हमारे पर्व ऑक्सीजन की तरह, रिश्तों में मिठास घोलते हैं पर्व - एसपी चौहान

Our festivals are like Oxygen
भौतिकवादी दौर में इंसान के पास सब कुछ , नहीं है तो मानसिक सुकून, रिश्तो की गरिमा, अपनापन
करनाल। Our festivals are like Oxygen: संवेदनशील प्रवृति व सामाजिक ताने बाने में चेतना पिरोने के लिए पहचाने जाने वाले नवचेतना मंच के संयोजक एसपी चौहान ने पर्वों की महता बताते हुए कहा है कि सभी पर्व हमें रिश्तों की संजीदगी सिखाते हैं, जीने का नया अनुभव देते हैं और मानव जीवन में पर्व ऑक्सीजन का भी काम करते हैं। ये पर्व सत्यता के मार्ग पर चलने का संदेश भी देते हैं। गीता के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने सभी को सत्य व धर्म का पाठ पढ़ाया, प्राकृतिक रूप से जो परमपिता परमात्मा ने हमारी तकदीर में लिखा है और जैसा हम कर्म करेंगे वैसा ही हमें मिलेगा। असल में पर्वों के दिन रिश्तों की बानगी के दिन हैं। आज के नए दौर में जब पैसा हर रिश्ते पर हावी है तो ऐसे में पर्वो की महता ओर बढ़ जाती है। आज के दौर में पर्व ही हैं जिनके कारण संजीदा लोग रिश्ता निभा रहे हैं। हर रोज समाचार पत्र इस बात के गवाह हैं कि प्रॉपर्टी, पैसे के लिए कितनी आत्महत्याएं हो रही हैं और पिछले कुछ वर्षों में ये अनुपात बहुत तेजी से बढ़ा है।
श्री चौहान ने कहा कि आज के दौर में हमें लगने लगा है कि धन- दौलत ही सबसे जरूरी है उससे हम हर चीज खरीद लेंगे और इसी मानसिकता ने आदमी को बिल्कुल अकेला कर दिया है, पीछे मुड़कर देखने पर केवल और केवल सन्नाटा नजर आता है। आज तकनीकी व भौतिकवादी दौर में इंसान के पास सब कुछ है यदि कुछ नहीं है तो वह है मानसिक सुकून, रिश्तो की गरिमा, अपनापन, संतोष। असल में आज इंसान ये भूल गया है कि लेने से पहले देना पड़ता है, टू गिव, गिव एंड गिव ये सिद्धांत जिस दिन कोई व्यक्ति अपना लेगा उस दिन उसका जीवन खुशियों से भर जाएगा, उसके पास हर रिश्ता होगा। हमारे पूर्वजों के पास रिश्तों की दौलत थी, रक्षा बंधन से लेकर दीवाली तक के हर पर्व पर बहन, भाइयों, बच्चों व बड़ो का उत्साह देखते ही बनता था। ए आई तकनीक के इस युग में रिश्ते भी ए आई से हो गए हैं, हमें इन रिश्तों को बचाना है और रिश्ते बचाने के लिए हमें सभी पर्वों को मिल जुलकर मनाना चाहिए, इससे रिश्तों में ऑक्सीजन का संचार होगा, आत्महत्याएं रुकेंगी, हमें संभलना चाहिए, आज के इस दौर में भगवान श्री कृष्ण के गीता में दिए ज्ञान को पढ़ने व समझने की पहले से कई लाख गुणा जरूरत है क्योकि आज के युग में सभी को फल पहले चाहिए और कर्म बाद में। लेखक संदीप साहिल की कलम से निकली बॉयोग्राफी संघर्ष को सलाम व एसपी चौहान द स्ट्रगलिंग मैन फिल्म के असल नायक एसपी चौहान ने कहा कि हमारे पर्व ही हमारी संस्कृति को जिंदा रखे हुए हैं, इन्हें पूरी शिद्दत व अपनेपन से मनाने के लिए सभी को रिश्तो में प्रेम की मिठास घोलनी चाहिए।