ईद-उल-अजहा पर जामा मस्जिद मनीमाजरा मे अदा की गई नमाज़।

ईद-उल-अजहा पर जामा मस्जिद मनीमाजरा मे अदा की गई नमाज़।

ईद-उल-अजहा पर जामा मस्जिद मनीमाजरा मे अदा की गई नमाज़।

ईद-उल-अजहा पर जामा मस्जिद मनीमाजरा मे अदा की गई नमाज़।

मौसम की खराबी के कारण मदरसा व मस्जिद मे अलग अलग अदा की नमाज़।

चंडीगढ़ में रविवार को मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद उल अजहा (बकरीद) का त्योहार उत्साह के साथ मनाया। साढ़े सात बजे के करीब नमाज अदा कर एक दूसरे को बकरीद की बधाई दी।
मौसम की खराबी और भरी बारिश के कारण मदरसा व मस्जिद मे दो बार बकरीद की नमाज पढ़ी गई। अमन व चैन के लिए लाखों हाथों से दुआ की। त्याेहार के लिए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हुए थे। थाना प्रभारी क्षेत्र में गश्त करते नजर आए।
मस्जिद के इमाम मोलवी ने बताया के इस्लाम धर्म की मान्यताओं के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने जब अपने बेटे की कुर्बानी देने का निश्चय किया। तभी इस पर्व की नींव पड़ी। इस्लाम में मान्यताओं के मुताबिक हजरत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर थे। उन्होंने अपने अजीज बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करना चाहा, लेकिन खुदा का करिश्मा यह हुआ की इस्माल की जगह दुंबे की कुर्बानी हो गई। इससे हजरत इस्माइल को जीवनदान मिल गई। तब से ही बकरीद पर कुर्बानी दी जाने लगी। इमाम ने बताया कि बकरीद जिसे ईद उल-अजहा नाम से भी जाना जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व मीठी ईद के ठीक दो महीने के बाद इस्‍लामिक कैलेंडर के सबसे आखिरी महीने में 10 तारीख को मनाई जाती है।
जामा मस्जिद मे ईद की नमाज़ से पहले भाषण देते हवे क़ारी नोमान क़ादरी ने बताया कि इस महीने में मुस्लिम संप्रदाय के लोग साउदी अरब स्थिति मक्का आकर हज करते हैं। यहां पर बकरीद के दिन दुंबे की बलि भी दी जाती है। बकरीद में बकरे की कुर्बानी दी जाती है।
इस अवसर पर मनीमाजरा मदरसा के सह संचालक जनाब हाफ़िज़ डा खालिद मुजद्दीदी ने बताया कि बकरीद के लिए मुसलमान अपने घर में लाड़-प्‍यार से पल रहे बकरे की कुर्बानी देते हैं। इसके तीन हिस्से किए जाते हैं है। एक गरीब, दूसरा रिश्तेदारों व तीसरा घर के लिए होता है। कुर्बानी में दान भी बेहद जरूरी है। अल्‍लाह की राह में पैगंबर मोहम्‍मद के पूर्वज इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी को याद करने के उपलक्ष्‍य में बकरीद मनाई जाती है।