटियों का बहुत योगदान है। उन्होंने कहा कि ऐसा संकल्प लें कि यूनिवर्सिटी की आर्थिक सहायता करनी है। यह ग्लोबल मीट तभी सार्थक होगी जब यह बदलाव आएगा। मानव संसाधन को तैयार करना व अपने अल्मा मैटर का पोषण करने से ज्यादा कोई अन्य संतोष नहीं है।

कई एल्यमनी ने दिया पीयू को पैसा

पंजाब यूनिवर्सिटी की चौथी ग्लोबल मीट के दौरान वाइस चांसलर प्रो. रेनु विग ने यूनिवर्सिटी की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी ने हाल ही में नैक एक्रीडीटेशन में ए प्लस प्लस रैंक हासिल किया। 2017 से 2022 तक कई रिसर्च पब्लिकेशन यूनिवर्सिटी की फैकल्टी के नाम हैं। इस मौके पर पूर्व सांसद व भारत के एडीशनल सॉलीसिटर जनरल सतपाल जैन, कांग्रेस नेता कुलजीत नागरा, पांडीचेरी की ले. गवर्नर रही किरण बेदी, राज्यसभा सांसद विक्रमजीत साहनी, पंजाब के मंत्री अमन अरोड़ा, पूर्व मंत्री जगमोहन कंग मौजूद रहे। केमिकल इंजीनियरिंग के पूर्व एल्यूमनी अजय वर्मा ने यूनिवर्सिटी को विभाग में एक प्रोजेक्ट के लिये 3.5 करोड़ रुपये दिये। रेनु विग ने बताया कि एसपी ओसवाल ने भी एक करोड़ की राशि पीयू को दी। जसप्रीत सिंह ने हॉस्टलों के लिए 10 करोड़ की लागत वाले 300 एयर प्यूरीफायर देने को कहा है।