India New Criminal Laws- भारत में 1 जुलाई से लागू होंगे नए आपराधिक कानून; गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की

भारत में 1 जुलाई से लागू होंगे नए आपराधिक कानून; गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की, बदल जाएंगी अपराध की धाराएं, हत्या में 302 नहीं

India New Criminal Laws Effected From July 1 2024 News Update

India New Criminal Laws Effected From July 1 2024 News Update

India New Criminal Laws: भारत में 1 जुलाई 2024 से 3 नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। जुलाई से भारत में ब्रिटिश काल के कानून नहीं चलेंगे। इंडियन पीनल कोड-1860 (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड-1898 (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट-1872 (IEA) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 के तहत देश की अपराध-न्याय व्यवस्था में कार्रवाई तय की जाएगी।

 India New Criminal Laws Effected From July 1 2024 News Update

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पिछले साल दिसंबर में संसद में पास हुए तीनों के विधेयक

बता दें कि इन तीनों आपराधिक कानूनों के विधेयक पिछले साल दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में गृह मंत्री अमित शाह ने पेश किए थे। शाह ने ब्रिटिश काल के कानूनों को बदलने वाले इन भारत के तीनों विधेयकों को लेकर लंबी और विस्तृत चर्चा संसद के दोनों सदनों में की थी और दोनों ही सदनों से तीनों विधेयकों को पास कराया गया था। वहीं बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीनों विधेयकों को अपनी मंजूरी दी। जहां राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद तीनों विधेयक कानून बन गए और इंडियन पीनल कोड (IPC), क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (CrPC) और इंडियन एविडेंस एक्‍ट की जगह ले ली।

फिलहाल नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से देश की अपराध-न्याय व्यवस्था में बड़ा बदलाव आयेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था 1860 से 2023 तक देश की अपराध-न्याय व्यवस्था अंग्रेजों के बनाए कानूनों के मुताबिक चलती रही। लेकिन अब जब उनके तीन कानूनों को बदल दिया गया है तो देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा। शाह ने कहा कि, ये कानून अंग्रेजों द्वारा और उनकी संसद द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए और अपने हित के लिए बनाए गए थे। लेकिन अब नए कानून नागरिकों को दंड देने के नजरिए से नहीं बल्कि उन्हें न्याय देने को लेकर लाये गए हैं। इन क़ानूनों के तहत न्याय देने की प्रक्रिया में जो दंड का पात्र होगा उसे दंड मिलेगा। ये कानून नागरिकों के मिले अधिकारों को सुरक्षा देंगे, उन्हें सुरक्षा देंगे।

ये तीनों नए कानून देश में महिलाओं और नाबालिग बच्चियों से दुराचार, आतंकवाद, मॉब लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए सजा को और अधिक सख्त बना देंगे। भारत के अपने नए आपराधिक कानूनों से देश में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा बढ़ेगी। मानवीय हत्या पर लगाम लगाने की दिशा में कार्रवाई सुनिक्षित होगी। इन कानूनों के लागू होने के बाद कोर्ट में 'तारीख-पे-तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा और तीन साल में न्याय दिया जाएगा। किसी भी अपराध में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई की जवाबदेही ये कानून तय करेंगे। साथ ही ये कानून पुलिस की अनर्गल कार्रवाई को भी रोकेंगे। इन भारतीय कानूनों के तहत आम जनता को पुलिस अत्‍याचार से  मुक्ति मिलेगी। वहीं पुलिस को किसी मामले में तय समय में पूछताक्ष करने और चार्जशीट दाखिल करने की कार्रवाई करनी होगी।

बदल जाएंगी अपराध की धाराएं, हत्या में 302 नहीं

भारत के अपने नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से कई अपराधों में सजा बढ़ा दी गई है। वहीं सजा के प्रावधान में कुछ  नए अपराध जोड़े गए हैं। नए कानूनों के आने से धाराएं बदल जाएंगी। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी। हत्या के लिए लगाई जाने वाली IPC की धारा 302 अब धारा 101 कहलाएगी। ठगी के लिए लगाई जाने वाली धारा 420 अब धारा 316 होगी। हत्या के प्रयास के लिए लगाई जाने वाली धारा 307 अब धारा 109 कहलाएगी।

वहीं दुष्कर्म के लिए लगाई जाने वाली धारा 376 अब धारा 63 होगी। इसी प्रकार अन्य धाराओं में भी फेरबदल हुआ है। कई धाराएं हटा दी गईं हैं तो वहीं कई धाराएं नई जोड़ी गई हैं। हालांकि, हिट एंड रन केस का संबंधित प्रावधान तुरंत लागू नहीं होगा। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने जनवरी में कहा था कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को लागू करने का फैसला अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) से सलाह के बाद ही लिया जाएगा।

इधर सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं. अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं होंगी। यहां 177 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं और 14 धाराओं को खत्म कर दिया गया है। वहीं इंडियन एविडेंस एक्ट में पहले 167 धाराएं थीं। जबकि भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी। 24 घाराओं में बदलाव किया गया है। दो नई धाराएं जुड़ीं हैं। 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं।