बादल सरकार के समय पर खऱीदी ज़मीन की होगी जांच: कुलदीप सिंह धालीवाल

बादल सरकार के समय पर खऱीदी ज़मीन की होगी जांच: कुलदीप सिंह धालीवाल

Kuldeep Singh Dhaliwal

Kuldeep Singh Dhaliwal

बादल सरकार के कार्यकाल के समय में 32 करोड़ रुपए से कँटीली तार के पार खऱीदी गई 700 एकड़ ज़मीन धालीवाल ने ढूँढी

चंडीगढ़/अमृतसर, 27 नवंबर: Kuldeep Singh Dhaliwal: पंजाब के कृषि मंत्री स. कुलदीप सिंह धालीवाल(Kuldeep Singh Dhaliwal) ने आज जि़ला अमृतसर के सरहद पर स्थित गाँव रानियाँ में कृषि विभाग(agriculture department) द्वारा खऱीदी गई 700 एकड़ ज़मीन का दौरा करने के बाद कहा कि साल 2008 में 32 करोड़ रुपए की लागत से बीज फार्म के लिए सरकार द्वारा खऱीदी गई इस ज़मीन की जांच करवाई जायेगी।  

स. धालीवाल ने कहा कि बादल सरकार के समय जब सुच्चा सिंह लंगाह कृषि मंत्री और काहन सिंह पन्नू अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर थे, समय पर यह ज़मीन बहुत महंगे मूल्य पर खऱीदी गई। उन्होंने कहा कि यह ज़मीन रावी नदी और सरहद पर लगी कँटीली तार के भी पार है और सरकार ने साल 2008 में साढ़े चार लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से यह ज़मीन खऱीदी। उन्होंने कहा कि बी.एस.एफ. की आज्ञा के बिना इस ज़मीन में दाखि़ल तक नहीं हुआ जा सकता और उस समय पर किस ‘स्कीम’ के अंतर्गत यह ज़मीन खऱीदी गई, की जांच करवाई जायेगी।   

मालिक परिवारों को ढूँढा जायेगा

स. धालीवाल ने कहा कि इसके लिए सरकार को रजिस्टरी करवाने वाले किसान और उससे पहले के मालिक परिवारों को ढूँढा जायेगा, जिससे सारी सच्चाई सामने आ सके। इस ज़मीन, जिसको केवल तीन-चार सीजन ही जोता जा सका है, में पैदा हो रहे घास-फूस को देखकर दुख प्रकट करते हुए स. धालीवाल ने कहा कि समझ नहीं आता कि सौदा करने वाले किसान परिवार में से हों और ऐसी ज़मीन इतने महंगे दाम पर खरीद लें।  

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि इस ज़मीन में पानी के लिए 30 सबमर्सीबल ट्यूबवैल, बिजली और कृषि यंत्र, जिसमें ट्रैक्टर, जनरेटर और अन्य मशीनरी शामिल है, की खरीद पर भी 8 करोड़ रुपए के करीब खर्चा हुआ। उन्होंने कहा कि, ‘‘आज मैंने इस फार्म को देखा है और मन दुखी हुआ है कि किस तरह सरकारी पैसे का दुरुपयोग किया गया है।’’ उन्होंने बताया कि आज भी फार्म पर खऱीदी गई मशीनरी खऱाब हो रही है और ज़मीन बंजर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अब दोबारा इस ज़मीन का प्रयोग करने के बारे में विचार किया जायेगा और मुख्यमंत्री स. भगवंत मान के संज्ञान में लाकर केंद्र सरकार से तालमेल करें, क्योंकि इसका रास्ता ही बी.एस.एफ. के अधीन है, इसका उचित प्रयोग किया जाएगा।

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