Intellectuals, litterateurs and industrialists described the debate as a big step towards collective wisdom

बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और उद्योगपतियों ने बहस के कदम को सामूहिक सूझ-बूझ की ओर बड़ा कदम बताया

Intellectuals, litterateurs and industrialists described the debate as a big step towards collective

Intellectuals, litterateurs and industrialists described the debate as a big step towards collective

Intellectuals, litterateurs and industrialists described the debate as a big step towards collective wisdom- लुधियानाI पंजाब के बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, उद्योगपतियों और अन्य पक्षों ने एस. वाई. एल. के संजीदा मसले पर ‘ मैं पंजाब बोलदा हां’ के बैनर तले करवाई बहस को सामूहिक सूझ-बूझ (कुलैकटिव विज़डम) बनाने की तरफ बड़ा कदम बताया, जिससे इस मसले पर संजीदा बहस के एक नये दौर की शुरुआत हुई है। 

यहाँ बुधवार को इस बहस के दौरान गीतकार बाबू सिंह मान ने कहा कि यह बहस एस. वाई. एल. जैसे सूक्षम मसले पर लोगों में बातचीत की रुकावट को तोड़ने का सबब बनी है और मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पंजाब में अब तक चले लुटतंत्र का नंगा चेहरा सबके सामने पेश किया है। 

इस दौरान पंजाबी लेखक शमशेर सिंह संधू ने कहा कि भगवंत सिंह मान को सुनते इस तरह लग रहा था जैसे पंजाब की धरती अपना दर्द सुना रही हो। उन्होंने कहा कि यह बहस एक सार्थक शुरुआत है, जिसने दीर्घकालिक लटक रहे इस मसले के अहम पहलू लोगों की अदालत में रखे हैं। 

पंजाबी साहित्य अकाडमी लुधियाना के पूर्व प्रधान प्रो. रविन्द्र भट्ठल ने कहा कि भगवंत मान ने आज धुंधला शीशा साफ़ कर दिखाया है। उन्होंने राजनैतिक नेताओं की दोगली पहुँच के बारे तथ्य लोगों सामने रखे हैं, जिससे सारी स्थिति स्पष्ट होने की दिशा की तरफ बात चली है। 

दूसरी तरफ़ प्रसिद्ध उद्योगपति और लुधियाना में रामगढ़िया शैक्षिक संस्थाओं के प्रधान रणजोध सिंह ने कहा कि मध्यम और लघु उद्योगों की रजिस्ट्रेशन में पंजाब का पहले स्थान पर आना राज्य के लिए ज़िक्रयोग्य जीत है, जिसके लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार बधाई की पात्र है। 

पंजाबी लोक विरासत अकाडमी लुधियाना के चेयरमैन प्रो. गुरभजन सिंह गिल ने समागम के बाद बातचीत करते हुये कहा कि नव पंजाब दिवस के मौके पर संवाद की बात चलानी अच्छी शुरुआत है। यह बात आगे चलनी चाहिए और विरोधी पक्ष को टलने की जगह सहयोगी भूमिका अदा करनी चाहिए। 

राष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता अध्यापिका और प्रसिद्ध कवयित्री डा. गुरचरन कौर कोचर ने कहा कि पंजाब के पानियों पर हुये डाकों की कहानी ने हमारी आँखें खोल दीं हैं। हमें कई ऐसे पहलूओं के बारे भी पता लगा, जो पहले कभी आम लोगों में आए ही नहीं थे। 

बहस समाप्त होने बाद में प्रसिद्ध लेखक और सेवामुक्त पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह तूर ने कहा कि पंजाब के सब मसलों के सर्वांगीण हल के लिए विरोधी पार्टियों को साथ आना चाहिए और इस दिशा में यह सार्थक प्रयास है, जिसने काफी देर से रुकी हुई बातचीत को सही दिशा की तरफ मोड़ दिया है। 

इस दौरान गायक डा. सुखनैन और अदाकार बाल मुकन्द शर्मा का कहना था कि स. भगवंत सिंह मान ने अपनी पेशकारी के द्वारा साबित कर दिया है कि ईमानदारी से सत्य कैसे बोलना है। मुख्यमंत्री ने कई अहम मसले लोगों की अदालत में रख कर राजनैतिक नेताओं द्वारा पंजाब से किये धोखों से अवगत करवाया है।