In the assembly constituency where BJP loses

जिस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा हारेगी, काटेगी टिकट- अब विधायकों को औपचारिकता नहीं चुनाव लड़ना होगा

In the assembly constituency where BJP loses

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In the assembly constituency where BJP loses- जींद (नीरज सिंगला )। लोकसभा चुनाव का प्रचार अब अपने यौवन पर है। 25 मई को हरियाणा में लोकसभा चुनाव में मतदान होना है। अब इसमें महज 17 दिन बचे हैं। भाजपा और कांग्रेस के साथ इनेलो और जेजेपी भी चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अभय चौटाला कुरुक्षेत्र और हिसार में मुकाबला को तिकोना बनाने का प्रयास कर रहे हैं और इन दो सीटों पर उनकी ज्यादा ताकत लग रही है। जेजेपी हिसार और भिवानी में अन्य सीटों की तुलना में अपनी ताकत ज्यादा लगा रही है। चुनावी शोरगुल के बीच अंतिम फैसला जनता को करना है कि वह किसे चुनकर लोकसभा में भेजती है। 

जहां तक सवाल कांग्रेस का है वह बेरोजगारी और महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाए हुए। हरियाणा में सरकार बनने पर 6000 पेंशन करना उसके मुख्य वादों में शामिल है। इन्हीं सब बातों को लेकर कांग्रेस मैदान में है। भाजपा पहले दौर में अपने विकास कार्यों को हथियार बनाए हुए थी, लेकिन दो चरणों का मतदान होने और कांग्रेस उम्मीदवारों की मैदान में आने के बाद उसने इस चुनाव में कांग्रेस के मेनिफेस्टो के आधार पर हिंदू मुस्लिम का तड़का लगाने का काम किया है। वर्तमान में भाजपा के चुनाव प्रचार के दौरान इसके बड़े नेता जितनी देर अपने विकास कार्य गिनवाने में लगाते हैं उससे ज्यादा समय वह कांग्रेस को कोसने में लगाते हैं। 

भाजपा को भी अब हरियाणा में कहीं ना कहीं लगने लगा है कि वह 10 की 10 सीटों पर कमल का फूल नहीं खिला सकती। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोहतक समेत हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर विजयश्री हासिल हुई थी। वर्तमान में भले ही मंच से भाजपा के नेता 10 की 10 सीटों पर कमल खिलने की बात करें, लेकिन रोहतक, सिरसा और सोनीपत सीटों को लेकर उसके मन में असमंजस की स्थिति बरकरार है। पिछले लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ी जीत हासिल करने वाले कृष्ण पाल गुर्जर हालांकि अभी सेफ जोन में है लेकिन जीत का अंतर लगातार काम हो रहा है। कुछ और लोकसभा सीट ऐसी हैं, जहां पर भाजपा को यह लगता है कि वह संकट में पड़ सकती है।

भाजपा के नेता अब इस समस्या का समाधान बड़ी आसानी से निकाला है। अब तक भाजपा के विधायक और भाजपा को समर्थन दे रहे विधायक अभी तक केवल औपचारिकता निभाने का काम चुनाव प्रचार में कर रहे थे। वह प्रत्याशी के उनके क्षेत्र में आने पर उनके साथ जाकर वोट मांगने का काम कर रहे थे व्यक्तिगत रूप से वह कहीं भी नजर नहीं आते थे। इस चुनाव के मैच 4 महीने के बाद हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पार्टी ने अपने विधायकों को और उन लोगों को जो पिछले चुनाव में चुनाव हार गए थे लेकिन एक बार फिर पार्टी में टिकट की रेस में बने हुए हैं कहा है कि अगर उनके इलाके से पार्टी को इस चुनाव में हार मिली तो वह अपने टिकट भूल जाएं। वर्तमान में भाजपा के 40 एमएलए हैं। भाजपा को जो इनपुट मिले थे, उनमें यह भी था कि पार्टी इन 40 विधानसभा सीटों में से कम से कम 20 सीटों पर लोकसभा चुनाव में पिछड़ रही है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की थी। 

भाजपा ने अपने 40 इन विधायकों के अलावा निर्दलीय और जेजेपी के बागी विधायकों, जिनको वह टिकट देने के लिए काफी हद तक सहमत हैं उन्हें भी इस बारे में स्पष्ट कर दिया गया है। हालांकि चार निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन करने जा रहे हैं लेकिन पार्टी ने बाकी सभी विधायकों और अपने उन नेताओं को जो टिकट की दौड़ में खुद को आगे मानते हैं कहा है कि इस चुनाव को वह अपना विधानसभा चुनाव मानकर लड़ें। पार्टी ने साफ कहा है कि राजनीति में औपचारिकता का कोई महत्व नहीं है और साम दाम दंड भेद हर तरीका अपनाकर चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करने का काम करें पार्टी ने यह भी कहा है कि लोकसभा चुनाव में जितनी बड़ी जीत होगी उनकी टिकट भी उतनी ही निश्चित हो जाएगी। पार्टी के इस नए फरमान से पार्टी के लोकसभा उम्मीदवारों को काफी मजबूती मिलने की उम्मीद की जा सकती है। 

कांग्रेस ने भी अपने सभी नेताओं को इस बारे में साफ संकेत दे दिया है कि उनके इलाके में पार्टी के उम्मीदवार की हार उनके राजनीतिक भविष्य को खतरे में डाल देगी।