यह कहना खतरनाक कि लोक कल्याण के लिए निजी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता : न्यायालय

Acquisition of Private Property

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नई दिल्ली। Acquisition of Private Property: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि संविधान का उद्देश्य 'सामाजिक परिवर्तन की भावना' लाना है। यह कहना खतरनाक होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को समुदाय का भौतिक संसाधन नहीं माना जा सकता है और सार्वजनिक भलाई के लिए राज्य द्वारा उसका अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह टिप्पणी की। संविधान पीठ इस प्रश्न पर विचार कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत समुदाय का भौतिक संसाधन माना जा सकता है? कई याचिकाओं के जरिये सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया गया है।

संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) में प्रविधान है कि राज्य अपनी नीति के जरिये यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस प्रकार किया जाए, जो आम लोगों की भलाई के लिए सर्वोत्तम हो। मुंबई के प्रापर्टी ओनर्स एसोसिएशन (पीओए) सहित पक्षकारों के वकील ने जोरदार दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और 31 (सी) की संवैधानिक योजनाओं की आड़ में राज्य के अधिकारियों द्वारा निजी संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।

संविधान पीठ ने कहा, यह सुझाव देना थोड़ा अतिवादी हो सकता है कि 'समुदाय के भौतिक संसाधनों' का अर्थ केवल सार्वजनिक संसाधन हैं। इसकी उत्पत्ति किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति में नहीं है। मैं आपको बताऊंगा कि ऐसा ²ष्टिकोण रखना क्यों खतरनाक होगा। पीठ ने आगे कहा, खदानों और यहां तक कि निजी वनों जैसी साधारण चीजों को लें। सरकारी नीति अनुच्छेद 39 (बी) के तहत निजी वनों पर लागू नहीं होगी..इसलिए इससे दूर रहें, यह कहना बेहद खतरनाक होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को जर्जर इमारतों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार देने वाला महाराष्ट्र का कानून वैध है या नहीं, यह पूरी तरह से अलग मुद्दा है और इसका फैसला स्वतंत्र रूप से किया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने पूछा कि क्या यह कहा जा सकता है कि एक बार संपत्ति निजी हो जाने के बाद अनुच्छेद 39 (बी) का कोई उपयोग नहीं होगा, क्योंकि समाज कल्याणकारी उपायों की मांग करता है और धन के पुनर्वितरण की भी आवश्यकता है। जब संविधान बनाया गया था, तब की सामाजिक और अन्य स्थितियों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, संविधान का उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन लाना था। हम यह नहीं कह सकते कि निजी तौर पर संपत्ति रखे जाने के बाद अनुच्छेद 39 (बी) का कोई उपयोग नहीं है।

संविधान पीठ में जस्टिस हृषिकेश राय, बीवी नागरत्ना, सुधांशु धूलिया, जेबी पार्डीवाला, मनोज मिश्रा, राजेश बिंदल, सतीशचंद्र शर्मा और आगस्टीन जार्ज मसीह भी शामिल हैं।