look at the views of the smart city, all the officials are sleepingLook all the officers of the smart city are sleeping

देखो स्मार्ट सिटी के नजारे, अधिकारी सो रहे हैं सारे

City-Beautiful

Look all the officers of the smart city are sleeping

टैग स्मार्ट सिटी का, हालात साधारण शहर से भी बदतर

अर्थ प्रकाश/साजन शर्मा

चंडीगढ़ जैसे शहर की एक अलग तस्वीर भी है। भले ही इस पर स्मार्ट सिटी का टैग लगा दिया गया हो लेकिन कई मायनों में तो यह साधारण सिटी से भी बदतर हो चली है। शहर में प्रशासन की ओर से लगाये गए साइन बोर्ड इसी तथ्य की ओर चिन्हित करते हैं। ये बोर्ड बरसों से इतने खराब हालातों में हैं कि प्रशासन या जुड़े विभाग ने इन्हें ठीक करवाने या हटाने की जहमत तक नहीं उठाई। अर्थप्रकाश ने शहर में जगह जगह तस्वीरों के जरिये शहर की हालत कैमरे में कैद की है। अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
 

कई जगहों पर शहर में पीने के पानी के स्थल बने हैं लेकिन व्यवस्थाएं तो बदल गई लिहाजा पुराने वालों की जरूरत नहीं, बावजूद इसके यह फिर भी जगह घेरे हैं। प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। आजादी के अमृत महोत्सव के 75 साल भारत सरकार बना रही है। चंडीगढ़ में भी इसका जश्न हुआ लेकिन महज एक दिन का यह दिखावा रहा। इसको लेकर जो दीवार पर खुदवाया गया, उस दीवार व पेंट के बुरे हाल हो चले हैं। शहर में कई जगह बरसों से पुराने साइन बोर्ड लगे हैं लेकिन न तो इन्हें ठीक किया जा रहा और न ही हटाया जा रहा। बहुत से बोर्डों पर तो लोगों ने काले रंग से कुछ कुछ लिख दिया है या पुताई कर दी है। श्मशान घाटों में लोगों के बैठने इत्यादि की व्यवस्था तो की गई लेकिन यहां जो हॉल बनवाये गए हैं उनके दरवाजों पर ताले लटके पड़े हैं।  
 

इतना ही नहीं कुछ लोगों को तो धर्म  के नाम पर कुछ भी करने की छूट प्रशासन ने दे दी लगती है। शहर के चौराहों पर रथ यात्रा के बोर्ड लगे हैं। 11 अप्रैल को सांय 4 बजे से शाम 7 बजे तक यह यात्रा निकाली जा चुकी है लेकिन बोर्ड अब भी लगे हैं। इन्हें लगाने की परमिशन कहां से ली गई और बोर्ड अब तक हटाये क्यों नहीं गये, इसको लेकर कोई बोलने को तैयार नहीं। प्रशासन की ओर से बिजली व टेलीफोन के जो बक्से शहर में जगह जगह लगे हैं वह मोबाइल कंपनियों की ऐड से अटे पड़े हैं। सेक्टरों में मकानों के नंबर चिन्हित करने को लगे बोर्ड भी बेतरतीब तरीके से लगे हैं। इन्हें तरीके से नहीं लगाया गया है। इन पर लिखे नंबर भी भ्रमित कर रहे हैं। शहर में घोड़ा गाडिय़ां अभी भी जगह जगह चल रही हैं। आसपास के गांवों यह इलाके से इन पर सब्जियां या फल फ्रूट रख कर विक्रेता ला रहे हैं। इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। गटर के ऊपर से पुराने विरासती ढक्कन चोरी कर लिये गए हैं। ये गटर ऐसे ही खुले पड़े हैं जो हादसे को जन्म दे रहे हैं। नगर निगम चंडीगढ़ ने कभी वेस्ट सेग्रीगेशन के लिए शहरवासियों को हरी व नीली बाल्टियां दी थी। ये बाल्टियां फिलहाल किसी प्रयोग में नहीं हैं। घरों के एक कोने में ये ऐसे ही रखी हैं। इन बाल्टियों की खरीददारी पर करोड़ों रुपये खर्च किये गए। जल्द ही बरसात का सीजन शुरू होने जा रहा है। रोड-गलियों को साफ तो क्या करना था वहां बड़ी मात्रा में मिट्टी व कचरा मौजूद है। इसे साफ करने की कोई कोशिश नहीं की जा रही।