Mulayam Singh Yadav Life Journey: मुलायम सिंह यादव नहीं रहे, पढ़िए उनका जीवन किस्सा, कैसे सियासत की चाह ने छुड़वा दी थी शिक्षक की नौकरी?

एक थे 'मुलायम': साइकिल का शौक, सियासत की चाह और ऐसे शिक्षक की नौकरी छोड़ बैठे थे मुलायम सिंह, अब सफर थमा, रह गए तो सिर्फ 'नेताजी' के किस्से

Mulayam Singh Yadav Life Journey

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Mulayam Singh Yadav Life Journey : समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का निधन हो गया है| 82 साल की उम्र में मुलायम ने अपने जीवन की आखिरी सांस ली| मुलायम के जाने (Mulayam Singh Yadav Death) से राजनीतिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है साथ ही उनके चाहने वालों की आंखें नम है| मुलायम को प्यार से 'नेताजी' कहा जाता था|

Mulayam Singh Yadav Life Journey
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बतादें कि, मुलायम (Mulayam Singh Yadav) पिछले एक सप्ताह से हरियाणा स्थित गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ICU यूनिट में एडमिट थे| उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी| विशेष डॉक्टरों की एक स्पेशल टीम द्वारा लगातार अच्छे से अच्छे इलाज के बावजूद मुलायम सिंह की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और अब वह इस दुनिया को अलविदा कह गए| बताया जाता है कि, मुलायम सिंह को यूरिन संक्रमण के साथ ही ब्लड प्रेशर की समस्या काफी जयादा थी| उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी|

मुलायम का वर्चस्व अलग था

मुलायम सिंह भले ही विवादों में रहे हों लेकिन राजनीति में उनका वर्चस्व एक अलग स्तर पर हट के रहा है| मुलायम देश की राजनीति के प्रमुख चेहरों में शुमार थे| मुलायम को उन नेताओं में जाना जाता था, जो धरती से उठे हुए थे और यूपी की हर नब्ज को बारीकी से समझने का ज्ञान रखते थे| हर राजनीतिक दल मुलायम का सम्मान करता था|

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लोगों के बीच भी खूब सम्मान पाया

इसके साथ ही मुलायम (Mulayam Singh Yadav) ने लोगों के बीच भी खूब सम्मान पाया| यादव समाज में तो मुलायम का श्रेष्ठ सम्मान था ही साथ ही मुलायम का प्रभाव सभी जातियों पर भी माना जाता था| नेताजी का प्रभाव ऐसा था कि, उनके साथ रहे लोग तो उनके ठीक होने की कामना कर ही रहे थे| साथ ही जनता भी उनके ठीक हो जाने के लिए दुआ करती नजर आ रही थी|

राजनीति के चस्के ने छुड़वा दी शिक्षक की नौकरी

आपको बतादें कि, मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को यूपी के इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था| अगर मुलायम की पढ़ाई के बारे में बात करें तो उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में बीए और एमए की डिग्री प्राप्त की| इसके बाद मुलायम एक इंटर कॉलेज में शिक्षण कार्य से जुड़ गए और एक शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए और बाद में यहां प्रवक्ता भी बने लेकिन राजनीति के चस्के ने मुलायम को शिक्षण कार्य से दूर कर दिया| मुलायम शिक्षक से राजनेता बन गए|

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साइकिल के शौकीन थे मुलायम

बताते हैं कि, मुलायम सिंह यादव को सादगी बड़ी पसंद थी और उन्हें साइकिल का बड़ा शौक था| एक समय में सादगी पसंद नेताजी गली-गली साइकिल से घूमते दिखाई देते थे| जब वह शिक्षक थे तो साइकिल से ही पढ़ाने जाया करते थे| इसके साथ ही उनकी राजनीति में भी साइकिल उनकी काफी समय तक हमसफर रही| यही कारण रहा कि, जब मुलायम ने अपनी समाजवादी पार्टी बनाई तो 'साइकिल चिन्ह' का ही चुनाव किया|

यूपी के 3 बार CM रहे मुलायम

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की 1967 में सक्रिय राजनीति में एंट्री हुई और इसी साल वह पहली बार उत्तर प्रदेश की विधान सभा में विधान सभा के सदस्य के रूप में चुने गए| इसके बाद फिर मुलायम लगातार राजनीति की बुलंदी पर चढ़ते चले गए| मुलायम सिंह 10 बार (1967, 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993,1996, 2003, 2007) विधायक बने और इस दौरान एक बार वह 1977 में राज्य मंत्री भी रहे।

इसके बाद 1989 का वह वक्त भी आया जब मुलायम सिंह के सिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का ताज था| 1989 के बाद मुलायम 1993 और 2003 में फिर से यूपी के मुख्यमंत्री बने| इस प्रकार से मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे| मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी|

रक्षा मंत्री भी बने मुलायम

वहीं, इसके साथ ही मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने केंद्रीय राजनीति में भी अपनी भूमिका निभाई| 1996 में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त गठबंधन वाली सरकार में मुलायम ने रक्षामंत्री के रूप में काम किया। मुलायम यादव भारत के 21वें रक्षा मंत्री बने थे|

7 बार लोकसभा सांसद रहे मुलायम

इसके अलावा आपको बता दें कि, सीएम पद से हटने के बाद मुलायम 7 बार लोकसभा सांसद रहे चुके हैं| मौजूद समय में वह मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद थे| इससे पहले भी वह मैनपुरी से 3 बार सांसद रह चुके थे| इसके अलावा  मुलायम एक बार आजमगढ़ और दो बार संभल लोकसभा सीट से सांसद रहे|