अब ‘दानवीर’ योजना से बदलेगी हरियाणा के गांवों की तस्वीर

अब ‘दानवीर’ योजना से बदलेगी हरियाणा के गांवों की तस्वीर
ऐलनाबाद हलका बनेगा रोल मॉडल, जहां हुए कई सुधार
दानियों की मदद से शैक्षणिक संस्थानों व अस्पतालों का होगा सुधार
चंडीगढ़, 13 मार्च। हरियाणा का ऐलनाबाद हलका अब प्रदेश के सामने मिसाल बनेगा। सरकार ने गांवों एवं शहरों में विकास तथा आम लोगों से जुड़ी संस्थाओं में दानवीर लोगों की मदद के रास्ते खोल दिए हैं। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड का इस्तेमाल भी स्कूल-कॉलेजों व दूसरे शैक्षणिक संस्थानों, गांवों में लाइब्रेरी, गौशालाओं व वृद्धाश्रम आदि में हो सकेगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने तीसरे वार्षिक बजट में भी सहभागिता-सरकारी-सामुदायिक भागीदारी और समर्पण (जीसीपी) का नया मॉडल विकसित करने का ऐलान किया है। सरकार की कोशिश यही रहेगी कि ऐलनाबाद की तर्ज पर बाकी हलकों में भी सामाजिक लोगों मुख्य रूप से दानवीर लोगों की मदद से विकास कार्यों में भागीदारी बढ़ाई जाए।
भाजपा-जेजेपी गठबंधन के सूत्रधार मीनू बैनीवाल का फोकस पिछले करीब चार महीनों से ऐलनाबाद हलके पर है। ऐलनाबाद का तराकांवाली उनका पैतृक गांव है। उन्होंने इस हलके के अधिकांश छोटे-बड़े गांवों के अलावा नाथूसरी चौपटा व ऐलनाबाद के अस्पतालों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की दशा-दिशा बदलने में अहम भूमिका निभाई है। यह प्रदेश का पहला ऐसा हलका है, जिसके गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी शहरों से अव्वल दिखने लगे हैं।
मीनू बैनीवाल ने ऐलनाबाद हलके के दड़बा कलां, माधो सिंघाना, ढुकड़ा, ऐलनाबाद, नाथूश्री चौपटा, जमाल सहित अधिकांश गांवों के स्वास्थ्य केंद्रों में आधुनिक सुविधाओं से लैस उपकरण, बेड, ऑक्सीजन सुविधा, सभी प्रकार के खून टेस्ट की सुविधा के लिए लैब उपकरण, डॉक्टरों व पैरा-मेडिकल स्टॉफ के लिए ड्रैस, दवाइयों, डेंटल चेयर, बुजुर्गों के लिए व्हील चेयर, मरीजों के लिए बैठने को चेयर सहित तमाम सुविधाएं मुहैया कराई हैं।
इसी तरह से गांवों में आम लोगों व युवाओं के लिए लाइब्रेरी का प्रबंध किया है। खिलाडिय़ों व युवाओं के लिए खेल सुविधाओं का प्रबंध किया है। हलके के कई गांवों में युवाओं के लिए जिम स्थापित किए हैं। गांवों की गौशालाओं में शेड निर्माण के अलावा ट्रैक्टर-ट्राली के लिए आर्थिक मदद की है। मीनू बैनीवाल की पहल पर गांवों में विशेष सफाई अभियान चलाया गया। इसमें गांव के बुजुर्गों व महिलाओं से लेकर युवा व बच्चे तक भागीदार बने नजऱ आए।
खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी इस तरह की योजना बनाई थी लेकिन अब उसके प्रारूप में बदलाव होगा। सरकार ने प्रवासी भारतीयों का आह्वान किया था कि वे अपने गांवों को गोद लें ताकि गांवों के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। कुछ लोगों ने गांवों में काम भी किए।
सरकार ने सहभागिता-सरकारी-सामुदायिक भागीदारी (पीपीपी मॉडल) के लिए एक नीतिगत मॉडल विकसित करने का निर्णय लिया है। इसमें सरकार समुदायों और परोपकारियों के साथ पारदर्शी तरीके से भागीदारी कर सकेगी। सामाजिक क्षेत्र में सरकारी प्रयास कई गुणा बढ़ेंगे तथा समुदायों व परोपकारियों की भागीदारी भी होगी। कई ऐसी संस्थाए हैं, जो स्कूल, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथ आश्रम, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं आम लोगों के लिए मुहैया कराती हैं।