Kotwali Mata Mandir

कोटेवाली माता का मंदिर: रात बिताने वाला नहीं देख पाता अगली सुबह

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Kotwali Mata Mandir

Kotwali Mata Mandir हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां अनेकों देव देवलु साक्षात रूप में निवास करते हैं। कांगड़ा जिला, माता ब्रजेश्वरी, माता चिंतपूर्णी और ज्वालामुखी जैसी आदि शक्ति पीठों के लिए न केवल भारत बल्कि विश्व में विख्यात world famous है तथा धार्मिक स्थलों के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी विशेष महत्व रखता है। यहां गर्म पानी के अनेकों चश्मे सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लाते हैं।

यहां की सुंदर वादियों में स्थित बाबा बालकनाथ का मंदिर Temple of Baba Balaknath, शिब्बोथान का मंदिर और कालेश्वर नाथ एवं बैजनाथ के मंदिर आदि स्थान अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जगत प्रसिद्ध हैं। लाखों की संख्या में श्रद्धालु हर वर्ष इन मंदिरों की परिक्रमा करने पहुंचते हैं।  

कांगड़ा जिले की नूरपुर तहसील में स्थित अत्यंत रमणीक स्थल है 'कोटेवाली माता का मंदिर'Kotwali Mata Mandir । यह स्थान राजा का तालाब से सड़क मार्ग द्वारा 8 किलोमीटर और कांगड़ा घाटी रेल मार्ग से तलाड़ा रेलवे स्टेशन से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अति रमणीक पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर धार्मिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए रहस्य का केंद्र बना हुआ है।

यह मंदिर 300 सीढिय़ां चढ़ कर अत्यंत रमणीक एवं आकर्षक पहाड़ी पर स्थित है। यहां डेढ़ दर्जन से अधिक दुकानें बनी हुई हैं जहां प्रसाद व चायपान की व्यवस्था मौजूद है। यात्रियों के विश्राम के लिए धर्मशाला एवं पीने के पानी की भी सुंदर व्यवस्था है। माता रानी की भव्य मूर्ति श्रद्धालुओं को वशीभूत कर लेती है।

इस स्थान की विशेषता यह है कि रात को यहां कोई भी व्यक्ति नहीं ठहर सकता। किंवदंती के अनुसार अष्टभुजा माता रात को साक्षात प्रकट होकर यहां विभिन्न लीलाएं करती हैं। यहां रात को ठहरने वाला अगले दिन की सुबह नहीं देखा पाता यानि वो जीवित नहीं रहता। किंवदंती अनुसार आनंद तोमर ने दिल्ली का शासन जब अपने दोहते पृथ्वी राज चौहान Prithvi Raj Chauhan को सौंपा तो उनके कुछेक संबंधियों ने विद्रोह कर दिया परन्तु वे पृथ्वी राज चौहान के सामने टिक न पाए। वे सब उत्तर की सुरक्षित पहाडिय़ों की ओर जान बचा कर दौड़े। कहते हैं कि आते हुए अपनी कुलदेवी को भी साथ ले आए। यही कुलदेवी आज कोटेवाली माता के नाम से विश्व विख्यात हैं।

टेवाली मां असंभव से असंभव कार्य को चुटकी में संभव कर देती हैं। यहां इस संबंध में एक चमत्कारी घटना का उल्लेख करना आवश्यक है। एक सदी पूर्व निकटवर्ती गांव की एक नन्हीं बच्ची यकायक गायब हो गई। हर जगह ढूंढने पर भी उसका कहीं कोई पता नहीं चला। बहुत ढूंढने के बाद बच्ची के माता-पिता को ध्यान आया कि कोटेवाली माता से उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए मनौती मांगी थी परन्तु उसे पूरा करना भूल गए थे।

माता को मनौती चढ़ाने और क्षमा मांगने के तीन दिन बाद बच्ची सुरक्षित अभिभावकों को मिल गई। पूछने पर बच्ची ने बताया कि वह दादी मां के साथ रहती थी और दादी मां उसे हलवा-पूरी खिलाया करती थी। इस घटना को सुनकर बच्ची के परिजन और गांववासी हतप्रभ रह गए। ऐसी अनेकों आलौकिक और चमत्कारिक घटनाएं 'कोटेवाली माता' के साथ जुड़ी हुई हैं।

वर्तमान समय में मंदिर की देख-रेख 1971 से 'गुरियाल गांव की एक कमेटी' कर रही है। कमेटी की देख-रेख में इस ऐतिहासिक महत्व के मंदिर की अभूतपूर्व तरक्की हुई है। गुरियाल गांव से मंदिर के चरणों तक लगभग दो किलोमीटर का दुर्गम पहाड़ी रास्ता पक्का हो चुका है और उसके आगे मंदिर तक लगभग 250 सीढिय़ां सरल चढ़ाई के लिए बनवाई गई हैं। यहीं नहीं मंदिर परिसर में एक विशाल लंगर भवन Vishal Langar Bhavan तथा डेढ़ दर्जन से अधिक दुकानें मां के दरबार की तरक्की का बखान करती हैं। मंदिर कमेटी निरंतर विकास कार्यों में जुटी हुई है।

 

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