किसी की होने वाली थी शादी तो कोई छोड़ गया हंसता-खेलता परिवार... सेना के 4 शहीद जवानों की दिल तोड़ देने वाली कहानी

किसी की होने वाली थी शादी तो कोई छोड़ गया हंसता-खेलता परिवार... सेना के 4 शहीद जवानों की दिल तोड़ देने वाली कहानी

Jammu Kashmir Poonch terrorist attack

Jammu Kashmir Poonch terrorist attack

नई दिल्ली। Jammu Kashmir Poonch terrorist attack: जम्मू-कश्मीर के राजौरी में 21 दिसंबर को भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने घात लगाकर सेना के दो वाहनों पर हमला किया, जिसमें हमारे चार जवान शहीद हो गए। वहीं, इस हमले में कुछ जवान घायल भी हो गए।  

शहीद जवानों का पार्थिव शरीर उनके परिवार के पास रवाना कर दिए गए हैं। इस घटना के बाद शहीदों के घरवाले, परिजन और दोस्तों के बीच शोक की लहर है और हर-तरफ मायूस मंजर है। अब इन शहीद जवानों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें सामने आई है, जिनको सुनकर लोगों का दिल छन्नी हो गया है। दरअसल, इनमें से एक शहीद की जल्द ही शादी होने वाली थी।

1.5 साल पहले ही हुई थी शादी

आतंकी हमले में बिहार के नवादा के वारिसलीगंज प्रखंड के नारोमुरार गांव के राइफलमैन चंदन कुमार भी शहीद हो गए हैं। घरवालों को फोन पर चंदन के शहीद होने की जानकारी मिली, जिसके बाद पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल हो गया है।

चंदन के परिवार में उनके माता-पिता और उनके दो भाई हैं। चंदन के बड़े भाई जीवन कुमार ही पूरा घर संभालते हैं और छोटा भाई अभिनंदन गांव में ही राशन की दुकान चलाता है। 1.5 साल पहले ही परिवार ने धूमधाम से चंदन की शादी की थी। चंदन के छोटे भाई ने बताया कि सेना की ओर से उन्हें फोन आया और रात करीब 12.30 बजे उन्हें जानकारी मिली की उनके बड़े भाई देश के लिए बलिदान हो गए हैं।

चंदन के परिवार को इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था, लेकिन बार-बार फोन करने पर भी एक ही बात पता चल रही थी, जिसके बाद पूरा परिवार टूट गया और चंदन की पत्नी और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। दरअसल, चंदन  ने 2017 में भारतीय सेना ज्वाइन की थी।

शादी की तैयारियों के बीच छाया मातम

गुरुवार दोपहर पुंछ के शहीद होने वालों जवानों में उत्तराखंड के गौतम भी बलिदान हो गए। गुरुवार रात सेना की ओर से उनके परिजनों को इस बात की सूचना दी, जिसके बाद परिवार और गांव में मातम छा गया है। गौतम 30 नवंबर को ही छुट्टी पर आए थे और 16 दिसंबर को ड्यूटी पर वापसी की थी। 11 मार्च को उनकी शादी होने वाली थी, जिसको लेकर परिवार ने तैयारियां शुरू कर दी थी।

गौतम के शहीद होने की खबर मिलते ही उनके परिवार के साथ ही उनकी मंगेतर और उनका परिवार टूट गया है। सुनहरे सपने देखने वालों के हाथों से नियति ने उन्हें छीन लिया। गौतम के परिवार में उनके बड़े भाई राहुल, मां और दो बहनें हैं।

दो मासूम बेटियों को छोड़ गए बीरेंद्र

इस घातक हमले में उत्तराखंड के चमोली जिले में नारायणगढ़ विकासखंड के सैनिक बाहुल्य गांव बमियाला निवासी बीरेंद्र सिंह ने भी अपने प्राणों की आहुति दे दी। उन्होंने 2010 में सेना की 15 गढ़वाल राइफल में बतौर राइफलमैन भारतीय सेना ज्वाइन की थी। वर्तमान में वह भी पुंछ में तैनात थे।

गुरुवार को सेना ने बीरेंद्र के बलिदान की जानकारी उनके परिजनों को दी, जिसके बाद उनके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। उनके घर के बाहर गांव वालों की भीड़ लग गई है और सभी की आंखें नम है। बीरेंद्र के बड़े भाई धीरेंद्र सिंह भी आईटीबीपी में तैनात हैं। बीरेंद्र 6 जनवरी को छुट्टी पर आने वाले थे और उससे पहले उन्हें यह खबर मिल गई। बलिदानी अपने पीछे अपनी पत्नी और दो मासूम बेटियां छोड़ गए।

कानपुर के लाल ने दी कुर्बानी

कश्मीर के पुंछ सेक्टर में गुरुवार को घने जंगल से गुजरते सेना के वाहनों पर हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए जवानों में कानपुर का भी एक लाल था। चौबेपुर के भाऊपुर गांव के रहने वाले करन कुमार यादव के बलिदान होने की खबर मिलते ही गांव में मातम छा गया है। परिवार ने बताया कि शाम को उनकी पत्नी को फोन आया कि करन के पैर में गोली लगी है और फिर अगली कॉल सुबह आई, जिसमें पता चला कि उन्होंने देश के लिए बलिदान दे दिया है।

करन सिंह अपने पीछे छोड़ गए हंसता-खेलता परिवार

करन सिंह अपने पीछे एक हंसता-खेलता परिवार छोड़ गए। उनके परिवार में उनके माता-पिता, एक भाई, दो बहनें और दो मासूम बच्चे हैं। शहीद करन सिंह अगस्त में आखिरी बार छुट्टी पर घर आए थे और अपने पिता से वादा किया था कि वह फरवरी में लंबी छुट्टी लेकर घर आएंगे, लेकिन उसके पहले परिवार के पास उनका पार्थिव शरीर पहुंच गया।  

करन सिंह यादव का पार्थिव शरीर आज देर रात तक कानपुर पहुंच सकता है, जिसके बाद पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। करन सिंह 19 वर्ष की उम्र में जुलाई 2013 में 48 राष्ट्रीय राइफल्स रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। 14 महीने पहले पहले ही राजस्थान से उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में हुई थी।

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