आज लग रहा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण; भारत में सूतक काल शुरू, ग्रहण की टाइमिंग यहां जानिए, आसमान में दिखेगा 'ब्लड मून'

Last Chandra Grahan 2025 Today 7 Sept 2025 Timing Sutak Kal

Last Chandra Grahan 2025 Today 7 Sept 2025 Timing Sutak Kal

Last Chandra Grahan 2025: आज 7 सितंबर को भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के दिन इस साल 2025 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. यह भी पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा। खास बात ये है कि, इस चंद्र ग्रहण को पूरे भारत में देखा जा सकेगा। इसलिए भारत में सूतक के सारे नियम भी लागू होंगे। इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12.57 बजे से शुरू हो चुका है। दरअसल ग्रहण की यह खगोलीय घटना वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिंदू धर्म में ग्रहण को शुभ समय नहीं माना गया है।

चंद्र ग्रहण की टाइमिंग क्या?

भारतीय समय के मुताबिक, साल 2025 का यह दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण आज 7 सितंबर की रात 9 बजकर 58 मिनट के आसपास शुरू होगा और यह मध्य रात्रि 1 बजकर 26 मिनट के करीब समाप्त होगा। यानि इस पूर्ण चंद्र ग्रहण की अवधि लगभग 3 घंटे से ज्यादा की होगी। चंद्र ग्रहण का पीक टाइम रात 11.40 के आसपास होगा. जब प्रथ्वी पूरी तरह से चंद्रमा को ढंक लेगी और करीब 82 मिनट तक चंद्रमा पूरी तरह से प्रथ्वी की छाया में छिपा रहेगा। यह साल 2022 के बाद भारत में दिखने वाला सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा।

भारत के अलावा और कहां दिखेगा चंद्र ग्रहण?

इस पूर्ण चंद्र ग्रहण को जहां भारत में देखा जा सकेगा। वहीं यह ग्रहण (Chandra Grahan 7 Sept 2025) भारत के अलावा एशिया के अन्य देशों के साथ ही यूरोप, अफ्रीका, अंटाकर्टिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया और हिंद महासागर क्षेत्र में भी दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण को सीधे आंखों से देखा जा सकता है। इसके लिए किसी चश्मे या फिल्टर की जरूरत नहीं है। हालांकि दूरबीन या टेलीस्कोप से देखने पर इसे साफ देखा जा सकता है।

आसमान में दिखेगा 'ब्लड मून'

इस पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान आसमान में धरती से 'ब्लड मून' जैसा नजारा दिखेगा। यानि चंद्रमा लाल रंग सा दिखाई देगा। दरअसल, 'ब्लड मून' दिखने के पीछे कारण यह है कि चंद्र ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया से पूर्ण रूप से छिप जायेगा। इस दौरान जब सूरज की रोशनी पृथ्वी के वातावरण से टकराकर चंद्रमा पर पड़ती है तो चंद्रमा पर लालिमा छा जाती है। जिससे चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देने लगता है। इसे ही 'ब्लड मून' कहते हैं।

14 मार्च को लगा था पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण

साल 2025 का पहला ग्रहण 'चंद्र ग्रहण' 14 मार्च को लगा था। यह भी पूर्ण चंद्र ग्रहण था। मगर यह पहला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया था। क्योंकि इस खगोलीय घटना के वक्त देश में दिन का समय था। दरअसल, भारतीय समय के मुताबिक, 14 मार्च को   चंद्र ग्रहण की शुरुआत प्रातः 10 बजकर 39 मिनट 3 सेकेंड पर हुई थी और ग्रहण 2 बजकर 18 मिनट 2 सेकेंड पर खत्म हुआ था। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, पश्चिमी अफ्रीका और उत्तरी और दक्षिणी अटलांटिक महासागर में देखा गया था।

क्यों लगता चंद्र ग्रहण?

ज्योतिष शास्त्र में चंद्र ग्रहण को लेकर कई अलग-अलग तथ्य बताए गए हैं लेकिन साइंस के अनुसार चांद और सूर्य के बीच में जब पृथ्वी आ जाती है तो चंद्र ग्रहण होता है। पृथ्वी की छाया जब चांद पर पड़ती है तो आंशिक चंद्र ग्रहण होता है और जब चांद पूरी तरह से पृथ्वी की छाया में ढंक जाता है तो पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा लाल या काला धुंधला दिखाई देता है। चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर होता है। जबकि सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि पर होता है। पृथ्वी पर हमें ये दो तरह के ग्रहण दिखते हैं।

ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या नहीं?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को पैरों को मोड़कर नहीं बैठना चाहिए। ग्रहण के दौरान उन्हे घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर घर में गाय-भैंस जैसे पालतू जनवार हैं तो उन्हें भी अंदर ही रखें। इसके साथ ही ग्रहण के दौरान सुई में धागा नहीं डालना चाहिए। वहीं किसी भी प्रकार की सामग्री को काटना या छीलना नहीं चाहिए। कुछ छौंकना या बघारना नहीं चाहिए। खाना-पीना नहीं करना चाहिए। सोना नहीं चाहिए। ग्रहण के दौरान शोर न करके शांति रखनी चाहिए और भगवान का भजन करना चाहिए।

ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें?

धार्मिक मान्यता के अनुसार, ग्रहण के खत्म होने के बाद मकान, पूजा घर, दुकान, प्रतिष्ठान की साफ सफाई कर अच्छे से धुलाई करें। संभव हो तो पूरे घर को नमक के पानी से धोएं। इसके बाद खुद भी स्नान कर देवी देवताओं को स्नान कराएं। इसके बाद खाद्य पदार्थों पर गंगाजल छिड़क कर उनको शुद्ध करें और फिर सेवन करें। आप देखते होंगे कि ग्रहण सूतक शुरू होने के दौरान बंद किए मंदिर ग्रहण के खत्म होने के बाद धुले जाते हैं और भगवान व सभी देवी-देवताओं के वस्त्र भी बदले जाते हैं।

कुत्ते दुखी होकर रोते हैं... मकड़ी तोड़ने लगती है अपने ही जाले; ग्रहण में बेचैन क्यों जाते हैं जानवर